विकराल हुईं मुख की बीमारियां

भारत में मुंह के कैंसर के मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं

विकराल हुईं मुख की बीमारियां

Photo: PixaBay

.. बाल मुकुन्द ओझा ..
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एक हालिया अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है मुंह का कैंसर बेहद खतरनाक है| अनुमान है कि पूरी दुनिया में हर घंटे एक इंसान की माउथ कैंसर से मौत हो रही है| ज्यादातर मुंह के कैंसर का कारण तंबाकू होता है| इसके अलावा कुछ लोगों में पुराने घाव या छालों की वजह से भी मुंह का कैंसर हो सकता है| तंबाकू, सिगरेट, सिगार, हुक्का पीने वालों में ओरल कैंसर का खतरा करीब 60 प्रतिशत ज्यादा होता है|  गुटखा, खैनी, तंबाकू सिगरेट, शराब, और पान मसाला मुख रोगों के लिए बेहद घातक और खतरनाक साबित हो रहे है| इनके सेवन से मुंह में जलन, छाले, मुंह के कम खुलने की समस्या आम है| मुंह के छाले यानी माउथ अल्सर यूं तो एक बहुत ही सामान्य परेशानी है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना जानलेवा भी साबित हो सकता है, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है| भारत में बच्चे से बुजुर्ग तक को सरे आम  इनका  सेवन करते देखा जा सकता है| यह शोक अमीर से गरीब तक सभी आयु वर्ग के लोगों में है| हमारे देश में लाखों लोग आज मुख की विभिन्न बीमारियों से ग्रसित है| यह बीमारी धीरे धीरे कैंसर का रूप ले रही है जिनका इलाज असाध्य हो चला है| आईसीएमआर की रिपोर्ट को देखें तो मुख के कैंसर से मरने वालों की तादाद में हर साल वृद्धि हो रही है जो हमारे लिए बेहद चिंतनीय है| यह स्थिति तो तब है जब अनेक राज्य सरकारों ने अपने यहॉं गुटखा और पान मसाला पर रोक लगा रखी है|  

भारत में मुंह के कैंसर के मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं| यह कैंसर पुरुषों को ज्यादा होता है| मुंह के कैंसर की पहचान सामान्य जांच से हो जाती है| तम्बाकू के गुटके के रूप में खाने से सफेद दाग, मुँह का नहीं खुल पाना तथा कैंसर रोग भी हो सकता है| लगातार गुटखे या तम्बाकू का सेवन आपके दांत को ढीले और कमजोर बना देते हैं बैक्टीरिया दांतों में जगह बना लेते हैं जिससे दांतों का रंग बदलने लगता है और धीरे-धीरे दांत गलने भी लगते हैं| तम्बाकू या गुटखा लगातार खाने वालों की जीभ, जबड़ों और गालों के अंदर सेंसेटिव सफेद पेच बनने लगते हैं और उसी से मुंह में कैंसर की शुरुआत होती है जिसके बाद धीरे-धीरे मुंह का खुलना बंद हो जाता है और मुंह में कैंसर फैल जाता है|

मुँह के कैंसर का अर्थ है मौखिक गुहा (होठों से शुरू होकर पीछे टॉन्सिल तक का हिस्सा) अथवा ओरोफैरिन्कस (गले का अंदरूनी हिस्सा) के ऊतकों में होने वाला कैंसर| जब शरीर के ओरल कैविटी के किसी भी भाग में कैंसर होता है तो इसे ओरल कैंसर कहा जाता है| ओरल कैविटी में होंठ, गाल, लार ग्रंथिया, कोमल व हार्ड तालू, यूवुला, मसूडों, टॉन्सिल, जीभ और जीभ के अंदर का हिस्सा आते हैं| इस कैंसर के होने का कारण ओरल कैविटी के भागों में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होती है| ओरल कैंसर होने का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है| ओरल कैंसर आज हमारे देश की एक प्रमुख समस्या के रुप में बीमारी उभरी है सबसे ज्यादा पुरुषों में पाया जाता है इसका मुख्य कारण पान मसाला, तंबाकू बीड़ी सिगरेट का प्रयोग करना है| एल्कोहल, सुपारी, मुंह की ढंग से सफाई ना करना और खानपान भी इसका कारण है| मुंह के अंदर गाल और जीभ में सफेद दाने होना, गुटखा और पान मसाला खाने वाले का मुंह दांत के बीच चार सेमी से कम खुलना और मुंह का कोई भी छाला या घाव इलाज के बाद भी ठीक न होना| 

डिब्बाबंद भोजन, तंबाकू का प्रचलन, पाउच और विभिन्न तरीके से तंबाकू की जो वैरायटी मिल रही है, उससे नई युवा पीढ़ी ज्यादा ग्रसित है| तंबाकू और पान-मसाले विभिन्न कैमिकल मिले होते हैं, उससे मुँह के भीतर की स्थिति विकट होती चली जाती है| पहली स्टेज में फाइब्रोसिस का शिकार हो जाता है| यह स्थिति प्री-कैंसर की होती है| इस स्थिति में मरीज का उपचार और निदान संभव है| फाइब्रोसिस के लक्षण यह होते हैं कि मुँह के भीतर कुछ सफेद स्पॉट आ जाते हैं या मुँह में जलन होने लगती है| मुख से संबंधित ज्यादातर बीमारी खान-पान व खासकर नशे के कारण होती है| भारत में किए गए अनुसन्धानों से पता चला है कि मुख में होने वाले कैंसर का प्रधान कारण खैनी अथवा जीभ के नीचे रखनी जाने वाली, चबाने वाली तंबाकू है| इसी प्रकार ऊपरी भाग में, जीभ में और पीठ में होने वाला कैंसर बीड़ी पीने के कारण होता है| सिगरेट गले के निचले भाग में कैंसर करती है और आंतड़ियों के कैंसर की भी संभावना पैदा कर देती है| यदि हमें एक स्वस्थ एवं खुशहाल जिन्दगी हासिल करनी है तो हमें तम्बाकू का प्रयोग हर हालत में छोड़ना ही होगा| ऐसा करना कोई मुश्किल काम नहीं है| तंबाकू का प्रयोग दृढ़ निश्चय  करके ही छोड़ा जा सकता है|

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