
साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष का दावा- सरकार की बदनामी के लिए हुई थी अवार्ड वापसी
साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष का दावा- सरकार की बदनामी के लिए हुई थी अवार्ड वापसी
नई दिल्ली। वर्ष 2015 में चलाए गए अवार्ड वापसी अभियान के बारे में साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने लिखा है कि यह अभियान पूरी तरह राजनीति से प्रेरित था। तिवारी लिखते हैं कि यह अभियान एक योजना के तहत शुरू किया गया था। यह खुद से शुरू नहीं हुआ था। उन्होंने बताया कि इसका लक्ष्य केंद्र सरकार को बदनाम करना और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ माहौल बनाना था। तिवारी बताते हैं कि उनके पास इस बात के प्रमाण हैं।
तिवारी ने एक लेख में दावा किया है कि इसके पीछे पांच साहित्यकारों का दिमाग था। उन्होंने योजनाबद्ध ढंग से दूसरे साहित्यकारों से अवार्ड वापस करवाए थे। वे इस अभियान के जरिए मोदी के खिलाफ माहौल बनाना चाहते थे ताकि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को नुकसान हो। इसके बाद देशभर में कई साहित्यकारों ने अवार्ड वापस किए और मीडिया उन्हें प्रमुखता से प्रकाशित करता रहा।
उसके बाद ही देश में ‘अहिष्णुता’ की बहस तेज हुई और पहली बार यह शब्द इतनी ज्यादा चर्चा में आया। तिवारी लिखते हैं कि ये साहित्यकार योजना बनाकर काम कर रहे थे। उनमें से कुछ तो तभी सक्रिय हो गए थे जब मोदी प्रधानमंत्री भी नहीं बने थे। मोदी लहर देखकर उन्हें अहसास हो गया था कि वे देश के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। जब बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा नहीं जीती तो वे बहुत खुश हुए और जश्न मनाया।
उल्लेखनीय है कि कन्नड़ लेखक कलबुर्गी की हत्या के बाद साहित्यकार अवार्ड लौटाने लगे थे। उनके बाद दूसरे कई साहित्यकारों में अवार्ड वापस करने की होड़ मच गई। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी अभिव्यक्ति पर हमला हो रहा है। अब साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष का यह दावा निश्चित रूप से कई सवाल खड़े करता है।
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