‘मन की बात’ में मोदी की अपील का असर: खूब बज रहा ‘ब्रांड खादी’ की लोकप्रियता का डंका

‘मन की बात’ में मोदी की अपील का असर: खूब बज रहा ‘ब्रांड खादी’ की लोकप्रियता का डंका

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नतृत्व में ‘ब्रांड खादी’ की लोकप्रियता का डंका खूब बज रहा है। इसमें उनके प्रसिद्ध रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का महत्वपूर्ण योगदान है। आंकड़े बताते हैं कि 2019-20 में खादी एवं ग्रामोद्योग का कारोबार लगभग 90,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।

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सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले पांच वर्षों में भारत में ‘ब्रांड खादी’ की स्वीकार्यता व्यापक रूप से देखने को मिली है। जबकि खादी का उत्पादन, दीर्घकालिक विकास के लिए सबसे अनुकूल पर्यावरण उत्पाद पिछले पांच वर्षों में दोगुने से भी ज्यादा हो चुका है, यानी 2015-16 के बाद से; इसी अवधि के दौरान खादी की बिक्री में लगभग तीन गुना बढ़ोतरी देखी गई है।

बिक्री में कितनी बढ़ोतरी?
मंत्रालय ने बताया कि इसी प्रकार, ग्रामोद्योग (वीआई) क्षेत्र के उत्पादन और बिक्री में भी पिछले पांच वर्षों में लगभग 100% की अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले एक वर्ष में खादी के कारोबार के प्रदर्शन का अवलोकन करते हुए, यह 2018-19 में 3215.13 करोड़ रुपए था, जिसमें 31% की वृद्धि दर्ज करते हुए, यह 2019-20 में 4211.26 करोड़ रुपए हो गया। ग्रामोद्योग उत्पादों का कारोबार 2019-20 में 84,675.39 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 19% से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि 2018-19 में 71,077 करोड़ रुपए था।

क्या कहते हैं अधिकारी?
मंत्रालय ने बताया कि वर्ष 2019-20 में, खादी एवं ग्रामोद्योग का कुल कारोबार 88,887 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने खादी के अभूतपूर्व विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सतत प्रयासों, एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी के रचनात्मक विपणन विचारों और विभिन्न मंत्रालयों के सक्रिय सहयोग को श्रेय दिया है।

सक्सेना ने कहा, ‘खादी उद्योग को पुनर्जीवित करने के सरकार के निरंतर प्रयासों और खादी को दैनिक जीवन की आवश्यकता के रूप में अपनाने के लिए, प्रधानमंत्री द्वारा अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ सहित विभिन्न प्लेटफॉर्मों के माध्यम से बार-बार अपील करने के परिणामस्वरूप, केवीआईसी विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ता चला जा रहा है।’

मंत्रालय ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार, 2015-16 में खादी का उत्पादन 1,066 करोड़ रुपए आंका गया था, जो कि वर्ष 2019-20 में बढ़कर 2,292.44 करोड़ रुपए हो गया, जिसमें 115% से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई। दूसरी ओर, खादी की बिक्री और भी ज्यादा रही। खादी फैब्रिक उत्पादों की बिक्री 2015-16 में 1,510 करोड़ रुपए थी, जो कि 2019-20 में 179% बढ़कर 4,211.26 करोड़ रुपए हो गई।

बदल रही ग्रामोद्योग की तस्वीर
मंत्रालय ने बताया कि 2015-16 में ग्रामोद्योगों के उत्पादों का उत्पादन 33,425 करोड़ रुपए का किया गया था और यह उत्पादन 2019-20 में 96% की बढ़ोतरी के साथ 65,393.40 करोड़ रुपए हो गया। 2015-16 में ग्रामोद्योगों के उत्पादों की बिक्री 40,385 करोड़ रुपए थी, जिसमें लगभग 110% की वृद्धि दर्ज की गई और यह 2019-20 में 84,675.39 करोड़ रुपए हो गया।

मंत्रालय ने बताया कि खादी परिधानों के अलावा, ग्राम उद्योग उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला जैसे सौंदर्य प्रसाधन, साबुन और शैंपू, आयुर्वेदिक दवाएं, शहद, तेल, चाय, अचार, पापड़, हैंड सैनिटाइजर, मिष्ठान्न, खाद्य पदार्थ और चमड़े की वस्तुओं ने भी बड़ी संख्या में देश-विदेश के उपभोक्ताओं को आकर्षित किया है। इसके परिणामस्वरूप, पिछले पांच वर्षों में ग्रामोद्योग उत्पादों के उत्पादन और बिक्री में लगभग दोगुनी वृद्धि दर्ज की गई है।

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