'पद्म भूषण' पाने के बाद भारत के बारे में क्या बोले सुंदर पिचाई?

तमिलनाडु के मदुरै में जन्मे पिचाई का नाम उन 17 लोगों की सूची में था, जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया

'पद्म भूषण' पाने के बाद भारत के बारे में क्या बोले सुंदर पिचाई?

पिचाई ने कहा कि इस खूबसूरत पुरस्कार को वह कहीं सुरक्षित रखेंगे

वॉशिंगटन/भाषा। गूगल और अल्फाबेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुंदर पिचाई ने कहा है कि वे हमेशा खुद को भारत से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं और जहां कहीं भी जाते हैं अपनी भारतीय पहचान को साथ लेकर जाते हैं।

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पिचाई ने यह बात भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से नवाजे जाने के अवसर पर कही।

पिचाई ने कहा, ‘भारत मेरा एक हिस्सा है और मैं जहां कहीं भी जाता हूं इसे अपने साथ लेकर जाता हूं।’

भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक पिचाई को व्यापार और उद्योग श्रेणी में वर्ष 2022 के लिए पद्म भूषण से नवाजा गया। उन्हें यह सम्मान अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने प्रदान किया।

पिचाई को शुक्रवार को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में उनके परिवार के करीबी सदस्यों की उपस्थिति में यह पुरस्कार प्रदान किया गया। तमिलनाडु के मदुरै में जन्मे पिचाई का नाम उन 17 लोगों की सूची में था, जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया।

पिचाई (50) ने अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू से यह सम्मान स्वीकार करते हुए कहा, ‘मैं इस सम्मान के लिए भारत सरकार और भारत के लोगों का हृदय से आभारी हूं। भारत मेरा एक हिस्सा है, और मैं गूगल तथा भारत के बीच महान साझेदारी को जारी रखने की आशा करता हूं, क्योंकि हम अधिक लोगों तक प्रौद्योगिकी के लाभ पहुंचाने के लिए मिलकर काम करते हैं।’

गूगल के सीईओ ने कहा, ‘भारत मेरा एक हिस्सा है और मैं जहां भी जाता हूं इसे अपने साथ ले जाता हूं। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैं एक ऐसे परिवार में पला-बढ़ा, जहां सीखने और ज्ञान प्राप्त करने की इच्छाशक्ति को महत्व देकर इसे संजोया गया। मेरे माता-पिता ने यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत त्याग किया कि मुझे अपनी रुचियों के अनुरूप अपना करियर बनाने के अवसर मिलें।’

पिचाई ने कहा कि इस खूबसूरत पुरस्कार को वह कहीं सुरक्षित रखेंगे।

उन्हें सम्मानित करने के लिए आयोजित समारोह के दौरान सैन फ्रांसिस्को में भारत के महावाणिज्यदूत टीवी नागेंद्र प्रसाद भी मौजूद थे। संधू ने कहा कि पिचाई परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी की असीम संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

संधू ने कहा, ‘सुंदर पिचाई दुनिया के विभिन्न हिस्सों में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल उपकरण और कौशल को सुलभ बनाने की दिशा में सराहनीय प्रयास कर रहे हैं।’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 3-एस- गति (स्पीड), सरलता (सिंप्लिसिटी) और सेवा (सर्विस) को संयोजित करने वाली प्रौद्योगिकी के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए संधू ने आशा व्यक्त की कि गूगल भारत में हो रही डिजिटल क्रांति का पूरा उपयोग करेगा।

पिचाई ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में कई बार भारत जाने का मौका मिला और वहां तकनीकी परिवर्तन की तीव्र गति को देखना एक आश्चर्यजनक अनुभव रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली से लेकर आवाज प्रौद्योगिकी तक जैसे नवाचार दुनिया भर के लोगों को लाभान्वित कर रहे हैं।

गूगल के सीईओ ने कहा, ‘मैं गूगल और भारत के बीच महान साझेदारी को जारी रखने की आशा करता हूं, क्योंकि हम प्रौद्योगिकी के लाभों को अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए मिलकर काम करते हैं।’

पिचाई ने कहा कि व्यावसायिक क्षेत्र डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन का लाभ उठा रहे हैं, और पहले से कहीं अधिक लोगों की इंटरनेट तक पहुंच है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी का डिजिटल इंडिया का दृष्टिकोण निश्चित रूप से उस प्रगति को गति देने वाला रहा है और मुझे गर्व है कि गूगल दो परिवर्तनकारी दशकों में सरकारों, व्यवसायों और समुदायों के साथ भागीदारी करते हुए भारत में निवेश करना जारी रखे हुए है।’

पिचाई ने कहा, ‘हमारे दरवाजे पर आई हर नई तकनीक ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है। और उस अनुभव ने मुझे गूगल के रास्ते पर और दुनिया भर के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने वाली तकनीक बनाने में मदद करने का मौका दिया है।’

भारत के जी-20 समूह की अध्यक्षता हासिल करने पर पिचाई ने कहा, ‘यह खुले, सुरक्षित और सभी के लिए काम करने वाले इंटरनेट को आगे बढ़ाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर आम सहमति बनाने का एक अद्भुत अवसर है। यह एक लक्ष्य है जिसे हम साझा करते हैं, और आपके साथ आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

भारत की जी-20 की अध्यक्षता का कार्यकाल आधिकारिक तौर पर बृहस्पतिवार से शुरू हो गया।

गौरतलब है कि गूगल ने इस वर्ष मशीन लर्निंग में एक नई प्रगति का उपयोग करते हुए अपनी अनुवाद सेवा में 24 नयी भाषाएं जोड़ीं, जिनमें से आठ भारत की मूल भाषाएं हैं।

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