औरंगजेब की मौत का बदला लेने के लिए 50 युवाओं ने छोड़ी विदेशी नौकरी, सेना में होंगे भर्ती

औरंगजेब की मौत का बदला लेने के लिए 50 युवाओं ने छोड़ी विदेशी नौकरी, सेना में होंगे भर्ती

करीब 50 युवक खाड़ी देशों में अच्छी नौकरी कर रहे थे। उन्होंने वह नौकरी छोड़ी और अपने मुल्क की राह पकड़ी। इन दिनों वे सेना में भर्ती होने के लिए तैयारियों में जुटे हैं। उन्हें आतंकी धमकियों की परवाह नहीं और पूरा विश्वास है कि अपने नेक इरादों में कायमाब होंगे।

श्रीनगर। कश्मीर के युवाओं में आतंकियों और अलगाववादियों के खिलाफ बेहद गुस्सा है। ​खबर है कि भारतीय सेना के जांबाज शहीद औरंगजेब के गांव के 50 युवा विदेशों में अपनी नौकरी छोड़कर गांव आ गए हैं। अब वे भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे सेना की वर्दी पहनकर उन आतंकियों से लड़ना चाहते हैं जिन्होंने उनके भाई की हत्या की थी।

यह सलानी गांव की घटना है जो मेंढ़र जिले में स्थित है। राजधानी श्रीनगर से इसकी दूरी करीब 250 किमी है। गांव के युवाओं में आतंकियों के खिलाफ गहरा गुस्सा है। 14 जून को उनके ही गांव के औरंगजेब जब ईद मनाने घर आ रहे थे, तो आतंकियों ने पुलवामा में उनका अपहरण कर लिया था। इसके बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।

उसके बाद से गांव में मातम पसर गया और लोगों ने ईद नहीं मनाई। देश के सपूत शहीद औरंगजेब को पूरे हिंदुस्तान में श्रद्धांजलि दी गई। अब गांव के युवा चाहते हैं कि स्थानीय नौजवानों को आतंकियों के खिलाफ खड़ा होना होगा। इसके लिए वे भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षाबलों में भर्ती होना चाहते हैं।

करीब 50 युवक खाड़ी देशों में अच्छी नौकरी कर रहे थे। उन्होंने वह नौकरी छोड़ी और अपने मुल्क की राह पकड़ी। इन दिनों वे सेना में भर्ती होने के लिए तैयारियों में जुटे हैं। उन्हें आतंकी धमकियों की परवाह नहीं और पूरा विश्वास है कि अपने नेक इरादों में कायमाब होंगे। वे कहते हैं कि औरंगजेब की शहादत ने उन्हें अंदर तक हिला दिया। उसके बाद उन्होंने फैसला किया कि उन्हें आतंकियों से बदला लेना है। उनके खिलाफ हथियार उठाने हैं, लेकिन वे यह सब भारतीय सेना का हिस्सा बनकर करना चाहते हैं।

उल्लेखनीय है कि कश्मीर में आतंकी उन नौजवानों पर घात लगाकर हमला करते हैं या अपहरण के बाद हत्या कर देते हैं जो सुरक्षाबलों से जुड़े हैं। आतंकी चाहते हैं कि वे उनके साथ जुड़कर हथियार उठाएं। आतंकियों ने कई जवानों की हत्या तक कर दी है लेकिन इससे कश्मीरी नौजवानों के हौसले नहीं डिगे। वे अपना सबकुछ छोड़कर सेना में भर्ती होना चाहते हैं, ताकि कश्मीर की सरजमीं से आतंक खत्म हो जाए।

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