नई दिल्ली/वार्ताप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण के लिए जनभागीदारी को महत्त्वपूर्ण बताते हुए आज कहा कि हमें अपनी विरासत के बारे में जानकारी और उस पर गर्व होना चाहिए। मोदी ने यहाँ भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) की नई इमारत ’’धरोहर भवन’’ के उद्घाटन के मौके पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ देशों में सेवानिवृत्त लोग धरोहरों के संरक्षण में योगदान देते हैं। हमारे देश में अभी यह सोच विकसित नहीं हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा दुनिया में इस क्षेत्र में जन सहयोग, जन भागीदारी बहुत मिलती है। वहाँ सेवानिवृत्त लोग गाइड का काम करते हैं। वे अपनी धरोहरों के बारे में पर्यटकों को बताते हैं। हमारे देश में यह मानसिकता बनानी है।उन्होंने कहा कि समाज जिस प्रकार धरोहरों का संरक्षण कर सकता है किसी संस्था के कर्मचारी नहीं कर सकते। उन्होंने इसमें कॉर्पोरेट दुनिया को साझेदार बनाने की सलाह देते हुए कहा कि स्थानीय कंपनियों से बात करनी चाहिये कि क्या उनके कर्मचारी महीने में १०-१५ घंटे इस दिशा में दे सकते हैं। धरोहरों के संरक्षण के बारे में जानकारी को महत्त्वपूर्ण बताते हुए मोदी ने कहा कि बच्चों को उनके पाठ्यक्रम में उनके शहर का इतिहास बताया जाये। स्थानीय स्तर पर टूरिस्ट गाइड का सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया जा सकता है जिससे गाइड को उसके शहर की धरोहरों के बारे में एक-एक जानकारी होना सुनिश्चित किया जा सके। जब जानकारी होती है तो अपनेपन की ता़कत ब़ढ जाती है। हमें हमारे धरोहर की जानकारी होना बहुत ़जरूरी है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों, सेवानिवृत्त बुजुर्गों, स्कूली बच्चों तथा कॉरपोरेट जगत को भागीदार बनाया जा सकता है। मोदी ने कहा कि दुनिया के देशों में सेवानिवृत्त लोग धरोहर के संरक्षण में योगदान देते हैं। हमारे देश में अभी यह सोच विकसित नही हुई है। उन्होेंने कहा, हमारे देश में यह मानसिकता बनानी है। समाज जिस प्रकार धरोहरों का संरक्षण कर सकता है, कोई सरकारी एजेंसी नहीं कर सकती। कारपोरेट वर्ल्ड को भी इसमें शामिल कर सकते हैं। उन्होंने धरोहर स्थल वाले शहरों के स्कूली बच्चों को स्थानीय विरासत के बारे में प़ढाने की सलाह दी। उन्होंने कहा हजारों साल की हमारी गाथा दुनिया के लिए अजूबा है जो हमारे पूर्वज छो़ड कर गये हैं। उसे दिखा भर दें तो हमारा पर्यटन ऊंची उ़डान भरने लगेगा। प्रधानमंत्री ने धरोहर स्थलों पर फोटो खींचने की मनाही को अप्रासंगिक बताते हुए कहा कि अब यह नियम बदलना चाहिए।अपनी विरासत पर गर्व के लिए प्रेरित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा हम कुछ चीजों के इतने आदि हो जाते हैं कि उसका महत्त्व नहीं समझते। इस विलगाव ने हमारा काफी नुकसान किया है। आजादी के बाद भी एक ऐसी सोच ने हमें जक़ड कर रखा है जो पुरातन के गर्व को बुरा मानता है। जब तक हमें इस पुरानी धरोहर पर गर्व नही होगा, तब तक उसे संजोने का मन ही नहीं करता।