कैसे पनप रहे ये 'मॉड्यूल'?
लगातार कट्टर विचारधारा से संबंधित आलेख पढ़कर और भाषण आदि सुनकर कुछ लोग गुमराह हो सकते हैं
इस आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने के लिए दिल्ली पुलिस ने निश्चित रूप से पुख्ता तैयारी की थी
दिल्ली पुलिस द्वारा झारखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से दर्जनभर लोगों को अलकायदा से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया जाना एक ओर जहां इस बल के कर्मियों की सतर्कता का परिणाम है, वहीं यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर चिंता का विषय भी है। आरोपियों के कब्जे से जिस तरह की सामग्री बरामद हुई, वह संकेत देती है कि आतंकवादी संगठन हमारे देश में जड़ें जमाने के लिए युवाओं को किस तरह गुमराह कर रहे हैं।
इस आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने के लिए दिल्ली पुलिस ने निश्चित रूप से पुख्ता तैयारी की थी, अन्यथा इतने लोग नहीं पकड़े जाते। अलकायदा एक ऐसा आतंकवादी संगठन है, जिसने अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में बड़े हमले किए हैं। इसके पूर्व सरगना ओसामा बिन लादेन और अयमान अल-ज़वाहिरी का अमेरिकी बलों के हाथों खात्मा हो चुका है, लेकिन संगठन, उसके आतंकवादी, स्लीपर सेल और सहानुभूति रखने वाले लोग आज भी मौजूद हैं। ऐसे आतंकवादी संगठनों के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े लोगों के खात्मे का यह अर्थ नहीं होता कि उसकी जड़ें समाप्त हो गई हैं। इन्हें जहरीली सोच रखने वाले तत्त्वों से पोषण मिलता रहता है।उक्त मॉड्यूल का नेतृत्व करने का आरोपी झारखंड के रांची का एक 'डॉक्टर' बताया गया है! यह भी हैरान करने वाली बात है कि इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद इस शख्स ने आतंकवाद का रास्ता चुना! दो दशक पहले यह तर्क बहुत सुनने को मिलता था कि जो व्यक्ति आतंकवाद के रास्ते पर चलता है, उसके इस कृत्य के लिए उसका अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा होना जिम्मेदार है। इसके पक्ष में ऐसे आतंकवादियों के नाम गिनाए जाते थे, जिनका शिक्षा का स्तर कमजोर होता था। इससे माना जाता था कि ऐसे लोगों का ब्रेन वॉश करना आसान होता है। उन्हें आतंकवादी संगठनों के आका जो पट्टी पढ़ा देते हैं, वे उसे ही सच मान लेते हैं।
हालांकि यह तर्क गलत साबित हो रहा है। ज़वाहिरी और बगदादी जैसे आतंकवादी उच्च शिक्षित थे। लादेन के पास भी कॉलेज की डिग्री थी। जब आईएसआईएस अपनी क्रूर हरकतों के चरम पर था, तब दुनियाभर से कई डॉक्टर, इंजीनियर, तकनीकी विशेषज्ञ और विभिन्न विषयों की गहरी समझ रखने वाले लोग उस संगठन में 'भर्ती' होने के लिए गए थे।
अशिक्षा और गरीबी जैसी वजहों से लोग ऐसे संगठनों के प्रभाव में आ जाते हैं, लेकिन ऐसी और भी वजह हैं, जो युवाओं को गुमराह कर आतंकवाद के दलदल में धकेल सकती हैं। उनमें सबसे बड़ी वजह है- 'दुष्प्रचार'। पाकिस्तान से आतंकवाद का प्रशिक्षण लेकर भारत आने वाले आतंकी जब यहां गिरफ्तार कर लिए जाते हैं और उनसे पूछताछ होती है तो पता चलता है कि उन्हें पढ़ने के लिए कट्टरपंथी साहित्य दिया गया था। यही नहीं, उन्हें हिंसा आधारित वीडियो दिखाकर दावा किया गया था कि ये भारत से संबंधित हैं। हालांकि वे वीडियो इराक, सीरिया, लीबिया जैसे हिंसाग्रस्त देशों से थे।
दिल्ली पुलिस की छापेमारी के दौरान जो लोग गिरफ्तार किए गए, उनके पास भी भड़काऊ साहित्य मिलने की बात सामने आई है। आरोप है कि ये देश के भीतर ‘खिलाफत’ की घोषणा करने और गंभीर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के मंसूबे पाले बैठे थे। प्राय: इन संगठनों से जुड़े लोग मोबाइल फोन पर भी भड़काऊ सामग्री पढ़ते-सुनते हैं। विदेशी शक्तियों द्वारा सोशल मीडिया पर ऐसे ग्रुप बनाकर युवाओं को गुमराह करने के प्रयास जारी हैं। इनके जरिए आपत्तिजनक सामग्री का प्रसार बहुत तेजी से किया जा सकता है।
लगातार कट्टर विचारधारा से संबंधित आलेख पढ़कर और भाषण आदि सुनकर कुछ लोग गुमराह हो सकते हैं। इसके मद्देनजर उन तत्त्वों पर नजर रखना बहुत जरूरी है, जो इंटरनेट पर ऐसी सामग्री का प्रचार-प्रसार करते हैं। सोशल मीडिया मंचों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिएं। जो लोग देशविरोधी एवं मानवताविरोधी कृत्यों में लिप्त पाए जाएं, जांच एजेंसियां उनके खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाकर केस को मजबूत बनाएं। आतंकवाद से निपटने के लिए शीघ्र एवं कठोर दंड देना सुनिश्चित किया जाए।