बयान बीमारी का कीट
बयान बीमारी का कीट
विवाद राजनीति की खुराक होता है। इसे हाशिये के अंदर बाहर का खेल समझें। विवाद का लाभ उठाने के बाद उसकी प्रतिक्रिया झेलने की नीयत और हिम्मत सबकी नहीं होती। शशि थरूर की नीयत भी यही है कि वह कुछ बोलें तो लोग सुनें, उस पर प्रतिक्रिया न दें…वरना वह माफी मांग लेंगे। पहले पद्मावती पर बयान दिया, प्रतिक्रिया में खरीखोटी सुननी प़डी, माफी मांगी। अब विश्व सुंदरी बनी मानुषी छिल्लर पर बयान दिया, प्रतिक्रिया में खरीखोटी सुननी प़डी, माफी मांगी। विवाद का मजा लूटना उनके मिजाज का हिस्सा बन चुका है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व राजनयिक और पूर्व केंद्रीय मंत्री जैसे तमगे अब शशि थरूर की मुख्य पहचान नहीं रहे। फिर भी मानुषी छिल्लर वाले बयान पर अनुपम खेर ने उनसे ट्विटर पर पूछ लिया कि आप इतना नीचे कैसे गिर गए? यह बात अलग है कि थरूर ने अपने बयान के लिए खेर के हमले से पहले ही माफी मांग ली थी। माफी मांगने में क्या जाता है? माफी मांगना ब़डप्पन ही तो है! बहरहाल, मानुषी छिल्लर को चिल्लर बना डालने पर उन्हें किसने माफ किया, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। थरूर के अगले बयान पर आने वाली प्रतिक्रियाओं से ही यह बात शायद स्पष्ट हो। इस प्रसंग में यह भी याद आता है कि बिना तौले हुए बोले गए शब्दों के लिए लोगों के विवाद में घिरने का यह दृश्य पहली बार सामने नहीं आया है। दिग्विजय सिंह ने अपनी बोली वाणी से कई बार कांग्रेस की लुटिया डुबोई थी। आजकल वह कुछ खास सक्रिय नहीं लग रहे हैं। दूसरा नाम कांग्रेस के ही मणिशंकर अय्यर का आता है। उन्होंने एक ही विवादित बयान से वर्ष २०१४ के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सूप़डा साफ करने वाले नरेंद्र मोदी की ब़डी मदद कर दी थी। उन्होंने मोदी को कांग्रेस की बैठक में चाय बांटने का आमंत्रण दिया था। सबको पता है कि भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान को इस बयान ने किस तरह मजबूत कर दिया था। वैसे, बेतुके बयानों का रायता फैलाने वालों पर कांग्रेस पार्टी का ही स्वत्वाधिकार नहीं रहा है। भाजपा के नेता भी समय समय पर जनता की बयानसेवा करते रहे हैं। बेतुके बयानों में क्षेत्रीय दलों की हिस्सेदारी भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती है। महाराष्ट्र की बालराजउद्धव ठाकरे त्रयी ने क्षेत्रवाद की राजनीति पनपाने के लिए कैसे कैसे बयान दिए, यह सबको पता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब ’’बांस देने’’ की बात कही थी तब उनका निश्छल उद्देश्य इसी बाजार में अपनी दावेदारी भर रखने का था।क्या उत्तर प्रदेश के मुलायम सिंह यादव ल़डकियों से छे़डखानी और दुष्कर्म पर बयान देने के बाद माफी मांगी थी? सो, इस सार्वकालिक, सर्वदलीय, सर्वक्षेत्रीय बयान बीमारी के कीट ने शशि थरूर को काट रखा है तो आश्चर्य कैसा?