सपा से भिड़ंत को तैयार शिवपाल, बोले- उप्र की सभी लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ेगा सेक्युलर मोर्चा

सपा से भिड़ंत को तैयार शिवपाल, बोले- उप्र की सभी लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ेगा सेक्युलर मोर्चा

शिवपाल सिंह यादव

बागपत/वार्ता। समाजवादी पार्टी (सपा) से अलग होकर समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने वाले पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने शुक्रवार को ऐलान किया कि मोर्चा उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बागपत जिले के दौरे पर आए यादव ने दरकवदा गांव में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने सपा में उपेक्षित और अपमानित होने पर मोर्चा गठित किया।

उन्होंने कहा कि मोर्चा का मकसद उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलना है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के सवाल को सिरे से खारिज करते हुए मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर सपा का गठन किया था। सपा में उनको ही नहीं वरिष्ठ नेताओं को अपमानित किया जा रहा था और सभी को पार्टी में हाशिये पर रख दिया गया था।

इस मौके पर 2014 में कांग्रेस के टिकट पर संभल से चुनाव लड़ने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सेक्युलर मोर्चा का लक्ष्य उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलना है। कार्यकर्ताओं से अगले वर्ष होने वाले चुनाव के लिए अभी से तैयारियों में जुट जाने का आह्वान करते हुए यादव ने कहा कि मोर्चा सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा।

यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उस बयान को भी निराधार बताया जिसमें उनकी भाजपा से सांठगांठ की बात कही गई थी। पत्रकारों के इस सवाल पर कि उनकी सपा से नाराजगी है या पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से, उन्होंने कहा कि उनकी किसी से मुखालफत नहीं है। वह उन लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं जो सपा में उपेक्षित और अपमानित किए जा रहे हैं।

पूर्व मंत्री ने कहा कि सपा संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का भी सपा में सम्मान नहीं रहा है और इससे वह बहुत आहत हैं। पार्टी की किसी बैठक में उन्हें भी नहीं बुलाया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जिनका सपा में अपमान हो रहा है, उन्हें एक मंच पर लाने के साथ ही अन्य क्षेत्रीय दलों को भी मोर्चा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर उन्होंने पार्टी बनाई और अब इसके टूटने का उन्हें दुख भी है। यादव ने कहा कि परिवार को एक साथ रखने की बहुत कोशिश की गई लेकिन अपमान की भी एक सीमा होती है।

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