राजस्थान: सांगानेर में चतुष्कोणीय संग्राम, वोटों के बंटवारे पर टिकी शह-मात

राजस्थान: सांगानेर में चतुष्कोणीय संग्राम, वोटों के बंटवारे पर टिकी शह-मात

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जयपुर। राजस्थान में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में ज्यादातर सीटों पर सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच दिख रहा है लेकिन हर सीट पर ऐसा नहीं है। कहीं त्रिकोणीय तो कहीं चतुष्कोणीय तक मुकाबले के आसार नजर आ रहे हैं। सांगानेर विधानसभा सीट मुख्यत: चार चेहरों के बीच मुकाबले के कारण चर्चा में है। इनमें से तीन नाम तो भाजपा की पृष्ठभूमि से निकलकर ही मैदान में आए हैं।

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कभी भाजपा के दिग्गज रहे घनश्याम तिवाड़ी यहां स्वयं की भारत वाहिनी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं भाजपा से बगावत कर ज्ञानदेव आहूजा ने भी यहीं से ताल ठोक दी है। वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। अब भाजपा ने यहां से महापौर अशोक लाहौटी को टिकट दे दिया है। कांग्रेस पुष्पेंद्र भारद्वाज को उतार चुकी है।

ऐसे में सांगानेर सीट पूरे राजस्थान में आकर्षण का केंद्र बन चुकी है कि आखिर मतदाता इनमें से किसे विधानसभा में बैठाएगा। घनश्याम तिवाड़ी यहां से विधायक हैं और पिछली बार भारी मतों से जीते थे। पार्टी नेतृत्व के साथ अनबन के बाद उन्होंने स्वयं की पार्टी बना ली। उन्हें उम्मीद है कि उनका परंपरागत मतदाता इस बार भी उन पर भरोसा जताएगा। सांगानेर में मुख्यत: ब्राह्मण मतदाता तिवाड़ी के साथ जुड़ा रहा है।

हालांकि कांग्रेस ने पुष्पेंद्र भारद्वाज को उतारकर तिवाड़ी की चुनौती बढ़ा दी है। पुष्पेंद्र भी ब्राह्मण समाज से आते हैं। अगर वे तिवाड़ी के वोटों का बंटवारा कर कांग्रेस का परंपरागत वोट हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं तो यहां से मुकाबला और कड़ा हो सकता है। पुष्पेंद्र भी इस इलाके में सक्रिय रहे हैं।

अपने बयानों से विवादों में रह चुके ज्ञानदेव आहूजा टिकट कटने से खफा हैं। रामगढ़ के विधायक आहूजा अब सांगानेर में डेरा डाल चुके हैं। सिंधी समाज से आने वाले आहूजा द्वारा सांगानेर में चुनाव लड़ने की एक वजह यह भी हो सकती है कि यहां काफी तादाद में सिंधी मतदाता हैं। इसके अलावा आहूजा का हिंदुत्व पर जोर रहा है तो उन्हें उम्मीद है कि यह वर्ग भी उनके साथ आएगा।

इन सबके बीच भाजपा के अशोक लाहोटी चुनाव प्रचार में जुटे हैं। वे स्थानीय राजनीति में खास पहचान बना चुके हैं। वैश्य समाज से आने वाले लाहोटी के सामने बड़ी चुनौती भाजपा के वोटों को एकजुट करना होगा। इसमें कामयाब रहने पर उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है। इसके अलावा जनता प्रदेश सरकार से पिछली बार किए गए वादे और स्थानीय मुद्दों पर आधारित सवाल खड़े कर रही है, जिनके जवाब लाहोटी को देने होंगे।

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