प्रभाकरन की जयंती मनाने से नया विवाद शुरु
प्रभाकरन की जयंती मनाने से नया विवाद शुरु
चेन्नई। कोयंबटूर में लिबरेशन टाइगर्स तमिल ईलम के नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरन की जयंती को मनाने को लेकर नया विवाद ख़डा हो गया है। प्रभाकरन की ६३वीं जयंती यहां मनाई गई। यह जयंती थंथई पेरियार द्रवि़डर कषगम के पार्टी कार्यालय में मनाई गई। जिस तरह से तमिलनाडु में प्रभाकरन की जयंती को मनाने के बाद एक बार फिर से तमिल राजनीति को नई हवा मिल सकती है। इससे पहले गत वर्ष श्रीलंका के तमिल बाहुल्य इलाके जाफना शहर के एक विश्वविद्यालय में भी प्रभाकरन की जयंती मनाई गई थी। उस वक्त भी जयंती मनाने के बाद काफी विवाद ख़डा हुआ था। जाफना विश्वविद्यालय के सभी छात्रों ने विश्वविद्यालय के कैलाशपति सभागार में केक काटकर प्रभाकरन की जयंती मनाई थी। उल्लेखनीय है कि श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में अलग तमिल राज्य की मांग को लेकर प्रभाकरन ने लिट्टे की स्थापना की थी। प्रभाकरन की खुद की सेना थी, उसे राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त था। लंबे समय तक चले गृह युद्ध के बाद प्रभाकरन को वर्ष २००९ में मार गिराया गया था। ना सिर्फ प्रभाकरन बल्कि उसके बेटे को भी सेना ने मौत के घाट उतार दिया था। भारत ने भी श्रीलंका की प्रभाकरन के खिलाफ ल़डाई में मदद की थी। राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान सैन्य मदद को श्रीलंका में भेजा गया था।उल्लेखनीय है कि राज्य के कई संगठनों द्वारा प्रभाकरन का यह कहते हुए समर्थन किया जाता रहा है कि वह तमिल लोगों के अधिकारों के लिए ल़डाई ल़डने वाला एक सैनिक था। प्रभाकरन के समर्थन में इस वर्ष जुलाई में भी मरीना बीच पर एक सम्मेलन आयोजित करने की कोशिश की गई थी जिसके बाद इस सम्मेलन का आयोजन करने वाले एक तमिल संगठन के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। राज्य में जहां तमिल संगठन प्रभाकरण द्वारा स्थापित लिट्टे के प्रति सहानुभूति रखते हैं वहीं पुलिस की सूची में लिट्टे एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन है।