अब जिस कार्य की नींव रखी जाती है, उसे तेजी से पूरा करने का भी भरसक प्रयास किया जाता है: मोदी
'यह हमारा सिलवासा अब पहले वाला नहीं है, अब यह कॉस्मो-पॉलिटन हो गया है'
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने पिछले नौ वर्षों में देश में एक नई कार्यशैली विकसित की है
सिलवासा/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दादरा और नगर हवेली के सिलवासा में विभिन्न विकास कार्यों की शुरुआत की। इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे, स्कूलों और जलापूर्ति के लिए केंद्र ने पिछले पांच वर्षों में 5,500 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई कल्पना नहीं कर सकता है कि इतने छोटे क्षेत्र में चारों दिशा में आधुनिक और तेज गति से विकास कैसा होता है, यह हमने देखा है। यह हमारा सिलवासा अब पहले वाला नहीं है, अब यह कॉस्मो-पॉलिटन हो गया है। हिंदुस्तान का कोई कोना ऐसा नहीं होगा, जिसके लोग सिलवासा में न रहते हों।प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने पिछले नौ वर्षों में देश में एक नई कार्यशैली विकसित की है। अब जिस कार्य की नींव रखी जाती है, उसे तेजी से पूरा करने का भी भरसक प्रयास किया जाता है। एक काम पूरा करते ही हम दूसरा काम शुरू कर देते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर चल रही है। देश के हर क्षेत्र का विकास हो, देश के हर क्षेत्र का संतुलित विकास हो, इस पर हमारा बहुत जोर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का यह भी दुर्भाग्य रहा है कि अनेक दशकों तक विकास को राजनीति के वोटबैंक के तराजू पर ही तोला गया। प्रोजेक्ट्स की घोषणाएं होती थीं, लेकिन कहां से कितना वोट मिलेगा, किस वर्ग को खुश करने से वोट मिलेगा। जिनकी पहुंच नहीं थी, जिनकी आवाज कमजोर थी, वो अभाव में रहे और विकास यात्रा में पीछे छूटते गए। यही कारण है कि हमारे आदिवासी और सीमावर्ती क्षेत्र विकास से वंचित रह गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जिस मेडिकल कॉलेज को अपना कैंपस मिला है, वह इस अन्याय का बहुत बड़ा साक्षी रहा है। आजादी के दशकों बीत गए, लेकिन दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली में एक मेडिकल कॉलेज नहीं बना था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सेवा-भावना यहां के लोगों की पहचान है। कोरोना के समय में यहां के मेडिकल स्टूडेंट्स ने आगे बढ़कर लोगों की मदद की थी। आप लोगों ने ग्राम गोद लेने का जो कार्यक्रम चलाया था, उसका जिक्र मैंने 'मन की बात' में भी किया था।