कर्नाटक: गार्मेंट उद्योग की मांग- समान जीएसटी 5% तय करे सरकार

कर्नाटक: गार्मेंट उद्योग की मांग- समान जीएसटी 5% तय करे सरकार

महामारी के बाद बेंगलूरु में कम से कम 60 गार्मेंट कारखाने बंद हो गए, इससे करीब 40,000 लोगों की नौकरी चली गई


बेंगलूरु/दक्षिण भारत। गार्मेंट उद्योग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि इस क्षेत्र के लिए 12 प्रतिशत का एक समान जीएसटी स्लैब तय करने का प्रस्ताव पारित हो जाता है तो प्रतिकूल असर पड़ेगा। चूंकि उद्योग पहले ही काफी परेशानियों का सामना कर रहा है। इससे लोगों के रोजगार प्रभावित होंगे।

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बता दें कि वर्तमान में दो टैक्स स्लैब हैं। इसके तहत 999 रुपए से कम के बिलों के लिए 5 प्रतिशत और उससे ऊपर के बिलों के लिए 12 प्रतिशत टैक्स है। कारोबारियों का कहना है कि अगर एक समान टैक्स स्लैब दोनों को मिलाकर 12 प्रतिशत तय कर दिया जाता है तो काफी मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। उनकी मांग है कि मौजूदा परिस्थितियों में जरूरी है कि इसे 5 प्रतिशत किया जाए।

कोरोना का कहर
कर्नाटक होजरी एंड गारमेंट्स एसोसिएशन के एक पदाधिकारी का कहना है कि गार्मेंट उद्योग सर्वाधिक रोजगार देने वाले क्षेत्रों में से एक है। यह कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

उन्होंने बताया कि कोरोना काल में शादी जैसे शुभ आयोजनों की चमक फीकी ही रही। इसके अलावा त्योहारी सीजन में ग्राहक मांग कम रही है। ऐसे में गार्मेंट उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अब हालात कुछ बेहतर हुए हैं तो कच्चे माल की कीमतें बढ़ गई हैं। इससे लागत में इजाफा हो गया है। अगर इस स्थिति में टैक्स बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया जाता है तो उद्योग प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।

हजारों की गई नौकरी
फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष पेरिकल एम सुंदर ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को लिखे पत्र में कहा है कि इस क्षेत्र को नुकसान से बेरोजगारी और सरकार को राजस्व हानि का सामना करना पड़ सकता है।

गारमेंट एंड टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन की मानें तो महामारी के बाद बेंगलूरु में कम से कम 60 गार्मेंट कारखाने बंद हो गए। इससे करीब 40,000 लोगों की नौकरी चली गई। इनमें ज्यादातर महिलाएं थीं।

रोजगार पर असर
जानकारों का कहना है कि गार्मेंट उद्योग पर छाए संकट के बादल कामगारों पर भारी पड़े हैं। उनमें से कई का वेतन घट गया। चूंकि घरेलू बाजार में मांग कम हो गई। ऐसे में जीएसटी 12 प्रतिशत कर दी गई तो मांग में और गिरावट आ सकती है, जिसका सीधा असर श्रमिकों के रोजगार पर होगा।

उल्लेखनीय है कि हाल में गार्मेंट उद्योग से जुड़े संगठन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और समान जीएसटी 5 प्रतिशत की मांग की थी। मुख्यमंत्री भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर 5 प्रतिशत समान स्लैब की मांग कर चुके हैं। पदाधिकारियों को उम्मीद है कि सरकार इस पर विचार करेगी।

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