‘मन की बात’ में क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी? यहां जानिए
‘मन की बात’ में क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी? यहां जानिए
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जब जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव प्रयोग पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना, जब ताली-थाली बजाकर देश ने हमारे कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया था, एकजुटता दिखाई थी, उसे भी कई लोगों ने याद किया है। उन्होंने कहा कि अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीरो इफेक्ट, जीरो डिटेक्ट की सोच के साथ काम करने का यह उचित समय है। मैं देश के मैन्युफैक्चुरर्स और इंडस्ट्री लीडर्स से आग्रह करता हूं: देश के लोगों ने मजबूत कदम उठाया है, मजबूत कदम आगे बढ़ाया है। वोकल फॉर लोकल आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में, अब यह सुनिश्चित करने का समय है कि हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों ।प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें वोकल फॉर लोकल की भावना को बनाए रखना है, बचाए रखना है, और बढ़ाते ही रहना है। आप हर साल न्यू ईयर रिजॉल्यूशंस लेते हैं, इस बार एक रिजॉल्यूशन अपने देश के लिए भी जरूर लेना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के ही दिन गुरु गोविंद सिंहजी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। लेकिन साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊंची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में आतताइयों से, अत्याचारियों से, देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए, कितने बड़े बलिदान दिए गए हैं, आज उन्हें याद करने का भी दिन है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंहजी की माताजी – माता गुजरी ने भी शहादत दी थी। लोग, श्री गुरु गोविंद सिंहजी के परिवार के लोगों द्वारा दी गई शहादत को बड़ी भावपूर्ण अवस्था में याद करते हैं। इस शहादत ने संपूर्ण मानवता को, देश को, नई सीख दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सम्मान में सामान्य मानव ने इस बदलाव को महसूस किया है। मैंने देश में आशा का एक अद्भुत प्रवाह भी देखा है। चुनौतियां खूब आईं, संकट भी अनेक आए। कोरोना के कारण दुनिया में सप्लाई चेन को लेकर अनेक बाधाएं भी आईं, लेकिन हमने हर संकट से नए सबक लिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक हृदयस्पर्शी प्रयास के बारे में पढ़ा। आपने भी सोशल मीडिया पर इसके विजुअल्स देखे होंगे। हम सबने इंसानों वाली व्हील चेयर देखी है, लेकिन कोयंबटूर की एक बेटी गायत्री ने अपने पिताजी के साथ एक पीड़ित डॉग के लिए व्हील चेयर बना दी।
कर्नाटक के युवा ब्रिगेड की प्रेरणादायक कहानी जिन्होंने श्रीरंगपट्टन के पास स्थित वीरभद्र स्वामी नाम के एक प्राचीन शिवमंदिर का कायाकल्प कर दिया। एक दिन, कुछ पर्यटकों ने इस भूले-बिसरे मंदिर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया।
युवा ब्रिगेड ने जब इस वीडियो को सोशल मीडिया पर देखा तो उनसे रहा नहीं गया और फिर, इस टीम ने मिलजुल कर इसका जीर्णोद्धार करने का फैसला किया। ये सभी युवा कई अलग तरह के पेशों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन्होंने सप्ताहांत के दौरान समय निकाला और मंदिर के लिए कार्य किया। युवाओं ने मंदिर में दरवाजा लगवाने के साथ-साथ बिजली का कनेक्शन भी लगवाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको यह जानकर खुशी होगी कि कश्मीरी केसर को जीआई टैग का सर्टिफिकेट मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्किट में इसे लॉन्च किया गया। अगली बार जब आप केसर को खरीदने का मन बनाएं, तो कश्मीर का ही केसर खरीदने की सोचें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता हमें हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतना अद्भुत ग्रंथ क्यों है? वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की ही वाणी है। लेकिन गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है। प्रश्न से शुरू होती है। गीता की ही तरह हमारी संस्कृति में जितना भी ज्ञान है, सब जिज्ञासा से ही शुरू होता है। वेदांत का तो पहला मंत्र ही है – ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’ अर्थात् आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिज्ञासा की ऐसी ही ऊर्जा का एक उदाहरण मुझे पता चला, तमिलनाडु के बुजुर्ग टी श्रीनिवासाचार्य स्वामीजी के बारे में। दरअसल, श्रीनिवासाचार्य स्वामीजी संस्कृत और तमिल के विद्वान हैं। वो अब तक करीब 16 आध्यात्मिक ग्रंथ भी लिख चुके हैं। लेकिन कंप्यूटर आने के बाद उन्हें जब लगा कि अब तो किताब लिखने और प्रिंट होने का तरीका बदल गया है, तो उन्होंने 86 साल की उम्र में कंप्यूटर सीखा।
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लगातार कुछ-न-कुछ नया करते रहते हैं, नए-नए संकल्पों को सिद्ध करते रहते हैं। आपने भी अपने जीवन में महसूस किया होगा, जब हम समाज के लिए कुछ करते हैं तो बहुत कुछ करने की ऊर्जा समाज हमें खुद ही देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुग्राम के प्रदीप सांगवान 2016 से हीलिंग हिमालयाज नाम से अभियान चला रहे हैं। वो अपनी टीम और वॉलियंटर्स के साथ हिमालय के अलग-अलग इलाकों में जाते हैं, और जो प्लास्टिक कचरा टूरिस्ट वहां छोड़कर जाते हैं, वो साफ करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह कर्नाटक के एक युवा दंपति हैं, अनुदीप और मिनुषा। आप जानकर हैरान रह जाएंगे, इन लोगों ने मिलकर सोमेश्वर बीच से 800 किलो से ज्यादा कचरा साफ किया है। हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम कचरा फैलाएंगे ही नहीं। हमें देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करना ही है। यह भी 2021 के संकल्पों में से एक है।