इस मंदिर में प्रसाद की जगह चढ़ाई जाती है चॉकलेट, जानिए क्यों?
इस मंदिर में प्रसाद की जगह चढ़ाई जाती है चॉकलेट, जानिए क्यों?
सा की आमतौर पर हम लोग मंदिर में ईष्ट देवता को फल फूल, धूप-दीप, चंदन च़ढाते हैं लेकिन यहां का थेकन पलानी बालासुब्रह्माण्यम मंदिर बहुत अलग है। यहां प्रभु मुरुगन को चॉकलेट च़ढाई जाती है जो बाद में प्रसाद रूप में भक्तों के बीच बांट दी जाती है। मुरुगन, कार्तिकेय या सुब्रह्माण्यम भगवान शिव के पुत्र के ही नाम हैं। अलाप्पुझा शहर के बाहरी सुब्रह्माण्यमपुरम इलाके में बना यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच मंच मुरुगन के नाम से प्रसिद्ध है। हर धर्म, जाति और संप्रदाय के लोग भगवान मुरुग का आशीर्वाद हासिल करने के लिए ढेर सारी चॉकलेट लेकर आते हैं। यह मंदिर पर्यटकों और बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है। जिसकी खासियत है यहां प्रसाद के रूप में चढाए जाने वाली चॉकलेट। बालामुरूगन भगवान को प्रसाद के रूप में केवल मंच चॉकलेट ही चढाई जाती है। कहा जाता है कि भगवान को मंच चॉकलेट बहुत पसंद है और इसे प्रसाद के रूप में च़ढाने से बहुत प्रसन्न होते हैं। जिसके कारण इनका नाम बालामुरूगन से बदलकर मंच मुरूगन रख दिया गया।पहले के समय में बालामुरूगन को चावल, नारियल और फल च़ढाए जाते थे। चॉकलेट च़ढाने का ये अनोखा रिवाज अभी कुछ समय पहले ही शुरू किया गया था। जिसके पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी है। दरअसल २०११ में मंदिर के बाहर खेल रहे एक मुस्लिम बच्चे ने मंदिर की घंटी बजाई। इतना ही नहीं इस मुस्लिम बच्चे ने भागवान को मंच चॉकलेट भी च़ढाना चाहा लेकिन जैसे इस बच्चे के मां-बाप ने इस बच्चे को देखा तो उन्होंने रोक दिया और उसे घर ले गए।घर जाने के बाद बच्चा रात में अचाानक बहुत बीमार हो गया और नींद में बार-बार बालामुरूगन का नाम लेता रहा। जिसके बाद इस बच्चे के मां बाप उसी मंदिर में गए और उन्होंने भगवान को फल-फूल च़ढाए लेकिन बच्चा तब भी भगवान को मंच चॉकलेट चढाने की जिद करता रहा। जिसके बाद जब भगवान को मंच चॉकलेट का प्रसाद चढाया तो बच्चा ठीक हो गया और ये कहानी पूरे गांव में मानो आग की तरह फैल गई और उसके बाद से हर कोई भगवान को यहां मंच चॉकलेट ही चढाता है।