बेंगलूरु में 27 जून को रखी जाएगी केम्पेगौड़ा की प्रतिमा की नींव
बेंगलूरु में 27 जून को रखी जाएगी केम्पेगौड़ा की प्रतिमा की नींव
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के संस्थापक केम्पेगौड़ा की 108 फीट ऊंची विशालकाय कांस्य प्रतिमा की 27 जून को अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के पास नींव रखी जाएगी। इस संबंध में निर्णय शुक्रवार को केम्पेगौड़ा विकास प्राधिकरण की बैठक में लिया गया था।
उपमुख्यमंत्री सीएन अश्वत्थ नारायण ने कहा, ’27 जून को केम्पेगौड़ा की 511वीं जयंती मनाई जाएगी, इसलिए यह तारीख तय की गई है। मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा के साथ चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।’ बता दें कि उपमुख्यमंत्री केम्पेगौड़ा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी हैं।उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वी सुतार और अनिल आर सुतार, जिन्होंने यहां विधान सौधा और विकास सौधा के बीच 27 फीट की महात्मा गांधी की प्रतिमा का डिजाइन और निर्माण किया था, के साथ अनुबंध किया गया है और जल्द उनके साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
गुजरात में सरदार पटेल की 597 फीट ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ जिसे दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा माना जाता है, वह राम वी सुतार द्वारा डिजाइन की गई थी। यह देखते हुए कि केम्पेगौड़ा की प्रतिमा की कीमत लगभग 66 करोड़ रुपए है, उपमुख्यमंत्री ने कहा, प्रतिमा का मॉडल तैयार था और मुख्यमंत्री द्वारा अवलोकन करने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘हम एक साल में काम पूरा करना चाहते हैं।’ प्रतिमा के निर्माण के लिए केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के सामने 23 एकड़ भूमि की पहचान कर ली गई है और बेंगलूरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने भी इसके लिए सहमति दे दी है।
उन्होंने कहा, ‘प्रतिमा के आसपास का क्षेत्र विशेष रूप से विकसित किया जाएगा। कुल लागत लगभग 80 करोड़ रुपए होगी और यह प्रमुख आकर्षणों में से एक होगा।’
अश्वत्थ नारायण ने यह भी कहा कि रामनगर जिले में मगदी तालुक के केम्पापुरा में केम्पेगौड़ा की समाधि को विकसित करने के लिए 41 करोड़ रुपए की योजना तैयार की गई है, और गांव की झील सहित समाधि स्थल के आसपास के क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। ‘इसके लिए, हमें कुछ भूमि का अधिग्रहण करने की आवश्यकता है, जिसकी अनुमानित लागत 17 करोड़ रुपए होगी।’
केम्पेगौड़ा, जिन्हें ‘नादप्रभु’ भी कहा जाता है, पूर्ववर्ती विजयनगर साम्राज्य के तहत एक शासक थे, जिन्होंने 1537 में बेंगलूरु की स्थापना की थी। वे वोक्कालिगा समुदाय द्वारा विशेष रूप से पूजनीय माने जाते हैं।