बेंगलूरु/दक्षिण भारतकर्नाटक में एच डी कुमारस्वामी की अगुवाई में गठित जनता दल एस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार को सदन में बहुमत सिद्ध करने से पहले कई और परीक्षणों से गुजरना होगा। सरकार के समक्ष सबसे पहली परीक्षा विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन की है जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी ताल ठोंकी है। विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव शुक्रवार को होना है। कांग्रेस से अध्यक्ष पद के लिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार में गुरुवार को अपना नामांकन भरा है, जबकि भाजपा की तरफ से पूर्व मंत्री सुरेश कुमार ने भी इस पद के लिए अपना पर्चा दाखिल किया है। कर्नाटक विधानसभा के १५ मई को आए नतीजों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। भाजपा सबसे ब़डे दल के रुप में उभरी। नतीजों के बाद ७८ सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने जनता दल एस को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने की घोषणा की किंतु राज्यपाल वजू भाई वाला ने सबसे ब़डे दल भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता दिया। भाजपा के बीएस येड्डीयुरप्पा ने १७ मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली किंतु १९ मई को सदन में बहुमत सिद्ध करने से पहले इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कुमारस्वामी ने कल मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। प्रोटेम स्पीकर के जी बोपैया ने शुक्रवार को दोपहर सवा बारह बजे विधानसभा की बैठक आहूत की है। सबसे पहले विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। उसके बाद सदन की आगे की कार्यवाही का संचालन निर्वाचित अध्यक्ष करेंगे। रमेश कुमार के नाम का प्रस्ताव कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जी परमेश्वर और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरामैया और पूर्व मुख्यमंत्री ने किया है। वहीं भाजपा नेता सुनील कुमार और अश्वत्थ नारायण ने सुरेश कुमार के नाम को प्रस्तावित किया है।सिद्दरामैया ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के पास रमेश कुमार को जिताने के लिए पर्याप्त संख्या बल है। वह पहले भी विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं और पांच साल तक सदन का बेहतर तरीके से संचालन किया है। उन्हें कानून की पर्याप्त जानकारी है और विश्वास है कि वह इस जिम्मेदारी को बखूबी निभायेंगे। उन्होंने कहा कि सुरेश कुमार ने भी विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए पर्चा दाखिल किया है। भाजपा के पास अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए पर्याप्त विधायक नहीं है। मेरा मानना है कि सुरेश कुमार अध्यक्ष के लिए चुनाव से पहले अपना नामांकन वापस ले लेंगे।पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी संवाददाताओं से अलग से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं है । इसलिए अध्यक्ष पद के लिए पर्चा दाखिल करने के पीछे का उद्देश्य समझ से परे है। भाजपा येड्डीयुरप्पा के सदन में बहुमत साबित करने से पहले एक बार हार झेल चुकी है। ऐसा प्रतीत होता है कि एक सप्ताह में दूसरी बार पराजय झेलने के लिए ही भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार ख़डा किया है।