कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए

उच्च न्यायालय ने जंगली हाथियों की आवाजाही के लिए हाथी गलियारा बनाने का निर्देश दिया

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए

मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वारले और न्यायमूर्ति एमजीएस कमल की खंडपीठ ने निर्देश दिया ...

बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक ‘कर्नाटक ग्रोवर्स फेडरेशन’ की एक याचिका का निस्तारण करते हुए मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने और इससे प्रभावित लोगों को सहायता मुहैया कराने के लिए मंगलवार को कई दिशा-निर्देश जारी किए।

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मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वारले और न्यायमूर्ति एमजीएस कमल की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि मानव बस्तियों में वन्यजीवों के प्रवेश से जुड़ी शिकायतें प्राप्त करने के लिए प्रत्येक तालुका में एक प्रकोष्ठ गठित किया जाए। इसके अलावा, अन्य उपाय करने के भी निर्देश दिये गए।

उच्च न्यायालय ने जंगली हाथियों की आवाजाही के लिए हाथी गलियारा बनाने का निर्देश दिया।

मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए राज्य सरकार को वन विभाग को पर्याप्त संसाधन मुहैया कराने का भी निर्देश दिया गया, जिनमें मानव संसाधन, वाहन और बुनियादी ढांचा शामिल हैं।

अदालत ने चौबीसों घंटे संचालित किए जाने वाले नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का भी निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रत्येक तिमाही बैठक करनी चाहिए, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जा सके और आवश्यक उपाय किए जा सकें।

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