राजस्थान: दिग्गज नेताओं की भिड़ंत से इन सीटों पर रोचक हुआ मुकाबला

राजस्थान: दिग्गज नेताओं की भिड़ंत से इन सीटों पर रोचक हुआ मुकाबला

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जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनावों में हर सीट के लिए कांग्रेस, भाजपा और अन्य दलों में टक्कर हो रही है। इस बार कुछ सीटों पर मुकाबला बेहद रोचक होने जा रहा है क्योंकि यहां दिग्गजों में भिड़ंत हो रही है। इस बीच क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों ने मुकाबले को मुश्किल बना दिया है। बता दें कि शुक्रवार को 199 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। एक सीट (रामगढ़) का निर्वाचन बसपा प्रत्याशी की मृत्यु के कारण टाल दिया गया है, जहां बाद में मतदान होगा। इस बार राजस्थान की इन सीटों पर देशभर की नजर होगी।

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झालरापाटन
यहां सीधा मुकाबला वसुंधरा राजे और मानवेंद्र सिंह के बीच है। कांग्रेस ने मानवेंद्र को बाड़मेर-जैसलमेर के बजाय सैकड़ों किमी दूर झालरापाटन से मैदान में उतार दिया। बताया जा रहा है कि मानवेंद्र को कांग्रेस का परंपरागत वोट और राजपूतों का वोट मिल सकता है। चूंकि राजपूत समाज पिछले लोकसभा चुनावों में जसवंत सिंह का टिकट काटने सहित कई मामलों को लेकर वसुंधरा राजे से नाराज रहा है। ऐसे में वह मानवेंद्र के साथ जा सकता है। हालांकि वसुंधरा राजे से मानवेंद्र का मुकाबला आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां असल मुद्दा दो परिवारों की लड़ाई और उनका स्वाभिमान नहीं, बल्कि विकास है। साथ ही मानवेंद्र को बाहरी उम्मीदवार भी बताया जा रहा है।

सरदारपुरा
जोधपुर की सरदारपुरा सीट से इस बार भी कांग्रेस के अशोक गहलोत और भाजपा के शंभूसिंह खेतासर आमने-सामने हैं। यहां से 2013 में भी दोनों ने चुनाव लड़ा था। तब खेतासर हार गए थे। गहलोत कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनका लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है। क्षेत्र में उनका अच्छा प्रभाव है। वहीं खेतासर को भाजपा के परंपरागत वोट की उम्मीद है। खेतासर तीन बार चुनाव ​हार चुके हैं, लेकिन छात्र राजनीति में वे गहलोत को शिकस्त दे चुके हैं।

टोंक
यहां भी सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच बताई जा रही है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री यूनुस खान यहां से किस्मत आजमा रहे हैं। इस सीट पर बड़ा सियासी उलटफेर हुआ। पहले भाजपा ने यहां से अजीत मेहता को टिकट दिया था, लेकिन बाद में कांग्रेस ने पायलट को उतारा तो भाजपा को प्रत्याशी बदलना पड़ा। उसने यूनुस खान को टिकट दिया। यूनुस खान प्रदेश में भाजपा के इकलौते मुस्लिम प्रत्याशी हैं। टोंक में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी तादाद है। इसके अलावा जातिगत समीकरण हावी हैं।

सांगानेर
भाजपा से बगावत कर खुद की पार्टी बनाने वाले घनश्याम तिवाड़ी इस बार भी मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज और भाजपा के अशोक लाहोटी हैं। तिवारी यहां लंबे समय से सक्रिय रहे हैं और राजनीति में उनका लंबा अनुभव रहा है, लेकिन उनकी पार्टी नई है। वहीं कांग्रेस के पुष्पेंद्र यहां से नया चेहरा हैं। सांगानेर में अशोक लाहोटी की एंट्री से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। हालांकि पहले यहां से चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार थे, क्योंकि रामगढ़ से विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने ताल ठोक दी। बाद में भाजपा ने उन्हें मना लिया और वे मुकाबले से हट गए।

नाथद्वारा
धार्मिक नगरी नाथद्वारा में इस बार खूब सियासी हलचल है। यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने भाजपा के महेश प्रताप सिंह हैं। जोशी के साथ कांग्रेस का परंपरागत वोट और ब्राह्मण वोट जुड़ा रहा है। इस बार उनका विवादित बयान भी सुर्खियों में रहा, जिससे लोग नाराज हो गए। वहीं महेश प्रताप पूर्व में कांग्रेस में रहे हैं। बता दें कि सीपी जोशी 2008 के चुनाव में मात्र एक वोट से हार गए थे। उन्हें भाजपा के कल्याण सिंह ने शिकस्त दी थी।

उदयपुर शहर
राजस्थान में पर्यटन के लिए मशहूर उदयपुर शहर में इस बार सियासी मुकाबला बहुत कड़ा होने जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस और भाजपा ने अपने दिग्गज चेहरों को प्रत्याशी बनाया है। यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास और प्रदेश के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा भाजपा के बागी और निर्दलीय भी मैदान में कूद पड़े हैं। गिरिजा व्यास और कटारिया 1985 के विधानसभा और 1991 के लोकसभा चुनाव में आमने-सामने थे। हालांकि तब व्यास जीत गईं। दोनों ही नेताओं का राजनीति में लंबा अनुभव रहा है। पार्टी के साथ ही दोनों के कार्यकर्ता जीत के लिए पूरा दमखम लगा रहे हैं।

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