असम में बोले मोदी- जहां कभी बम-गोली की आवाज सुनाई देती थी, आज तालियां गूंज रही हैं
'भाजपा की डबल इंजन की सरकार जहां भी हो, वहां सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से काम करते हैं'
दीफू/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को असम के दीफू में 'शांति और विकास रैली' को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मुझे जब-जब आपके बीच आने का मौका मिला है, आपका भरपूर प्यार, अपनापन देखकर ऐसा लगता है कि जैसे ईश्वर का आशीर्वाद मिल रहा है। इतनी बड़ी संख्या में आप लोग यहां आए हैं, वो भी अपनी परंपरागत वेशभूषा में, इसके लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि आज जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब हम इस धरती के महान सपूत लचित बोरफुकान की 400वीं जन्मजयंती भी मना रहे हैं। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रशक्ति की प्रेरणा है। कार्बी आंगलोंग से देश के इस महान नायक को मैं नमन करता हूं।प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा की डबल इंजन की सरकार जहां भी हो, वहां सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से काम करते हैं। आज ये संकल्प कार्बी आंगलोंग की धरती पर फिर से सशक्त हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जो शिलान्यास के कार्यक्रम हुए हैं, ये सिर्फ किसी इमारत का शिलान्यास नहीं है, ये यहां नौजवानों के उज्ज्वल भविष्य का शिलान्यास है। उच्च शिक्षा के लिए अब यहीं पर उचित व्यवस्था होने से अब गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे पाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि असम की स्थायी शांति और तेज विकास के लिए जो समझौता हुआ था, उसको जमीन पर उतारने का काम आज तेज गति से चल रहा है। हथियार छोड़कर जो साथी राष्ट्र निर्माण के लिए लौटे हैं, उसके पुनर्वास के लिए भी बेहतर काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी ने बीते दशकों में एक लंबा समय बहुत मुश्किलों से गुजारा है। लेकिन 2014 के बाद नार्थ ईस्ट में मुश्किलें लगातार कम हो रही हैं, लोगों का विकास हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्बी आंगलोंग या दूसरे जनजातीय क्षेत्रों में हम विकास और विश्वास की नीति पर ही काम कर रहे हैं। आप जानते हैं कि मैंने आपकी समस्याओं को, इस क्षेत्र की दिक्कतों को आप ही के परिवार के एक सदस्य के रूप में, आप के ही एक भाई और बेटे की तरह समझने की कोशिश की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरा देश ये देख रहा है कि बीते सालों में हिंसा, अराजकता और अविश्वास की दशकों पुरानी समस्याओं का कैसे समाधान किया जा रहा है। पहले जब इस क्षेत्र की चर्चा होती थी, तो कभी बम और कभी गोली की आवाज सुनाई देती थी। लेकिन आज तालियां गूंज रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट में सरकार और समाज के सामुहिक प्रयासों से जैसे-जैसे शांति लौट रही है, वैसे-वैसे पुराने नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है। लेकिन बीते 8 सालों के दौरान स्थाई शांति और बेहतर कानून व्यवस्था लागू होने के कारण हमने अफस्पा को नॉर्थ ईस्ट के कई क्षेत्रों से हटा दिया है।
आज मैं जब हथियार डालकर जंगल से लौटते नौजवानों को अपने परिवार के पास वापस लौटते हुए देखता हूं और मैं जब उन माताओं की आंखों की खुशी महसूस करता हूं तो मुझे आशीर्वाद की अनुभूति होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास की भावना के साथ आज सीमा से जुड़े मामलों का समाधान खोजा जा रहा है। असम और मेघालय के बीच बनी सहमति दूसरे मामलों को भी प्रोत्साहित करेगी।
इससे इस पूरे क्षेत्र के विकास की आकांक्षाओं को बल मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बोडो अकॉर्ड हो या फिर कार्बी आंगलोंग का समझौता, लोकल सेल्फ गवर्नेंस पर हमनें बहुत बल दिया है। केंद्र सरकार का बीते सात-आठ साल से ये निरन्तर प्रयास रहा है कि स्थानीय शासन की संस्थाओं को सशक्त किया जाए, अधिक पारदर्शी बनाया जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र के विकास के लिए राज्य का विकास और राज्य के विकास के लिए नगरों का, गांवों का विकास बहुत जरूरी है। गांवों का सही विकास तभी संभव है, जब स्थानीय आवश्यकताओं के, स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार विकास योजनाएं बनें और उन पर सही अमल किया जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन के शुरू होने से पहले तक यहां 2 प्रतिशत से कम गांवों के घरों में पाइप से पानी पहुंचता था, वहीं अब 40 प्रतिशत परिवारों तक पाइप से पानी पहुंच चुका है। मुझे विश्वास है कि जल्द से जल्द असम के हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने लगेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज की संस्कृति, यहां की भाषा, खान-पान, कला, हस्तशिल्प, ये सभी हिंदुस्तान की समृद्ध धरोहर है। असम तो इस मामले में और भी समृद्ध है। यही सांस्कृतिक धरोहर भारत को जोड़ती है, एक भारत श्रेष्ठ भारत के भाव को मज़बूती देती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में कार्बी आंगलोंग भी शांति और विकास के नए भविष्य की तरफ बढ़ रहा है। अब यहां से हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना है। आने वाले कुछ वर्षों में हमें उस विकास की भरपाई करनी है, जो बीते दशकों में नहीं कर पाए थे।