बेंगलूरु हिंसा: शहर जलाया, अब सवाल- कैसे वसूलेंगे हर्जाना?

बेंगलूरु हिंसा: शहर जलाया, अब सवाल- कैसे वसूलेंगे हर्जाना?

बेंगलूरु हिंसा: शहर जलाया, अब सवाल- कैसे वसूलेंगे हर्जाना?

हिंसक गतिविधियां करती हुई भीड़

उपद्रवियों में अधिकांश गरीब और बेरोजगार

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। गृह मंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा की गई यह घोषणा कि पूर्वी बेंगलूरु में मंगलवार रात हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई हिंसा में शामिल लोगों से वसूल कर की जाएगी, वास्तव में पुलिस के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है।

सूत्रों के अनुसार, अधिकांश दंगाई बेहद गरीब परिवारों से आते हैं। उनमें से कई बेरोजगार हैं और किराए के मकानों में रहते हैं। ऐसे में पुलिस के सामने सवाल यह है कि उनसे भरपाई की रकम कैसे हासिल की जाएगी।

पुलिस के अनुमान के अनुसार, वाहनों और संपत्ति को 3 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। वहीं, सरकार के फैसले ने डीजे हल्ली, केजी हल्ली और टेनरी रोड के कई निवासियों को उलझन में डाल दिया है। गिरफ्तार किए गए अधिकांश लोग डीजे हल्ली एवं टेनरी रोड से हैं और बीपीएल कार्ड-धारक हैं। उनके पास दुपहिया या ऑटोरिक्शा के अलावा कोई चल या अचल संपत्ति नहीं है।

टेनरी रोड निवासी एक शख्स ने बताया कि वह गिरफ्तार किए गए कम से कम 35 लोगों को जानता है। उनमें से 15 विभिन्न स्टालों पर काम करते हैं, जबकि 15 अन्य शिवाजीनगर, टेनरी रोड, कमर्शियल स्ट्रीट और अन्य स्थानों पर गैरेज में काम कर गुजारा चलाते हैं। तीन दूसरों के ऑटोरिक्शा चलाते हैं और दो लोग दुकानों में कार्यरत हैं।

इस शख्स के अनुसार, उनकी औसत मासिक कमाई 2,000 से 12,000 रुपए के बीच है। इनमें से कई पुरुष विवाहित हैं और उनकी पत्नियां दूसरों के घरों में कामकाज करती हैं। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान उनमें से किसी के पास भी नौकरी या कमाई का ​जरिया नहीं था। ऐसे में वे हर्जाना कहां से भरेंगे?

दंगाइयों से वसूली के सवाल पर एक महिला जिसका दामाद गिरफ्तार लोगों में से है, कहती हैं कि उनके पास हर्जाना चुकाने के लिए कोई पैसा नहीं है। ‘मेरा दामाद एक ऑटोरिक्शा चलाता है और हर माह करीब 15,000 रुपए कमाता है। यह हमारे गुजारे के लिए भी काफी नहीं है और हम हर महीने ऊंची ब्याज पर पैसा उधार लेते हैं। मेरी बेटी को सेहत संबंधी दिक्कतें हैं और वह काम नहीं कर सकती। अब, मेरे दामाद को गिरफ्तार किए जाने के बाद पांच सदस्यों के परिवार का गुजारा चलाने के लिए हमारे पास 5,000 रुपए हैं। वास्तव में, सरकार को हमारी वित्तीय जरूरतों को पूरा करना चाहिए।’

क्या कहते हैं अधिकारी?
इस मामले पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं कि संपत्तियों की वसूली एक लंबी अवधि की प्रक्रिया है। संपत्ति की पहचान करने और इसे कुर्क करने जैसी औपचारिकताओं को पूरा करने में कम से कम दो साल लग जाते हैं। फिर नुकसान का कितना भुगतान किया जाना चाहिए, इसका सवाल उठता है। यह सक्षम अधिकारी द्वारा तय किया जाएगा। यदि कोई भुगतान नहीं कर सकता है, तो उसे अपनी वित्तीय स्थिति पर एक हलफनामा दाखिल करना होगा और क्षमादान के लिए प्रार्थना करनी होगी।

सोशल मीडिया पर ‘योगी मॉडल’ की चर्चा
बता दें कि बेंगलूरु हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर यह मुद्दा गर्म है कि दंगाइयों पर किसी सूरत में रहम नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जिस बेदर्दी से सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, उसकी भरपाई उन्हीं से होनी चाहिए ताकि फिर कोई ऐसा कृत्य न कर सके। लोकतंत्र में आवाज उठाने का अधिकार सभी को है लेकिन उपद्रव फैलाने के मामले में ऐसे हर शख्स पर सख्ती बरती जानी चाहिए। उप्र में योगी सरकार द्वारा ऐसे कठोर फैसले काफी चर्चा में रहे हैं, इसलिए इसे दंगाइयों से वसूली का ‘योगी मॉडल’ या ‘योगी फॉर्मूला’ भी कहा जाता है।

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