बिहार में जहरीली शराब पीने से मृतकों की संख्या 26 हुई
बुधवार रात मृतक संख्या 21 थी, जो आज बढ़कर 26 हो गई
चुनावी रणनीतिकार एवं कार्यकर्ता प्रशांत किशोर ने शराबबंदी कानून को वापस लेने का अनुरोध किया है
पटना/भाषा। पूर्ण शराबबंदी लागू कर चुके बिहार के सारण जिले में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बृहस्पतिवार को बढ़कर 26 हो गई।
सारण जिला मजिस्ट्रेट राजेश मीणा ने बताया कि बुधवार रात मृतक संख्या 21 थी, जो आज बढ़कर 26 हो गई।सारण के सिविल सर्जन-एवं-चिकित्सा अधिकारी प्रभारी डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि प्रभावित गांवों में उन घरों में मौत के मामले सामने आए हैं, जहां ये लोग कुछ नशीला पदार्थ पीने के बाद बीमार पड़ गए थे लेकिन कानून के दायरे में आने के डर से उन्होंने इसकी शिकायत नहीं की।
इस घटना को लेकर लगातार दूसरे दिन भी राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत ‘महागठबंधन’ सरकार और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला।
विपक्षी दल ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और शराबबंदी कानून के प्रावधानों की ‘समीक्षा’ किए जाने और पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की।
हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने उस रुख पर कायम रहे कि शराबबंदी ‘मेरी व्यक्तिगत इच्छा से लागू नहीं की गई, बल्कि राज्य की महिलाओं के अनुरोध पर इसे लागू किया गया।’
चुनावी रणनीतिकार एवं कार्यकर्ता प्रशांत किशोर ने इस कानून को वापस लेने का अनुरोध किया है।
शिवहर जिले में उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘प्रतिबंध के कारण बिहार एक मखौल बन रहा है। कानून को किसी समीक्षा की जरूरत नहीं है, उसे तुंरत वापस लिया जाना चाहिए। समय आ गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उनके साथ चार साल सत्ता में रही भाजपा और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की राजद (राष्ट्रीय जनता दल) सहित सभी राजनीतिक दल पाखंड छोड़ें और वोट की चिंता किए बिना फैसला करें।’
गौरतलब है कि नीतीश कुमार नीत सरकार ने अप्रैल 2016 से बिहार में शराब उत्पादन, खरीद, बिक्री, सेवन आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।
नीतीश कुमार के आज विधानसभा पहुंचने पर भाजपा के विधायकों ने नारेबाजी की। विधायकों ने बाद में सदन की कार्यवाही भी बाधित करने की कोशिश की। वे हाथ में पोस्टर लिए लगातार नारेबाजी करते दिखे।
विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने मार्शल से उनके हाथों से पोस्टर व तख्तियां लेने को कहा और भाजपा विधायकों की लगातार नारेबाजी के बीच कार्यवाही आगे बढ़ाई।
इसके बाद अध्यक्ष पर ‘सत्तारूढ़ दल का पक्ष लेने’ का आरोप लगाते हुए भाजपा ने सदन से बहिर्गमन किया।