जन्मदिन पर क्यों नहीं बुझानी चाहिए फूंक से मोमबत्तियां? ये है इसका रहस्य

जन्मदिन पर क्यों नहीं बुझानी चाहिए फूंक से मोमबत्तियां? ये है इसका रहस्य

नए साल का प्रारंभ अंधेरे से करना देव संस्कृति का परिचायक नहीं हो सकता। बेहतर होगा कि इस अवसर पर मंदिर में एक दीपक प्रज्वलित करें। इससे न केवल प्रकाश होगा, बल्कि आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।

बेंगलूरु। जन्मदिन मनाना चाहिए या नहीं, इस संबंध में अनेक मत हो सकते हैं, पर इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि यह हर व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है। लोग अपना जन्मदिन कई तरीकों से मनाते हैं। ग्रामीण भारत में आज भी परंपरागत रूप से तिथिगणना के अनुसार जन्मदिन मनाया जाता है। पिछले कुछ दशकों में टीवी और सोशल मीडिया के प्रसार के बाद पाश्चात्य तरीके से भी जन्मदिन मनाया जाने लगा है।

आप जानते ही होंगे कि पाश्चात्य तरीके से जन्मदिन मनाते वक्त केक काटा जाता है। इस अवसर पर मोमबत्तियां जलाने के बाद उन्हें फूंक मारकर बुझाया जाता है। वैसे तो यह अपनी-अपनी पसंद है, परंतु भारतीय संस्कृति के अनुसार यह तरीका ठीक नहीं है। हमारे देश में अग्नि को बहुत पवित्र माना जाता है। शास्त्रों में इसे देवता की संज्ञा दी गई है, क्योंकि यह मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

इसे मुंह से फूंक मारकर बुझाना शुभ नहीं माना जाता। इसके अलावा यह भी चिंतन का विषय है कि जन्मदिन जैसे अवसर पर प्रकाश के प्रतीक को बुझाना कहां तक उचित है। नए साल का प्रारंभ अंधेरे से करना देव संस्कृति का परिचायक नहीं हो सकता। बेहतर होगा कि इस अवसर पर मंदिर में एक दीपक प्रज्वलित करें। इससे न केवल प्रकाश होगा, बल्कि आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।

जन्मदिन पर पार्टी के नाम पर शोरगुल, फिजूलखर्ची, अभद्र कार्य करने से अच्छा है कि एक पेड़ लगाएं, बड़ों से आशीर्वाद लें और किसी जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र आदि दें। इससे आशीष की प्राप्ति होगी, स्वयं का और दूसरों का कल्याण होगा।

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