विहिप ने समान नागरिक संहिता पर प्रधानमंत्री के बयान का समर्थन किया

विहिप ने समान नागरिक संहिता के विषय को नारी सम्मान से जोड़ते हुए सवाल किया ...

विहिप ने समान नागरिक संहिता पर प्रधानमंत्री के बयान का समर्थन किया

जब आपराधिक कानून, संवाद कानून, कारोबार से जुड़े कानून एक समान हैं तब परिवार से जुड़े कानून अलग क्यों हों?

नई दिल्ली/भाषा। विश्व हिंदू परिषद ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि एक समान कानून 1400 साल पुरानी स्थिति से वर्तमान में लाएगा।

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विहिप ने समान नागरिक संहिता के विषय को नारी सम्मान से जोड़ते हुए सवाल किया कि जब आपराधिक कानून, संवाद कानून, कारोबार से जुड़े कानून एक समान हैं तब परिवार से जुड़े कानून अलग क्यों हों?

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने अपने बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता बनाने पर बल दिया। इसका कुछ राजनीतिक दलों और मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं ने विरोध किया है। विश्व हिंदू परिषद प्रधानमंत्री की बात से सहमत है।’

उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में सभी सरकारों को यह निर्देश दिया गया है कि वे एक समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास करें। कुमार ने कहा, ‘मुझे आश्चर्य है कि संविधान बनने के 73 साल बाद जो सांसद और विधायक संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने की शपथ लेते हैं, वे इसका पालन नहीं कर सके।’

विहिप के कार्याध्यक्ष ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी सरला मुद्गल एवं अन्य के मुकदमे में कहा कि अलग अलग नागरिक संहिता ठीक नहीं है।

आलोक कुमार ने कहा कि जब देश में आपराधिक कानून एक हैं, भारतीय संविदा कानून (कॉन्ट्रैक्ट लॉ) एक हैं, वाणिज्यिक कानून एक हैं, कारोबार से जुड़े कानून एक हैं, तब परिवार संबंधी कानून अलग अलग क्यों हैं?

उन्होंने कहा कि 1400 साल पुरानी स्थिति अलग थी और उस समय की परिस्थिति में बहु विवाह की प्रथा आई, वह तब की जरूरत हो सकती है। ‘समय बदला है। नारी की गरिमा और समानता की बात सभी को स्वीकार करनी चाहिए। वह (नारी) पुरुष की सम्पत्ति नहीं है।'

उन्होंने कहा कि ऐसे में किसी तरह के भेदभाव को समान नागरिक संहिता से दूर किया जा सकता है।

कुमार ने कहा कि तलाक के नियम सभी के लिए एक जैसे हों और केवल मौखिक कह देने से तलाक नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तलाक की स्थिति में गुजारा भत्ते की व्यवस्था की जानी चाहिए तथा बच्चों की परवरिश की चिंता की जानी चाहिए।

आलोक कुमार ने कहा कि एक समान कानून हमें 1400 साल पुरानी स्थिति से वर्तमान में लाएगा। उन्होंने कहा, ‘ऐसी अपेक्षा की जाती है कि सभी धर्मों से अच्छी बातें लेकर एक ऐसा कानून बनेगा, जो सभी के लिए जो अच्छा होगा।’

गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता लंबे समय से भाजपा के तीन प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया था कि ‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’ उन्होंने कहा था कि इस संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है।

विपक्षी पार्टियों ने समान नागरिक संहिता से जुड़ी टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन पर महंगाई एवं बेरोजगारी जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास करने का आरोप लगाया।

विपक्षी दलों ने सवाल किया था कि क्या यूसीसी के नाम पर देश के बहुलवाद और विविधता को ‘छीन लिया जाएगा।’

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