स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय पहचान दिला रही 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' योजना

कर्नाटक में 21 स्टेशनों पर काम कर रहे ओएसओपी स्टॉल

स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय पहचान दिला रही 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' योजना

ओएसओपी स्टॉलों का उद्देश्य स्थानीय उद्यमिता, स्वयं सहायता समूहों, स्थानीय कारीगरों और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। रेल मंत्रालय ने 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' (ओएसओपी) योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य भारत सरकार के 'वोकल फॉर लोकल' विजन को बढ़ावा देना है, ताकि स्थानीय/स्वदेशी उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराया जा सके और वंचितों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर पैदा किए जा सकें। 

योजना के तहत, रेलवे स्टेशनों पर ओएसओपी आउटलेट्स को स्वदेशी/स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित करने, बेचने और बढ़ावा देने के लिए आवंटित किया जाता है। योजना का पायलट प्रोजेक्ट 25 मार्च, 2022 को शुरू किया गया था और एक माई, 2023 तक देशभर के 21 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 785 ओएसओपी आउटलेट्स के साथ 728 स्टेशनों को कवर किया गया है।

अखिल भारतीय एकरूपता के लिए, स्टॉलों को राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान द्वारा डिज़ाइन किया गया है, जो सुविधाजनक भंडारण स्थान के साथ-साथ उत्पादों के प्रदर्शन के लिए जगह प्रदान करता है। कर्नाटक में, विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर 21 ओएसओपी स्टॉल चालू हैं। ओएसओपी उस स्थान के लिए विशिष्ट हैं और इनमें जनजातियों द्वारा बनाई गईं कलाकृतियां, स्थानीय बुनकरों द्वारा हथकरघा, हस्तशिल्प आदि शामिल हैं।

इस योजना के तहत उत्पाद 'हस्तशिल्प / कलाकृतियां, कपड़ा और हथकरघा, पारंपरिक वस्त्र और स्थानीय कृषि उत्पाद (बाजरा सहित)/प्रसंस्कृत/अर्द्ध प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ' श्रेणियों में शामिल हैं।

उदाहरण के लिए, केएसआर बेंगलूरु में ओएसओपी स्टॉल पर चन्नापटना खिलौने, तुमकूरु में नारियल उत्पाद, अरसीकेरे स्टेशन पर पारंपरिक कोल्ड-प्रेस्ड तेल आदि का प्रदर्शन किया जाता है।

क्या कहते हैं विक्रेता?

श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी हुब्बली रेलवे स्टेशन पर, हुब्बली स्थित एक एमएसएमई वेदागिरि फार्मास्यूटिकल्स के राचप्पा तंबरल्ली ने कहा कि उन्हें रेल मंत्रालय की इस पहल से लाभ हुआ है, क्योंकि अधिक से अधिक यात्री, जो कर्नाटक के साथ-साथ अन्य राज्यों से भी आते हैं, उनके स्टॉल का अवलोकन कर रहे हैं। 

इससे उन्हें अपनी बिक्री बढ़ाने और ग्राहक आधार बढ़ाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि कई ग्राहक फोन पर भी ऑर्डर देकर नियमित रूप से उनके उत्पाद (आयुर्वेदिक तेल आदि) खरीद रहे हैं।

महिला उद्यमियों को मिली मदद

बेलगावी स्टेशन पर, ओएसओपी को मीनाक्षी स्वयं सहायता समूह एसएचजी, चचड़ी गांव (सौंदत्ती तालुक) को आवंटित किया गया है। एसएचजी की मीनाक्षी ने कहा कि इस स्टॉल ने महिला उद्यमियों को आगे आने में मदद की है और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया है। उन्होंने स्टॉल के डिजाइन की भी प्रशंसा की, जो उन्हें घर में बने खाने को आसान तरीके से स्टोर करने और प्रदर्शित करने में सक्षम बनाता है।

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रेलवे का आभार व्यक्त किया

इसी तरह, बेंगलूरु छावनी स्टेशन पर, नागाश्री वाईआर, चिंतामणि, जिला चिक्काबल्लापुर को ओएसओपी आवंटित किया गया है। नागश्री वाईआर, जो बाजरा और ऑर्गेनिक शहद बेचती हैं, ने कहा कि बेंगलूरु में अपनी उपज का विपणन करने में गर्व महसूस करती हैं। उन्होंने महिला उद्यमियों का सहयोग करने के लिए रेलवे का आभार व्यक्त किया।

इस पहल से बहुत फायदा 

केएसआर बेंगलूरु रेलवे स्टेशन पर, कुटीर उद्योग बालाजी हैंडीक्राफ्ट्स के वी प्रकाश ने कहा कि उन्हें रेल मंत्रालय की इस पहल से बहुत फायदा हुआ है, क्योंकि उनके उत्पाद कर्नाटक के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि चन्नापटना के खिलौने अब बेंगलूरु स्टेशन आने वाले पर्यटकों के बीच अधिक से अधिक लोकप्रिय हो गए हैं।

आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं

दावणगेरे रेलवे स्टेशन पर, अक्कानागम्मा खादी ग्रामोद्योग कैगारिका महिला मंडली की सकाम्मा खादी के कपड़े बेच रही हैं। इसी तरह सुब्रह्मण्य रोड स्टेशन पर धर्मस्थल ग्रामोद्योग संस्था कृषि उत्पाद और कपड़े के उत्पाद बेचने के लिए ओएसओपी स्टॉल चला रही है। इस योजना ने विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने में मदद की है।

ओएसओपी स्टॉलों का उद्देश्य 'वोकल फॉर लोकल' की भावना से स्थानीय उद्यमिता, स्वयं सहायता समूहों, स्थानीय कारीगरों और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है।

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