केंद्र को आपात स्थिति में प्रयोग के लिए ऑक्सीजन के भंडार सुरक्षित रखने का निर्देश
केंद्र को आपात स्थिति में प्रयोग के लिए ऑक्सीजन के भंडार सुरक्षित रखने का निर्देश
नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को आपातकालीन प्रयोगों के लिए राज्यों के साथ मिलकर ऑक्सीजन का एक सुरक्षित भंडार रखने और भंडार स्थानों के विकेंद्रीकरण का निर्देश दिया है ताकि सामान्य आपूर्ति शृंखला बाधित होने की स्थिति में ये प्रयोग के लिए तत्काल उपलब्ध हों।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति रविंद्र भट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि अगले चार दिनों में आपातकालीन भंडार तैयार कर लिए जाने चाहिए और इन्हें हर दिन भरा जाना चाहिए। यह राज्यों को चिकित्सीय ऑक्सीजन आपूर्ति के मौजूदा आवंटन के साथ-साथ चलना चाहिए।पीठ ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार को राज्यों के साथ मिलकर आपातकालीन स्थितियों में प्रयोग के लिए ऑक्सीजन का सुरक्षित भंडार तैयार करने का निर्देश देते हैं ताकि अप्रत्याशित परिस्थितियों में भी आपूर्ति शृंखलाएं काम करती रहें। आपातकालीन भंडारों की जगह विकेंद्रीकृत होना चाहिए जिससे कि किसी भी कारण से किसी भी अस्पताल में सामान्य आपूर्ति शृंखला बाधित होने पर यह तत्काल उपलब्ध हो सके।’
इसने कहा, ‘आपातकालीन भंडार अगले चार दिनों में तैयार कर लिया जाना चाहिए। आपात भंडारों को भरने के काम पर प्रत्येक राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश के साथ सक्रिय रूप से विचार-विमर्श कर डिजिटल नियंत्रण कक्ष के माध्यम से हर वक्त किया जाना चाहिए। यह हर दिन किए जाने वाले आवंटन के अतिरिक्त होगा।’
यह गौर करते हुए कि दिल्ली में जमीनी स्थिति हृदयविदारक है, शीर्ष अदालत ने केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी को तीन मई से पहले दूर कर लिया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि ऑक्सीजन आपूर्ति की जिम्मेदारी एक-दूसरे के ऊपर डालने की जंग में नागरिकों के जीवन को जोखिम में नहीं डाला जा सकता है।
पीठ ने कहा, ‘राष्ट्रीय संकट के वक्त नागरिकों के जीवन को बचाना सर्वोपरि है और यह जिम्मेदारी केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों की है कि वे एक-दूसरे के साथ सहयोग कर सुनिश्चित करें कि स्थिति को सुलझाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं।’
अस्पतालों में इलाज के मुद्दे पर, शीर्ष अदालत ने केंद्र को दो हफ्तों के भीतर कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर अस्पतालों में भर्ती को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, ‘केंद्र सरकार की तरफ से ऐसी नीति बनाए जाने तक, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय आवास प्रमाण-पत्र या पहचान-पत्र के अभाव में भी किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती करने या जरूरी दवा दिए जाने से मना नहीं किया जाना चाहिए।’
इसने केंद्र एवं राज्य सरकारों को यह सूचित करने का भी निर्देश दिया कि सोशल मीडिया पर जानकारी के लिए किसी तरह की कार्रवाई किए जाने या किसी भी मंच पर मदद मांग रहे लोगों के उत्पीड़न के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
शीर्ष अदालत ने केंद्र को ऑक्सीजन की उपलब्धतता, टीकों की उपलब्धता एवं कीमत और किफायती दरों पर आवश्यक दवाओं की उपलब्धतता समेत अपनी पहलों एवं प्रोटोकॉल पर फिर से विचार करने का भी निर्देश दिया। न्यायालय ने न्यायमित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ताओं जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोड़ा को विभिन्न पक्षों द्वारा दिए गए इन सुझावों का मिलान करने और संकलित करने को कहा।
मामले में अगली सुनवाई 10 मई को तय की गई है। ये निर्देश कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान आवश्यक आपूर्तियां एवं सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए स्वत: संज्ञान वाले मामले में दिए गए हैं।