शरण को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग करने के बाद पहलवानों ने धरना समाप्त किया

सरकार से आश्वासन मिलने के बाद खिलाड़ियों ने शुक्रवार देर रात अपना धरना समाप्त कर दिया

शरण को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग करने के बाद पहलवानों ने धरना समाप्त किया

समाधान के पहले कदम के तहत डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग करना है

नई दिल्ली/भाषा। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) और आंदोलनकारी पहलवानों के बीच पिछले कुछ दिनों से चल रहा गतिरोध फिलहाल कुछ समय के लिए खत्म हो गया, क्योंकि सरकार से आश्वासन मिलने के बाद खिलाड़ियों ने शुक्रवार देर रात अपना धरना समाप्त कर दिया।

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खिलाड़ियों की शिकायतों के समाधान के पहले कदम के तहत निशाने पर आए डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग करना है।

केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ दूसरे दौर की बातचीत में गतिरोध दूर होने पर विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और रवि दहिया सहित अन्य पहलवानों ने जंतर-मंतर पर तीन दिन से चल रहा अपना धरना समाप्त करने का फैसला किया।

सरकार ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक निगरानी समिति गठित करने का फैसला किया है। समिति के सदस्यों के नामों की घोषणा अभी नहीं की गई है। यह समिति महासंघ के रोजमर्रा के काम को भी देखेगी।

खेल मंत्री ठाकुर और आंदोलनकारी पहलवानों के देर रात संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के बाद पिछले तीन दिनों से चला आ रहा गतिरोध समाप्त हुआ। इस संवाददाता सम्मेलन में ही खेल मंत्री ने समिति गठित करने की घोषणा की और कहा कि वह एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।

ठाकुर ने लगभग पांच घंटे तक चली बैठक के बाद कहा, ‘एक निगरानी समिति बनाने का फैसला किया गया है, जिसके सदस्यों के नामों की घोषणा कल (शनिवार) की जाएगी। समिति चार हफ्ते में जांच पूरी करेगी। वह डब्ल्यूएफआई और इसके अध्यक्ष के खिलाफ वित्तीय या यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों की गंभीरता से जांच करेगी।’

उन्होंने बताया, ‘जांच पूरी होने तक वह (सिंह) अलग रहेंगे और जांच में सहयोग करेंगे, जबकि डब्ल्यूएफआई के रोजमर्रा के काम को निगरानी समिति देखेगी।’

पहलवानों की तरफ से ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने कहा कि वह विरोध का रास्ता नहीं अपनाना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया।

तोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग ने कहा, ‘हमारा विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गया है। हम धरने पर नहीं बैठना चाहते थे, लेकिन पानी सर से ऊपर चला गया था। सरकार ने हमें सुरक्षा का आश्वासन भी दिया है, क्योंकि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष से हमें अतीत में भी धमकी मिलती रही है।’

खेल मंत्री या पहलवानों में से किसी ने भी पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दिया।

इससे एक दिन पहले पहलवानों ने कहा था कि वह डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज कराएंगे लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

इसे पहलवानों की बड़ी जीत तो नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उन्होंने पहले कहा था कि वह तब तक अपना धरना जारी रखेंगे जब तक कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष को बर्खास्त करके महासंघ को भंग नहीं किया जाता।

हालांकि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के संविधान के अनुसार किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) को तब तक भंग नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उसने आईओए के किसी नियम या दिशानिर्देश का उल्लंघन नहीं किया हो या फिर विश्व संस्था ने उसकी मान्यता रद्द नहीं की हो।

गौरतलब है कि पहलवानों ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न को लेकर अभी तक पुख्ता सबूत पेश नहीं किए हैं।

इससे पहले पहलवानों ने आईओए के पास जाकर जांच करने का आग्रह किया था। आईओएन ने उनकी मांगों पर गौर करते हुए एमसी मैरीकॉम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय जांच समिति गठित की।

आईओए के पैनल में पहलवान योगेश्वर दत्त, तीरंदाज डोला बनर्जी और भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष और आईओए के कोषाध्यक्ष सहदेव यादव भी शामिल हैं।

इस समिति में दो वकील तालिश रे और श्लोक चंद्रा भी शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी और आईओए की संयुक्त सचिव अलकनंदा अशोक भी समिति का हिस्सा हैं। उन्हें समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया है।

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