8 शहरों में जनवरी से जून के बीच आवास बिक्री नौ साल के उच्चतम स्तर पर: रिपोर्ट
इस साल जनवरी-जून छमाही में आवासीय क्षेत्र ने नौ साल की उच्च बिक्री हासिल की है
नई दिल्ली/भाषा। इस साल जनवरी-जून छमाही के दौरान आठ प्रमुख शहरों में आवास बिक्री सालाना आधार पर 60 प्रतिशत बढ़कर 1,58,705 इकाई पर पहुंच गई। यह नौ साल में सबसे अधिक छमाही मांग है। संपत्ति सलाहकार नाइट फ्रैंक इंडिया के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
कंपनी ने अपनी अर्द्ध-वार्षिक रिपोर्ट 'इंडिया रियल एस्टेट: आवासीय और कार्यालय बाजार एच1 2022' के 17वें संस्करण में कहा कि पिछले साल समान अवधि में 99,416 आवास बिके थे। इस रिपोर्ट को बुधवार को ऑनलाइन जारी किया गया।संपत्ति सलाहकार ने कहा कि इस साल जनवरी-जून छमाही में आवासीय क्षेत्र ने नौ साल की उच्च बिक्री हासिल की है। पिछला उच्च स्तर 2013 की पहली छमाही में दर्ज किया गया था, जब 1,85,577 आवास बिके थे।
कंपनी ने आवास की बिक्री में वृद्धि के लिए कई कारक बताए हैं मसलन घरेलू खरीददारों की प्राथमिक जीवन शैली को बेहतर करने की आवश्यकता, आवास ऋण पर कम ब्याज दरें और महामारी-पूर्व की तुलना में घर की कीमतें कम होना।
कोविड-19 महामारी के कारण घर के स्वामित्व की नए सिरे से आवश्यकता से भी बिक्री बढ़ रही है। सभी बाजारों में आवास की कीमतें सालाना आधार पर तीन से नौ प्रतिशत तक बढ़ी हैं। यह एक ऐसी अवधि है, जिसमें 2015 की दूसरी छमाही के बाद पहली बार सभी बाजारों में आवास कीमतों में सालाना आधार पर वृद्धि हुई है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘महामारी के बाद से घर खरीदारी में सकारात्मक और मजबूत बदलाव आया है और यह अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के बावजूद जारी है।’
नाइट फ्रैंक ने शहर-वार आवास बिक्री का विवरण देते हुए कहा कि मुंबई में आवास की बिक्री जनवरी-जून, 2022 में 55 प्रतिशत बढ़कर 44,200 इकाई पर पहुंच गई, यह एक साल पहले की अवधि में 28,607 इकाई रही थी।
दिल्ली-एनसीआर में समीक्षाधीन अवधि (एच1, 2022 बनाम एच1, 2021) में दो गुना से अधिक वृद्धि हुई और 29,101 इकाइयों की बिक्री हुई। यह पिछले साल समान अवधि में 11,474 इकाइयां रही थी।
जबकि बेंगलुरु में आवासीय संपत्तियों की बिक्री 80 प्रतिशत बढ़कर 26,677 इकाइयों पर पहुंच गई। पिछले साल समान अवधि में 14,812 आवास बिके थे।
किराये के मामले में, बेंगलूरु और पुणे के कार्यालय बाजारों में किराये में अधिकतम वार्षिक वृद्धि क्रमशः 13 प्रतिशत और आठ प्रतिशत दर्ज की गई, जो ज्यादातर उच्च मांग और ग्रेड ए स्थान की कमी के कारण थी।
हैदराबाद, मुंबई और एनसीआर में भी किराए में मामूली वृद्धि देखी गई, जबकि चेन्नई, अहमदाबाद और कोलकाता में किराये स्थिर रहे।