विधान परिषद अध्यक्ष के खिलाफ एक मत से गिरा अविश्वास प्रस्ताव
विधान परिषद अध्यक्ष के खिलाफ एक मत से गिरा अविश्वास प्रस्ताव
बेंगलूरू। विधान परिषद के अध्यक्ष डीएच शंकरमूर्ति को हटाने के लिए कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ३७-३६ के अंतर से यानी मात्र एक मत से गिर गया, जो कांग्रेस पार्टी को ब़डा झटका है। विधान परिषद के उपाध्यक्ष मरितिब्बेगौ़डा जो आसन पर थे, मतदान नहीं कर पाए क्योंकि वह केवल तब ही मतदान कर सकते हैं जब परिणाम टाई में होता है और परिषद की सदस्य विमला गौ़डा की मृत्यु के बाद एक सीट रिक्त है। जनता दल (एस) ने एक रणनीतिक चाल में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा को समर्थन दिया। सदन में मौजूदा ७४ सदस्य हैं, कांग्रेस की सुश्री विमला गौ़डा की हाल ही मृत्यु के कारण एक सीट रिक्त है। इसके साथ ही भाजपा के अपने २३ सदस्यों के साथ जनता दल (एस) के १३ और दो निर्दलीय बसनगौ़डा पाटिल यतनाल और डीयू मल्लिकार्जुन ने भाजपा के खिलाफ मतदान किया।मतदान होने के तुरंत बाद गिनती की गई तो सत्तारू़ढ पार्टी को सिर्फ एक वोट से मात मिली। मरितिब्बेगौ़डा ने घोषणा की कि अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है। शंकरमूर्ति को पांच साल पहले अध्यक्ष के रूप में चुना गया था, जब भाजपा को जनता दल (एस) ने समर्थन दिया था। सत्तारू़ढ दल के ३३ सदस्य विधान परिषद में हैं। इससे पहले, जब सदन में उग्रप्पा ने भ्रष्टाचार सम्बन्धी कुछ गंभीर आरोप लगाए, तो विपक्षी बैंचों से विरोध प्रदर्शन किया गया। उपाध्यक्ष गौ़डा ने आरोपों पर भी आपत्ति जताई और कहा कि यह सत्तारू़ढ दल के सदस्यों द्वारा अध्यक्ष को हटाने की मांग में शामिल प्रस्तावों में शामिल नहीं किया गया था इसलिए वह आरोपों को खारिज करते हैं। उनकी प्रतिक्रिया में जनता दल(एस) के सदन में नेता बसवराज होरट्टी ने कहा कि उनके पार्टी नेतृत्व ने मूर्ति को ही वोट देने के लिए विहिप जारी किया था और उनके सभी सदस्यों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। उन्होंने कहा कि उग्रप्पा के भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर नियमों के तहत यह स्वीकार्य नहीं था इसलिए इसे खारिज किया गया। उन्होंने कहा कि सत्तारू़ढ पार्टी को लोकायुक्त या अदालत के पास ऐसे आरोपों को ले जाना चाहिए। उग्रप्पा द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए मूर्ति ने कहा कि उन्होंने चैंबर की वास्तविक भावना में काम किया था और वह निष्पक्ष थे और सभी पार्टी के सदस्यों को उन्होंने समान अवसर दिया। उन्होंने कहा कि उनका जीवन एक खुली किताब है और उनके परिवार के सभी वित्तीय लेनदेन बहुत साफ हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने आपातकाल की अवधि के दौरान जेल में १९ महीने का समय बिताया था। उन्होंने जनता दल (एस) के सुप्रीमो एच डी देवेगौ़डा और राज्य इकाई के अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।उन्होंने कहा कि यह गौ़डा ही थे जिन्होंने जनता दल से लोकसभा के लिए चुनाव ल़डने का टिकट दिया था। कुमारस्वामी ने कहा कि प्रस्ताव पर आज की हार कोई नया परिवर्तन नहीं है क्योंकि भाजपा और जनता दल (एस) वर्ष २०१५ में एक साथ थे ताकि ऊपरी सदन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया जा सके। उन्होंने कांग्रेस के साथ परामर्श नहीं करने के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया।
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