देश को आगे लेकर जाना है, लेकिन रास्ते में तोड़ने वाली ताकतें, भटकाने वाले लोग भी मिलेंगे: मोदी
प्रधानमंत्री ने सौराष्ट्र-तमिल संगमम को संबोधित किया
'भारत कठिन से कठिन हालात में भी कुछ नया करने की ताकत रखता है'
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सौराष्ट्र-तमिल संगमम को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैं गद्गद हृदय से आज तमिलनाडु से आए अपनों के बीच वर्चुअली उपस्थित हूं। इतनी बड़ी संख्या में आप सब अपने पूर्वजों की धरती पर आए हैं, अपने घर आए हैं। आपके चेहरों की ख़ुशी देख मैं कह सकता हूं कि आप ढेरों यादें और भावुक अनुभव यहां से लेकर जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महान सौराष्ट्र-तमिल संगमम के माध्यम से, हम अतीत की अमूल्य स्मृतियों को फिर से देख रहे हैं, वर्तमान की आत्मीयता और अनुभवों को देख रहे हैं, और भविष्य के लिए संकल्प और प्रेरणा ले रहे हैं!प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत विविधता को विशिष्टता के रूप में जीने वाला देश है। हम अलग-अलग भाषाओं और बोलियों को, कलाओं और विषयों का उत्सव मानते हैं। हमारी यह विविधता हमें बांटती नहीं है, बल्कि हमारे बंधन को मजबूत बनाती है। हम जानते हैं कि अलग-अलग धाराएं जब साथ आती हैं तो संगम का सृजन होता है। हम इन परंपराओं को सदियों से पोषित करते आए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज आजादी के अमृतकाल में हम सौराष्ट्र-तमिल संगमम जैसे सांस्कृतिक आयोजनों की एक नई परंपरा के गवाह बन रहे हैं। यह संगम नर्मदा और वैगई का संगम है। यह संगम डांडिया और कोलाट्टम का संगम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारे पास वर्ष 2047 के भारत का लक्ष्य है। हमें देश को आगे लेकर जाना है, लेकिन रास्ते में तोड़ने वाली ताकतें और भटकाने वाले लोग भी मिलेंगे। भारत कठिन से कठिन हालात में भी कुछ नया करने की ताकत रखता है। सौराष्ट्र और तमिलनाडु का साझा इतिहास हमें यह भरोसा देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें सांस्कृतिक टकराव नहीं, तालमेल पर बल देना है। हमें संघर्षों को नहीं, संगमों और समागमों को आगे बढ़ाना है। हमें भेद नहीं खोजने, भावनात्मक संबंध बनाने हैं। यही भारत की वो अमर परंपरा है, जो सबको साथ लेकर समावेश के साथ आगे बढ़ती है, सबको स्वीकार कर आगे बढ़ती है।