मुख्यमंत्री नायडू का वर्चस्व कायम
मुख्यमंत्री नायडू का वर्चस्व कायम
हैदराबाद। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की प्रतिष्ठा का सवाल बने नांदयाल उपचुनाव में आखिरकार तेलुगूदेशम पार्टी ने जीत हासिल कर ही ली। इस जीत से मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी को काफी राहत मिली है। नांदयाल सीट को टीडीपी प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी के बीच वर्चस्व की ल़डाई माना जा रहा था। इस जीत से साफ हो गया है कि आंध्र प्रदेश में अभी भी जनमत मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के ही पक्ष में है। सोमवार को आए परिणाम में टीडीपी के उम्मीदवार भुमा ब्रह्मानंद रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस के शिल्पा मोहन रेड्डी से करीब २७ हजार वोटों को शिकस्त दी है। चुनाव में टीडीपी को कुल ९७,०७६ वोट मिले जबकि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को ६९,६१० वोट हासिल हुए। उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी १३८२ वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही, जबकि १२३१ वोट नोटा के रहे। इसके अलावा २५० पोस्टल बैलेट आए जिनमें से ३९ अवैध निकले और २११ ने नोटा को वोट दिया। एक भी पोस्टल बैलेट में टीडीपी या वाईएसआर को वोट नहीं मिला है। गौरतलब है कि इस सीट पर वर्ष २०१४ में वाईएसआर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। २३ अगस्त को हुए उपचुनाव में २.१६ लाख मतदाताओं में से करीब ८० फीसदी ने मतदान किया था। तेलुगू देशम पार्टी के विधायक भुमा नागीरेड्डी के निधन होने के बाद सीट पर उपचुनाव होना था। इस सीट पर कुल १५ उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। ज्ञात हो कि आंध्र प्रदेश में कुल १७५ विधान सभा सीटें हैं। टीडीपी के पास १०२ सीटें हैं और भाजपा के पास चार सीटें हैं। राज्य में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार है। वाईएसआर कांग्रेस राज्य में मुख्य विपक्षी दल है जिसके पास कुल ६७ सीटें हैं। आंध्र प्रदेश में अप्रैल-मई २०१४ में विधान सभा चुनाव हुए थे। वर्ष २०१४ में ही आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ और तेलंगाना नामक नए राज्य का गठन हुआ। विभाजन से पहले राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन अब जहां आंध्र प्रदेश में टीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार है तो नए राज्य तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली टीआरएस सरकार है।उपचुनाव में मिली जीत को तेदेपा-भाजपा सरकार के कामकाज के लिए जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इससे यह संकेत मिल सकता है कि वर्ष २०१९ के चुनावों में इन दोनों पार्टियों की सरकार एक बार फिर बन सकती है।