आस्था से खिलवाड़

आम आदमी महंगाई के साथ खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावटखोरी से खासा परेशान रहता है

आस्था से खिलवाड़

Photo: PixaBay

बाल मुकुंद ओझा

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देश के करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक तिरुपति बालाजी के प्रसाद यानि लड्डू के घी में चर्बी और अन्य चीजों की मिलावट से देशवासी सकते और सदमे में है| इसके साथ ही इस घनौनी मिलावट पर सियासत भी शुरू हो गई है| एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार के पशुपालन मंत्रालय का कहना है देश में दूध का  कुल उत्पादन का २,४००  लाख लीटर से अधिक है| इसमें घी के लिए दस प्रतिशत दूध ही सुलभ हो पाता है| एक किलो घी के लिए  लगभग १७ से १८ लीटर दूध की जरुरत होती है| ऐसी स्थिति में यह सवाल उठना वाजिब है कि इतनी अधिक मात्रा में घी आखिर आता कहां से है| देशभर से मिली ख़बरों के अनुसार विभिन्न राज्यों में आये दिन नामी ब्रांडेड कंपनियों के लेबल लगाकर बेचे जा रहे घी को पकड़ा जारहा है| मिलावटिये घी में वेजिटेबल तेल सहित अन्य चीजों की मिलावट कर ब्रांडेड कंपनी का लेबल लगाकर जनता की आँखों में सरेआम धूल झोंक रहे है|  आम आदमी महंगाई के साथ खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावट खोरी से खासा परेशान रहता है| हमारे बीच यह धारणा पुख्ता बनती जा रही है कि बाजार में मिलने वाली हर चीज में कुछ न कुछ मिलावट जरूर है| लोगों की यह चिंता बेबुनियाद नहीं है| आज मिलावट का कहर सबसे ज्यादा हमारी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर ही पड़ रहा है| खाने पीने के पदार्थो में मिलावट कोई नयी समस्या नहीं है| मिलावट और खराब उत्पाद बेचे जाने की खबरें आम हो चुकी हैं| साल-दर-साल इसका दायरा व्यापक होता जा रहा है| खाद्य पदार्थों में मिलावट ने हमारा जीना हराम कर रखा है| हर चीज में मिलावट ने हमारी जिंदगी की रफ्तार को अवरुद्ध कर दिया है| शरीर का हर हिस्सा जैसे मिलावट से कराह रहा है| जितनी चोटें युद्ध भूमि में राणा सांगा ने नहीं खाई होंगी उतनी हम मिलावटी वस्तुओं से रोज ही खा रहे हैं| इसका मतलब बिलकुल साफ है कि हमारा शरीर  पूरी तरह मिलावटी हो गया है|

 खाद्य पदार्थों में अशुद्ध, सस्ती अथवा अनावश्यक वस्तुओं के मिश्रण को मिलावट कहते हैं| आज समाज में हर तरफ मिलावट ही मिलावट देखने को मिल रही है| पानी से सोने तक मिलावट के बाजार ने हमारी बुनियाद को हिला कर रख दिया है| पहले केवल दूध में पानी और शुद्ध देशी घी में वनस्पति घी की मिलावट की बात सुनी जाती थी, मगर आज घर-घर में प्रत्येक वस्तु में मिलावट देखने और सुनने को मिल रही है| मिलावट का अर्थ प्राकृतिक तत्त्वों और पदार्थों में बाहरी, बनावटी या दूसरे प्रकार के मिश्रण से है|

मुनाफाखोरी करने वाले लोग रातोंरात धनवान बनने का सपना देखते हैं| अपना यह सपना साकार करने के लिए वे बिना सोचे-समझे मिलावट का सहारा लेते हैं| सस्ती चीजों का मिश्रण कर सामान को मिलावटी कर महंगे दामों में बेचकर लोगों को न केवल धोखा दिया जाता है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी किया जाता है| मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से प्रतिवर्ष हजारों लोग विभिन्न बीमारियों का शिकार होकर जीवन से हाथ धो बैठते हैं| मिलावट का धंधा हर तरफ देखने को मिल रहा है| दूध बेचने और मिलावट करने वाले से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों तक ने मिलावट के बाजार पर अपना कब्जा कर लिया है|

सत्य तो यह है कि हम जो भी पदार्थ सेवन कर रहे हैं चाहें वे खाद्य पदार्थ हो या दूसरे, सब में मिलावट ही मिलावट हो रही है| मिलावट ने अपने पैर जबरदस्त तरीके से फैला लिए हैं| दूधिए की मिलावट तो एक उदाहरण के रूप में है| मगर आज हर वस्तु में मिलावट से हमारा वातावरण प्रदूषित और जहरीला हो उठा है| दूध, मावा, घी, हल्दी, मिर्च, धनिया, अमचूर, सब्जियां, फल आदि सभी मिलावट की चपेट में है| आज खाने पीने सहित सभी चीजों में धड़ले से  मिलावट हो रही है|, ऐसा कोई भोज्य पदार्थ नहीं है, जो जहरीले कीटनाशकों और मिलावटों से मुक्त हो| बाजार में  पपीता, आम और केला, सेव अनार   जैसे फलों को कैल्शियम कार्बाईड की मदद से पकाया जाता है| चिकित्सकों के अनुसार यह स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है| फलों को सुनहरा बनाने  के लिए पैराफीन वैक्स भी लगाया जाता है| इन  फलों को खाने से  कैंसर और डायरिया जैसी बीमारियां होती है| डेयरी और कृषि उत्पादों-विशेषकर हरी सब्जियों में ऑक्सिटोसिन का खूब  इस्तेमाल हो रहा है|

बाजार में मिलने वाली सब्जियों और फलों को रसायन के माध्यम से रंग-बिरंगा कर उपभोक्ताओं को आकर्षित किया जाता है| मटर और परवल को हरे रंग से हरा भरा किया जाता है| तरबूज में इंजेक्शन तो आम बात हो गई है| आम, केले, मुसंबी तक को सरे आम रसायन और इंजेक्शन से पकाया और तैयार किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है| सीमेंट में राख, चाय में रंगा हुआ लकड़ी का बुरादा, जीरे में घोड़े की लीद, खाने के रंगों में लाल-पीली मिट्टी, खाद्य तेलों में दूसरे सस्ते और अखाद्य तेलों की मिलावट खूब हो रही है| सच तो यह है अधिक मुनाफा कमाने के लालच में नामी कंपनियों से लेकर खोमचेवालों तक ने उपभोक्ताओं के हितों को ताख पर रख दिया है| अगर कोई इन्हें खाकर बीमार पड़ जाता है तो हालत और भी खराब है, क्योंकि जीवनरक्षक दवाइयॉं भी नकली ही बिक रही हैं|

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