बुरे काम का बुरा नतीजा
कर्म की गति ऐसी है कि उसका परिणाम किसी न किसी रूप में जरूर मिलता है
जब आतंकियों के पाप का घड़ा भर जाएगा तो न आईएसआई काम आएगी और न पाक फौज बचाएगी
बड़े-बुजुर्गों ने सत्य कहा है- 'बुरे काम का बुरा नतीजा।' पठानकोट हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ता और कुख्यात आतंकवादी शाहिद लतीफ की पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना के बाद इन शब्दों पर विश्वास और मजबूत हो जाता है। इन्सान को अपने कर्मों को लेकर बहुत सजग रहना चाहिए। अगर आज वह किसी निर्दोष को सता रहा है, किसी का हक मार रहा है, जानबूझकर नुकसान पहुंचा रहा है तो उसे इस ग़लतफ़हमी में नहीं रहना चाहिए कि वह हमेशा सुरक्षित रहेगा।
कर्म की गति ऐसी है कि उसका परिणाम किसी न किसी रूप में जरूर मिलता है। भले ही वह शख्स मजबूत किलेबंदी करके बैठ जाए। शाहिद लतीफ जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा था। जब वर्ष 2016 के आगमन पर दुनिया नए साल की खुशियां मना रही थी, यह आतंकवादी पठानकोट स्थित भारतीय वायुसेना अड्डे पर हमले की साजिशों को अंजाम दिलवा रहा था।भारतीय सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में चार आतंकवादी मारे गए थे, लेकिन हमले के असल गुनहगार तो सरहद पार थे। वे यह भ्रम पाले बैठे थे कि हमारा कोई क्या बिगाड़ लेगा! भारत पर हुए अन्य आतंकी हमलों के गुनहगार और अशांति फैलाने वाले तत्त्व भी यह सोचकर ख़ुश थे कि हम तो आईएसआई की छत्रछाया में बैठे हैं, यहां कोई नहीं पहुंच सकता। वे यह भूल गए थे कि कर्मफल सब जगह पहुंच जाता है। शाहिद लतीफ से पहले (सितंबर में) पीओके में आतंकवादी रियाज़ अहमद उर्फ अबू कासिम को अज्ञात हमलावरों ने मार गिराया था। वह लश्कर आतंकवादी ढांगरी हमले समेत कई वारदातों में शामिल रहा था।
वहीं, अल-बद्र के कमांडर सैयद खालिद रजा और जैश-ए-मोहम्मद के मिस्त्री जहूर इब्राहिम कराची में इसी तर्ज पर मारे जा चुके हैं। ये आतंकवादी आईसी 814 विमान के अपहरण की घटना में शामिल रहे थे। इसी तरह खालिस्तान कमांडो फोर्स के परमजीत सिंह पंजवार की लाहौर में किसी ने हत्या कर दी थी।
आईएसआई ऑपरेटिव लाल मोहम्मद, जो भारत की नकली मुद्रा छापने का मास्टर माइंड था, नेपाल में ढेर हो चुका है। कनाडा में खालिस्तानी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर का अंजाम सबके सामने है। गैंगस्टर सुखदुल सिंह उर्फ सुक्खा की भी कनाडा के शहर विन्निपेग में अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी थी। सूची लंबी है, लेकिन शांति के इन शत्रुओं को वही मिला, जो ये जीवनभर बांटते रहे- मौत। जून 2021 में वैश्विक आतंकवादी हाफिज सईद के पड़ोस में जोरदार धमाका हुआ था। उससे वह बच गया, लेकिन कब तक बचा रहेगा?
जब पाप का घड़ा भर जाएगा तो न आईएसआई काम आएगी और न पाक फौज बचाएगी। उस दिन दुनिया इन आतंकवादियों का भयानक अंत देखेगी। बड़ा सवाल है- इन आतंकवादियों का एक ही तर्ज पर कौन शिकार कर रहा है? पाकिस्तानी मीडिया में भारत की खुफिया एजेंसी 'रॉ' का नाम लिया जा रहा है। पिछले दिनों कनाडा की ओर से इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। रॉ कोई सशस्त्र संगठन नहीं है। उसका काम तो 'अनुसंधान और विश्लेषण' करना है।
उक्त आतंकवादी जिस तरह ढेर किए गए, उसमें इस बात की प्रबल संभावना है कि इनमें गुटबाजी और मतभेद उस स्तर पर पहुंच गए कि अब ये एक-दूसरे को ही उड़ाने लगे हैं। ध्यान रखें कि पाकिस्तान सभी आतंकवादियों को दो समूहों - 'अच्छे आतंकवादी' और 'बुरे आतंकवादी' में बांटकर देखता है। जो भारत या किसी अन्य देश को नुकसान पहुंचाते हैं, वह उन्हें 'अच्छे आतंकवादी' मानता है। वहीं, जो आतंकवादी उसके यहां धमाके करते हैं, उन्हें 'बुरे आतंकवादी' कहता है।
ये आतंकवादी मौका देखकर पाला बदलने से बाज़ नहीं आते। इनमें आंतरिक संघर्ष चलते रहते हैं। जब किसी आतंकवादी की महत्वाकांक्षाएं बहुत बढ़ जाती हैं तो वह या तो पाला बदल लेता है या अपने कमांडर को रास्ते से हटा देता है। चूंकि ये लोग हत्याएं करने के अभ्यस्त होते हैं, हर मामले का फैसला बंदूक से करना चाहते हैं। ऐसे में अपने साथी या 'उस्ताद' को मौत के घाट उतारने से नहीं हिचकते। हाफिज सईद, जकीउर्रहमान लखवी, दाऊद इब्राहिम, मसूद अजहर ... ये सभी देर-सबेर इसी तरह अपना कर्मफल पाएंगे।