जयललिता के भतीजे और भतीजी को नहीं मिला उत्तराधिकार प्रमाणपत्र
जयललिता के भतीजे और भतीजी को नहीं मिला उत्तराधिकार प्रमाणपत्र
चेन्नई। पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के भतीजे दीपक जयकुमार और भतीजी दीपा जयकुमार को राजस्व अधिकारियों ने जयललिता का उत्तराधिकारी होने का प्रमाणपत्र जारी करने से इंकार कर दिया है। उन्हें इस प्रमाणपत्र को प्राप्त करने के लिए न्यायालय के पास जाने की सलाह दी गई है। राजस्व अधिकारियों ने दीपक जयकुमार की ओर से जयललिता के उत्तराधिकारी होने का दावा करते हुए दिए गए आवेदन को यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उत्तराधिकार प्रमाणपत्र सिर्फ पत्नी, बेटे या बेटियों को ही राजस्व कार्यालय से जारी किया जाता है।राजस्व अधिकारियों के अनुसार दीपक जयकुमार ने अपनी बहन दीपा जयकुमार की ओर से भी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र जारी करने का अनुरोध किया था। इस वर्ष अगस्त महीने में मैलापोर तालुक में इस बाबत आवेदन दिया गया था। इस आवेदन को २१ सितम्बर को गिंडी तालुक कार्यालय भेज दिया गया था क्योंकि दीपक का आवास टी नगर में है जोकि गिंडी कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। २२ सितम्बर को राजस्व विभाग के अधिकारियों की ओर से दीपक जयकुमार को दो पृष्ठों का उत्तर भेजा गया था इस उत्तर में अधिकारियों ने उन्हें निर्देश दिया था कि हिन्दू उत्तराधिकारी कानून १९५६ के तहत वह दिवानी न्यायालय से उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं। अधिकारियों की ओर से इस आवेदन में कई कमियों की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया गया था।अधिकारियों ने कहा था कि आवेदन के साथ आवेदक ने जयललिता का मृत्यु प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड औरै वोटर मतदाता पहचानपत्र संलग्न नहीं किया है। इस संबंध में दीपक जयकुमार की ओर से कुछ भी टिप्पणी नहीं की गई है लेकिन दीपा जयकुमार का कहना है कि कोई भी यह नहीं कह सकता कि उनके परिवार का पूर्व मुख्यमंत्री के साथ कोई लेना देना नहीं था। दीपा ने इस संबंध में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि वह कौन थी और हम लोग कौन हैं। यह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि हम वह सबकुछ करेंगे जिससे यह साबित हो सके के पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता हमारे परिवार की थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके भाई ने उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन दिया था।दीपा जयकुमार ने कहा कि उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के लिए न्यायालय जाना ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प होगा। दीपा ने कहा कि हम लोग इतने वर्षों से छुपे हुए नहीं थे। हम सबंधित दस्तावेज और साक्ष्य प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि यह एक सर्वविदित बात नहीं है। हम अचानक उनकी संपत्तियों पर दावा करने के लिए नहीं आ गए हैं। हम एक परिवार के सदस्य हैं। अबर जरुरत होती हैं तो हम अपने परदादा से लेकर अब तक की पूरी वंशावली लेकर आएंगे। दीपा के अनुसार उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी प्राप्त करने की भी कोशिश की अस्पताल में उनके पार्थिव शरीर को प्राप्त करने के लिए किसने हस्ताक्षर किए थे लेकिन उन्हें इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल सकी। ज्ञातव्य है कि पिछले महीने जब मुख्यमंत्री ईडाप्पाडी के पलानीस्वामी ने जयललिता के पोएस गार्डन स्थित बंगला वेद निलयम को संग्रहालय में बदलने की घोषणा की थी तो दीपा जयकुमार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने अदालत से कहा था कि सरकार ने जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारियों की अनुमति लिए बिना ही उनके बंगले को संग्रहालय में बदलने की घोषणा कर दी है।