विश्वासमत के लिए रिश्वत देने का मामला पहुंचा उच्च न्यायालय
विश्वासमत के लिए रिश्वत देने का मामला पहुंचा उच्च न्यायालय
चेन्नई। दो निजी चैनलों द्वारा सत्तारुढ अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के दो विधायकों को विश्वासमत से पूर्व रिश्वत लेने की बात को खुफिया कैमरे पर कहते हुए दिखाने के लिए किए गए स्टिंग के सामने आने के बाद इस मामले में पहले ही याचिका दायर कर चुकी राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने एक बार फिर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। वरिष्ठ अधिवक्ता और द्रवि़ड मुनेत्र कषगम से राज्य सभा के पूर्व सदस्य आर षन्मुगम सुंदरम ने मंगलवार को उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायाधीश एम सुंदर की पीठ के समक्ष यह मुद्दा रखा और इस मामले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) या इसी प्रकार की कोई अन्य केन्द्रीय एजेंसी से इस अनियमितता की जांच करवाने की मांग करते हुए याचिका दायर करने की अनुमति मांगी।षन्मुगम सुदंरम ने अदालत को बताया कि द्रमुक की ओर से विश्वासमत से पूर्व जिस प्रकार से राज्य के विधायकों को कूवातुर में गुप्त रुप से एक रिसोर्ट पर रखा गया था उसकी ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए तथा विश्वासमत की वैधता पर प्रश्न उठाते हुए पहले ही एक याचिका उच्च न्यायालय में दायर की गई थी। उन्होंने कहा कि द्रमुक की ओर से पूर्व में दायर की गई याचिका में बताया गया था कि राज्य के ज्यादातर विधायकों को पलानीसामी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए विश्वासमत पारित कराने से पूर्व कूवातूर के एक रिसोर्ट में कुछ सप्ताह तक रखा गया था और विश्वासमत वाले दिन उन्हें भे़ड बकरी की तरह झुंड में विधानसभा लाया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि अब द्रमुक इस मामले में विविध मांगों के साथ याचिका दायर करेगी जिसमें द्रमुक के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता केआर ट्रैफिक रामास्वामी द्वारा पलानीसामी के लिए पारित विश्वासमत को रद्द करने की मांग की जाएगी।इन बातों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय की प्रथम पीठ ने कहा कि अदालत ने द्रमुक की ओर से दायर की गई याचिका पर गत शुक्रवार और सोमवार को सुनवाई की थी और द्रमुक स्टिंग ऑपरेशन या अभी हुए किसी खुलासे के बारे में कोई याचिका दायर करती है तो इस पर अगले शुक्रवार को सुनवाई होगी।