रामायण, महाभारत, शक्तिमान.. जब लौटा पुराना दौर, दूरदर्शन ने रचे लोकप्रियता के कीर्तिमान
रामायण, महाभारत, शक्तिमान.. जब लौटा पुराना दौर, दूरदर्शन ने रचे लोकप्रियता के कीर्तिमान
मुंबई/भाषा। दर्शक अनुसंधान एजेंसी बीएआरसी ने गुरुवार को कहा कि रामायण जैसे यादगार कार्यक्रमों की वापसी के साथ ही दूरदर्शन भारत का सबसे ज्यादा देखा गया चैनल बन गया। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन अपने यादगार कार्यक्रमों को दोबारा प्रसारित कर रहा है, ताकि लोग घर में ही रहें।
ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बीएआरसी) ने कहा कि सुबह और शाम के खंड में दूरदर्शन की दर्शक संख्या करीब 40,000 प्रतिशत बढ़ी है। इस दौरान निजी प्रसारकों की दर्शक संख्या में भी बढ़ोतरी देखने को मिली। दूरदर्शन ने हिंदू उपाख्यान रामायण से शुरुआत की और फिर महाभारत, शक्तिमान और बुनियाद जैसे अपने समय के बेहद लोकप्रिय धारावाहिकों को 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान दोबारा दिखाना शुरू किया। इसमें से ज्यादातर धारावाहिकों को उस समय बनाया गया था, जब टीवी प्रसारण पर दूरदर्शन का एकाधिकार था।बीएआरसी के मुताबिक, दूरदर्शन के दर्शकों की संख्या में आए भारी उछाल में रामायण और महाभारत का मुख्य रूप से योगदान है। इसके अलावा अन्य कार्यक्रमों ने चुनिंदा स्लॉट में दूरदर्शन की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रविवार रात नौ बजे घर की लाइट बंद करने की अपील के दौरान इस समय खंड में 2015 के बाद से सबसे कम दर्शक रहे।
इसी तरह मोदी द्वारा लाइट बंद करने की अपील वाले भाषण को लॉकडाउन की घोषणा वाले भाषण की तुलना में कम लोगों ने देखा। गिनती के हिसाब से इनके दर्शकों की संख्या क्रमश: 11.9 करोड़ और 19.7 करोड़ रही। दक्षिण में सन टीवी ने भी पौराणिक/प्राचीन आख्यानों पर आधारित धाराविक शुरू किए और सफल रहा।
इस दौरान जिन अन्य भुगतान पर आधारित सामान्य मनोरंजन चैनलों ने पुराने यादगार धारावाहिकों को दोबारा दिखाया, उनके दर्शकों की संख्या में भी उछाल देखने को मिला। बीएआरसी ने बताया कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान पिछले सप्ताह की तुलना में पिछले सप्ताह की तुलना मेंकुल टीवी दर्शकों की संख्या चार प्रतिशत और कोराना वायरस के दौर से पहले की तुलना में 43 प्रतिशत बढ़ी।
इस दौरान फिल्मों और समाचार पर आधारित चैनलों के दर्शक सबसे अधिक बढ़े और फिल्मों पर आधारित चैनलों ने सामान्य मनोरंजन चैनलों को पीछे छोड़ दिया। दिलचस्प बात यह है कि कोई भी नया खेल आयोजन नहीं होने के बाद भी खेल चैनलों के दर्शकों की संख्या 21 प्रतिशत बढ़ी।