अन्नाद्रमुक के पुराने वफादारों के कंधे पर सियासत की बंदूक! चूकेगा या सटीक लगेगा शशिकला का निशाना?

अन्नाद्रमुक के पुराने वफादारों के कंधे पर सियासत की बंदूक! चूकेगा या सटीक लगेगा शशिकला का निशाना?

अन्नाद्रमुक के पुराने वफादारों के कंधे पर सियासत की बंदूक! चूकेगा या सटीक लगेगा शशिकला का निशाना?

फोटो स्रोत: अन्नाद्रमुक फेसबुक पेज।

चेन्नई/दक्षिण भारत। इस साल मार्च में वीके शशिकला द्वारा की गई यह घोषणा अन्नाद्रमुक नेतृत्व के लिए राहत लेकर आई थी कि वे तमिलनाडु की राजनीति से दूर रहेंगी। हालांकि हाल में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के प्रति उनके बढ़ते रुझान ने अन्नाद्रमुक को उलझन में डाल दिया है। उनसे संपर्क करने वाले कुछ नेता तो पार्टी से निष्कासित भी कर दिए गए हैं।

हाल में उनके खेमे द्वारा जारी एक ऑडियो क्लिप काफी चर्चा में रही जिसमें कथित रूप से पूर्व विधायक काथिरकामु को यह कहते सुना गया कि उन्होंने साल 2017 में ओ पन्नीरसेल्वम सहित 11 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने को रुकवाया था।

इसके अलावा, शशिकला को यह कहते हुए सुना गया कि उन्हें बताया गया था कि तमिलनाडु विधानसभा में पलानीस्वामी सरकार के खिलाफ मतदान करने के लिए पन्नीरसेल्वम और 10 अन्य विधायकों को निष्कासित करने की योजना बनाई जा रही है। जेल जाने के बावजूद, उन्होंने विधनसभा अध्यक्ष को संदेश भेजा कि विधायकों को निष्कासित नहीं किया जाना चाहिए और पार्टी को एकजुट रहने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा है कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक के संस्थापक एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद पार्टी को इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था और उन्होंने तब जयललिता को विधायकों को साथ रखने की सलाह भी दी थी।

रणनीति के तहत जारी हो रहे क्लिप?
वहीं, इस बीच यह भी चर्चा है कि उक्त बातचीत उनकी टीम द्वारा एक महीने से अधिक समय से जारी ऑडियो क्लिप की शृंखला का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शशिकला को पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की अभिन्न सहयोगी के रूप में पेश करना है। इन क्लिप का उद्देश्य लोगों को यह बताना भी है कि उनका पार्टी पर खासा प्रभाव है।

कार्यकर्ताओं तक पहुंच बनाने का दांव!
यह भी माना जा रहा है कि शशिकला उन नेताओं का विश्वास हासिल करने की कोशिश कर रही हैं जो पदाधिकारी नहीं हैं, साथ ही अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ता, सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए पुराने नेताओं और जयललिता व एमजीआर के करीबी नेताओं तक पहुंचने की योजना बना रही हैं।

शशिकला ने कथित तौर पर डिंडीगुल के 83 वर्षीय नेता करप्पू माया थेवर को कॉल किया, जिन्होंने पहली बार 1973 में अन्नाद्रमुक के टिकट पर चुनाव जीता था। उन्होंने पुलावर पुलमईपीठन से भी बातचीत की जो तमिल विद्वान हैं और एमजीआर के साथ काम कर चुके हैं।

किसके हाथों में आएगी पार्टी की बागडोर?
माना जा रहा है कि इसके जरिए शशिकला मौजूदा अन्नाद्रमुक नेतृत्व को जयललिता और एमजीआर विरोधी के रूप में पेश करना चाहती हैं। जबकि ई पलानीस्वामी और ओ पन्नीरसेल्वम पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। शशिकला अन्नाद्रमुक की बागडोर संभालने से पहले कार्यकर्ताओं और बड़ी संख्या में नेताओं को इसके लिए राजी करना चाहती हैं। हालांकि वे इसमें कितनी कामयाब होंगी और अन्नाद्रमुक नेतृत्व उन्हें रोक पाने में सक्षम होगा या नहीं, यह समय बताएगा।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News