हो गया ऐलान, गहलोत होंगे राजस्थान के मुख्यमंत्री, पायलट को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी
हो गया ऐलान, गहलोत होंगे राजस्थान के मुख्यमंत्री, पायलट को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी
नई दिल्ली। राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होंगे। इस संबंध में पार्टी ने शुक्रवार को ऐलान कर दिया। लगातार असमंजस की स्थिति के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर अपने पुराने चेहरे पर ही भरोसा कर राजस्थान में सत्ता की कमान सौंपने का फैसला किया है। वहीं सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस मौके पर अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में सुशासन पर काम करेंगे और जनता से किए वादों को पूरा किया जाएगा। वहीं सचिन पायलट ने राहुल गांधी और पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों को धन्यवाद कहा। उन्होंने पार्टी को मिला जनादेश जनता को संतोष देने वाला बताया। साथ ही घोषणा पत्र में किए गए वादों को लागू करने की बात कही।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक तस्वीर पोस्ट की थी जिसमें वे गहलोत और पायलट के साथ मुस्कुराते हुए दिखाई दे रहे थे। उन्होंने लिखा था ‘राजस्थान में एकता के रंग’। इसके जरिए राहुल ने पार्टी की एकजुटता का संदेश दिया था। चूंकि इस बार राजस्थान विधानसभा चुनाव में गहलोत और पायलट कांग्रेस के दो बड़े चेहरे थे, इसलिए नतीजे आने से पहले ही यह चर्चा जोरों पर थी कि यदि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो मुख्यमंत्री कौन होगा। पायलट के समर्थकों ने तो 7 दिसंबर को ही पार्टी के सामने यह मांग रख दी थी कि कांग्रेस को 21 सीटों से सत्ता तक लाने में प्रदेशाध्यक्ष पायलट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लिहाजा उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाए।इस तरह चुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर हलचल बढ़ती जा रही थी। कांग्रेस दफ्तर के सामने गहलोत और पायलट के समर्थक नारेबाजी करने लगे थे। दोनों खेमों में अपने पसंदीदा उम्मीदवार को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग हो रही थी। इसलिए कांग्रेस दफ्तर के सामने पुलिसबल तैनात किया गया। उधर कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर ही छोड़ा, जिन्होंने गहलोत और पायलट से चर्चा की थी। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं से एप के जरिए राय मांगी गई।
कांग्रेस में मुख्यमंत्री के नाम पर असमंजस की स्थिति में एक ओर जहां कार्यकर्ता सड़कों पर उतर नारेबाजी करने लगे थे, वहीं नवनिर्वाचित विधायक भी इससे सहज नहीं थे। इससे नाराज होकर विधायक विश्वेंद्र सिंह ने बैठक छोड़ दी थी। उनका कहना था कि यदि आलाकमान को ही मुख्यमंत्री के नाम का फैसला करना है तो विधायकों से राय क्यों ली जा रही है।
संगठन से सरकार तक चला गहलोत का जादू
अशोक गहलोत राजस्थान के दो बार (1998-2003 और 2008-2013) मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें प्रदेश की राजनीति का लंबा अनुभव रहा है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह गहलोत जादूगर थे। हालांकि अशोक गहलोत का जादू राजनीति में चला और वे सांसद से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री तक बने। 3 मई, 1951 को जोधपुर में जन्मे अशोक गहलोत छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं।
उन्होंने विज्ञान और कानून से स्नातक किया। वे अर्थशास्त्र से एमए भी हैं। वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल में शरणार्थी शिविरों में काम किया था। गहलोत 1980 में लोकसभा सांसद बने। इसके बाद वे देश-प्रदेश की राजनीति में आगे बढ़ते गए। उनका नाम कांग्रेस के उन वरिष्ठ नेताओं में शुमार रहा है जो राजीव गांधी से लेकर सोनिया और राहुल गांधी के भी भरोसेमंद रहे हैं।
अशोक गहलोत कांग्रेस में संगठन महासचिव हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में वे खासे लोकप्रिय हैं। इसके अलावा संगठन और सरकार में काम करने का उनका लंबा अनुभव है। दो बार मुख्यमंत्री और संगठन में कई पदों पर काम कर चुके गहलोत की स्वच्छ छवि है। वे कांग्रेस के जांचे-परखे चेहरे हैं जिन पर राहुल गांधी यकीन कर सकते हैं।
इस बार भी गहलोत अपनी चर्चित विधानसभा सीट सरदारपुरा से खड़े हुए थे। उन्होंने 97,081 वोट हासिल कर भाजपा के शंभूसिंह खेतासर को हराया। यहां जीत का अंतर 45,597 वोटों का रहा। गहलोत के खाते में इस सीट के 61.46 प्रतिशत वोट आए। पिछले चुनाव में भी गहलोत के सामने खेतासर खड़े हुए थे और सरदारपुरा सीट कांग्रेस के खाते में गई।