बूटों से बगावत
रावलपिंडी के जनरल यह सोचकर हैरान हैं कि जनता ने इतनी सख्त प्रतिक्रिया क्यों दी?
आज पाकिस्तानी जनता इमरान के उन्माद में ही सही, फौजी बूटों को चुनौती दे रही है
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की गिरफ्तारी के बाद इस पड़ोसी मुल्क में जैसे हालात पैदा हो गए हैं, वह उसकी फौज के लिए बड़ा सबक है। इससे पहले भी पाक फौज के खिलाफ नागरिकों में आक्रोश उभरता रहा है, लेकिन अब जिस तरह लोगों ने रावलपिंडी स्थित मुख्यालय में घुसकर नारेबाजी की, उससे पता चलता है कि उनके सब्र का बांध टूट गया है।
पाकिस्तान का सरकारी मीडिया तो इस समय भी फर्जी ख़बरें फैला रहा है, जिस तरह वह वर्ष 1971 में फैलाया करता था। असल तस्वीर तो पाकिस्तानी जनता की ओर से आ रही है। इन लोगों ने लाहौर में कोर कमांडर के घर में घुसकर धावा बोल दिया। घटनास्थल के वीडियो भी खूब शेयर किए जा रहे हैं, जिनमें साफ देखा जा सकता है कि पाकिस्तानी जनता के दिलों में अपनी फौज के भ्रष्ट अधिकारियों के लिए कितना गुस्सा है।यह कहने को तो लाहौर कोर कमांडर का आवास था, लेकिन असल में किसी आलीशान महल से कम नहीं था। उसमें महंगा सामान, बेशकीमती सजावटी सामग्री, घड़ियां, स्विमिंग पूल ... और भी न जाने क्या-क्या मौजूद था। एक ओर तो जहां पाकिस्तान में आम अवाम आटे के लिए तरस रही है, वहीं पाकिस्तान के भ्रष्ट फौजी अधिकारी ऐश कर रहे हैं। आखिर इन सबके लिए पैसा कहां से आया होगा?
निश्चित रूप से उन्होंने जनता के हक पर डाका मारा था। अपने वेतन से कोई अधिकारी इतना बड़ा महल कैसे खड़ा कर सकता है? पाकिस्तानी जनता ने न केवल तोड़फोड़ मचाई, बल्कि जिसके जो चीज हाथ लगी, वह लेकर चलता बना। एक युवक यह कहते हुए दुर्लभ किस्म का मोर ले गया कि यह जनता का धन है। कुछ लोग एक तोप को ठेले की तरह धकेलते ले गए। हालांकि उनके लिए इसकी कोई उपयोगिता नहीं है।
रावलपिंडी के जनरल यह सोचकर हैरान हैं कि जनता ने इतनी सख्त प्रतिक्रिया क्यों दी? जिस तरह आनन-फानन में इमरान को गिरफ्तार किया गया, उसकी योजना पहले ही जीएचक्यू में बन गई थी। निश्चित रूप से फौज को इसका अंदाजा था कि लोग नाराज होंगे, विरोध प्रदर्शन करेंगे, लेकिन उन्होंने तो सीधे फौज पर ही धावा बोल दिया! वहां अब तक कई वाहनों और सरकारी इमारतों को फूंक दिया गया है। पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो बहुत लोकप्रिय नेता हुआ करते थे। उन्हें फांसी दे दी गई तो जनता ने विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन वह भी इस स्तर का नहीं था।
आज पाकिस्तानी जनता फौजी अफसरों के महलों में हुड़दंग मचाती घूम रही है। उसकी ओर से ऐसी प्रतिक्रिया बहुत देर से आई है। अगर उसने इतनी ही या इससे कुछ कम सख्त प्रतिक्रिया अय्यूब खान, जिया-उल हक और परवेज मुशर्रफ के दौर में दी होती तो आज आटा मांगने की नौबत नहीं आती। पाकिस्तान की जनता की दुर्गति के जिम्मेदार ये फौजी तानाशाह हैं।
जिन जनरलों ने तख्तापलट नहीं किया और पर्दे के पीछे से हुकूमत करते रहे, वे भी इस गुनाह में बराबर के भागीदार हैं। पाकिस्तानी फौज ने आम जनता को अपने बूटों तले दबाकर रखा है। लोगों का ध्यान इस ओर न जाए, इसलिए उनके दिमाग में आतंकवाद का जहर घोला गया, भारत को लेकर झूठ फैलाया गया।
आज पाकिस्तानी जनता इमरान के उन्माद में ही सही, फौजी बूटों को चुनौती दे रही है। जब लोग कोर कमांडर के महल में दाखिल हुए तो हैरान रह गए। चमचमाते फर्श, एसी, स्विमिंग पूल, शानदार रोशनी, महंगी गाड़ियां ... ये चीजें उन्होंने सपने में भी नहीं देखी थीं। कुछ लोग तो इतने उत्साहित थे कि वे फ्रिज खोलकर आइसक्रीम और अन्य चीजें भी खा गए!
भारत के लिए यह समय बहुत सजग रहने का है, क्योंकि उधर मामला हाथ से निकलते देख पाकिस्तानी फौज एलओसी पर टकराव बढ़ा सकती है। इस तरह वह भड़की हुई जनता को फर्जी राष्ट्रवाद के जरिए अपने पाले में लाने का दांव चल सकती है। अगर भारत की जवाबी कार्रवाई में पाक के कुछ फौजी मारे भी जाते हैं तो उसके अफसरों को इसकी कोई परवाह नहीं होगी।