वीरशैव-लिंगायत विभाजन का विरोध करती रहेगी भाजपा : येड्डीयुरप्पा
वीरशैव-लिंगायत विभाजन का विरोध करती रहेगी भाजपा : येड्डीयुरप्पा
दावणगेरे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कर्नाटक के दो समुदायों वीरशैव और लिंगायत को दो हिस्सों में बांटने पर जोरदार आपत्ति दर्ज की। विधानसभा में विपक्ष की इस पार्टी ने आरोप लगाया कि सत्तासीन कांग्रेस विधानसभा से ऐन पहले इन दोनों समुदायों के लोगों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न करने की कोशिश कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येड्डीयुरप्पा ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के कुछ मंत्री और जनता दल (एस) के नेता व विधान परिषद सदस्य बसवराज होर्रट्टी अपने राजनीतिक हित साधने के लिए यह विवाद उत्पन्न कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी वीरशैव और लिंगायत समुदायों को एक-दूसरे से अलग करने के ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करेगी। येड्डीयुरप्पा ने कहा, ’’हम इस विषय में अखिल भारत वीरशैव-लिंगायत समुदाय के निर्णय का समर्थन करते हैं, जिसके अध्यक्ष शामनूर शिवशंकरप्पा ने घोषणा की है कि यह दोनों धार्मिक समुदाय एक और अविच्छेद्य हैं। इन्हें अलग-अलग समुदाय घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है। येड्डीयुरप्पा आज यहां एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने होर्रट्टी के दावे का जिक्र करते हुए कहा, हालांकि कुछ कांग्रेस नेताओं ने उनका समर्थन किया है लेकिन इन दोनों धार्मिक समुदायों के विभाजन की कोशिशें सत्य से काफी दूर और गैर-जरूरी हैं। भाजपा इस प्रकार के किसी भी कदम का विरोध करेगी। इस कार्यक्रम में मौजूद दिंगलेश्वर स्वामी ने कहा कि वह इस विषय पर खुली बहस और विचार-विमर्श के लिए पूरी तरह तैयार हैं। बहरहाल, उन्होंने कहा कि अगर किसी को इस पर बहस करनी है तो इसकी तारीख पहले से निर्धारित की जानी चाहिए क्योंकि उनके लिए आगामी छह महीने उनके लिए काफी व्यस्त रहने वाला है। अगर कोई व्यक्ति २८, २९ या ३० जनवरी को बहस के लिए आगे आता है तो वह इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। उल्लेखनीय है कि वीरशैव और लिंगायत समुदाय के लोगों को अलग-अलग धर्मों के अनुयायी के रूप में चिह्नित करने का यह मुद्दा सबसे पहले राज्य के जल संसाधन मंत्री एमबी पाटिल और जनता दल (एस) के नेता बसवराज होर्रट्टी ने उठाया था। इनकी पहल से विभिन्न स्थानों पर कई लिंगायत मठों के महंतों की सभा और बैठकें आयोजित हुईं। इन सभाओं और बैठकों के बाद कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग को वीरशैव और लिंगायत समुदायों को अलग-अलग धर्म मानने के बारे में कई ज्ञापन सौंपे गए। आयोग ने सभी ज्ञापन लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा देने की सिफारिश के साथ केंद्रीय अल्पसंंख्यक आयोग के विचारार्थ भेज दिए हैं।