क्या साजिश के शिकार हैं पत्रकार दुर्ग सिंह? केस करने वाला शख्स लापता
क्या साजिश के शिकार हैं पत्रकार दुर्ग सिंह? केस करने वाला शख्स लापता
जयपुर। अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून की गैर जमानती धारा में गिरफ्तार किए गए राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित के मामले में नया मोड़ आ गया है। पटना की एससी-एसटी अदालत में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाला राकेश पासवान नामक फरियादी अपने गांव से लापता है। इस बीच पटना की एक अदालत शुक्रवार को दुर्ग सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाली है।
राकेश पासवान नालंदा के अस्थवां थाने के टेटुआ गांव का रहने वाला है। उसके पिता दशरथ पासवान ने एक चैनल को बताया कि जब से यह मामला प्रकाश में आया है, उसका बेटा गांव छोड़ कर कहीं चला गया है। उन्होंने दावा किया कि राकेश न कभी राजस्थान गया था और न ही उसने किसी व्यक्ति के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।दशरथ पासवान ने कहा कि राकेश पटना के दीघा निवासी संजय सिंह के यहां नौकर था और उसी ने किसी कागज पर राकेश से दस्तखत करा लिए। स्थानीय लोगों ने बताया कि संजय सिंह बालू का बड़ा कारोबारी है। दुर्ग सिंह के पिता गुमान सिंह ने कहा कि उनका बेटा पैदा होने से लेकर अब तक बाड़मेर में ही रहा और वहीं एक मीडिया हाउस के लिए काम करता था।
उन्होंने कहा, ‘न मैं न मेरा बेटा किसी संजय सिंह या राकेश पासवान को जानते हैं। यह मेरे लिए हैरान करने वाला मामला है। दुर्ग सिंह का पटना से कोई वास्ता भी नहीं रहा। अचानक बाड़मेर पुलिस ने उसे पक़ड लिया और सड़क के रास्ते पटना लाकर बिहार पुलिस के हवाले कर दिया। तभी हमें किसी मुकदमे का भान हुआ।’
हालांकि दुर्ग सिंह के वकीलों ने जल्दी जमानत के लिए याचिका लगाई है। अदालती दस्तावेज के मुताबिक राकेश पासवान ने 31 मई को दुर्गेश सिंह (दस्तावेज में दर्ज नाम) के खिलाफ मुकदमा दायर किया। एफआईआर में राकेश ने कहा है कि वह बाड़मेर में वह दुर्गेश के यहां पत्थर तोड़ने का काम करता था और उसे जातिसूचक शब्दों से संबोधित कर प्रताड़ित किया गया। तब वह राजस्थान से भागकर पटना आ गया।
दुर्गेश सिंह 15 मई को पटना आया और उस पर वापस चलने का दबाव बनाने लगा लेकिन वह नहीं माना। इसके बाद सात मई को दुर्गेश सिंह कुछ लोगों के साथ बोलेरो गाड़ी में आए और पटना में ही उसके साथ मारपीट की।