सबका मिशन हो विकसित भारत

निस्संदेह बैंकिंग सेक्टर में आई क्रांति के कारण आम लोग भी बैंकों से जुड़े हैं

सबका मिशन हो विकसित भारत

प्राय: कांग्रेस और उसके 'साथी दल' भाजपा और नरेंद्र मोदी पर 'सेकुलरिज्म' को लेकर हमला बोलते हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में जिन बिंदुओं का उल्लेख किया, वे 'विकसित भारत' के निर्माण की शक्ति व सामर्थ्य रखते हैं। उन पर सरकार को रणनीति बनाकर दृढ़ता से काम करने की जरूरत है। 

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'विकसित भारत' बनाना हर नागरिक का मिशन होना चाहिए। इसके लिए देशवासियों ने प्रधानमंत्री को अपनी ओर से कई सुझाव भी दिए हैं। उनमें से जो प्रासंगिक व उपयोगी हों, उन पर अमल होना चाहिए। आम आदमी अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में जिन समस्याओं का सामना करता है, वह उस संबंध में उन लोगों से बहुत बेहतर समझ रखता है, जिन्होंने उन्हें कभी महसूस ही नहीं किया। 

राजस्थान के कई गांवों में पानी का इंतजाम करना आज भी बड़ी चुनौती है। ऐसे इलाकों में कई महिलाओं के जीवन का एक बड़ा हिस्सा तो पानी भरने में ही बीत जाता था। हालांकि जल जीवन मिशन के तहत नए 12 करोड़ परिवारों को नल से जल पहुंचाने का काम सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। आज 15 करोड़ परिवार इसके लाभार्थी बन चुके हैं। इस सिलसिले को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने 'वोकल फॉर लोकल' पर जोर देते हुए 'एक जिला, एक उत्पाद' का उल्लेख किया, जिसका विस्तार गांवों तक करने की जरूरत है। क्यों न हर गांव किसी एक उत्पाद के निर्माण और उसकी गुणवत्ता के लिए जाना जाए! इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को प्रशिक्षित करना होगा। 

निस्संदेह बैंकिंग सेक्टर में आई क्रांति के कारण आम लोग भी बैंकों से जुड़े हैं। एक दशक पहले तक रेहड़ी या छोटी दुकान लगाकर व्यवसाय करते हुए बैंक के जरिए डिजिटल लेनदेन करना सपना ही था। कुछ विकसित देशों में जरूर इसका प्रचलन था, लेकिन आज भारत के यूपीआई की ताकत दुनिया देख रही है। निश्चित रूप से इस क्षेत्र में कई कीर्तिमान और बनने वाले हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में 'सेकुलर सिविल कोड' का उल्लेख कर स्पष्ट संकेत दे दिया कि देश कानूनी व सामाजिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाएगा। उन्होंने 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' या यूसीसी नहीं कहा! वास्तव में मोदी ने 'सेकुलर सिविल कोड' कहकर अपने राजनीतिक विरोधियों को उलझन में डाल दिया। 

प्राय: कांग्रेस और उसके 'साथी दल' भाजपा और नरेंद्र मोदी पर 'सेकुलरिज्म' को लेकर हमला बोलते हैं। अब जबकि मोदी लालकिले की प्राचीर से कह चुके हैं कि हमें 'सेकुलर सिविल कोड' की तरफ जाना होगा, तो 'सेकुलरिज्म' के 'ध्वजवाहक' दल तो पहले ही चक्रव्यूह में फंस गए! जब कभी सरकार इस दिशा में कदम बढ़ाएगी तो मोदी जोर देकर कहेंगे कि हम तो 'सेकुलरिज्म' को मजबूत करना चाहते हैं। ऐसे में विपक्षी दलों के लिए इसका विरोध करना काफी मुश्किल होगा। 

'यूनिफॉर्म सिविल कोड' सुनने-पढ़ने में बहुत तकनीकी लगता है, जिसके कई सही-गलत अर्थ पहले ही सोशल मीडिया पर खूब पोस्ट किए जा चुके हैं! उनमें से एक (गलत अर्थ) यह भी था कि 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' लागू होने के बाद सबको 'यूनिफॉर्म' अर्थात् एक जैसे कपड़े पहनने होंगे, आपकी धार्मिक पहचान और पहनावे को समाप्त कर दिया जाएगा! 

सोशल मीडिया पर ऐसी अधकचरी जानकारी हास्यास्पद लगती है, लेकिन इसके खतरे कम नहीं हैं। जब सीएए लाया गया था तो उग्र भीड़ ने कई जगह हिंसक प्रदर्शन किए थे। जब उनमें शामिल कई लोगों से इसकी वजह पूछी गई तो ज्यादातर का एक ही जवाब था कि इससे हमारी नागरिकता छीन ली जाएगी!

जबकि सच्चाई यह है कि सीएए का किसी की नागरिकता छीनने से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि यह नागरिकता देने का कानून है! 'सेकुलर सिविल कोड' एक सराहनीय पहल होगी। इसके लिए अभी से जनजागरूकता का अभियान चलाना चाहिए, ताकि किसी तरह की कोई भ्रांति न रहे।

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