मथुरा-कोटा रेल खंड पर कवच 4.0 को स्थापित किया गया
ज्यादा सुरक्षित होगा ट्रेन का सफर
रेल मंत्री ने 'आत्मनिर्भर भारत' दृष्टिकोण को बताया प्रेरणा
गोरखपुर/दक्षिण भारत। भारतीय रेलवे ने अपनी सुरक्षा प्रणालियों के आधुनिकीकरण को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए स्वदेशी रेल सुरक्षा प्रणाली 'कवच 4.0' को दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा रेल खंड पर स्थापित किया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' दृष्टिकोण को प्रेरणा बताया है।
इस प्रणाली को पिछले साल जुलाई में आरडीएसओ ने मंजूरी दी थी। विकसित देशों को ऐसी प्रणाली तैयार कर लागू करने में दशकों का समय लगता है, जबकि कोटा-मथुरा रेलखंड पर कवच 4.0 को स्थापित करने में बहुत कम समय लगा है। वहीं, कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली को पूर्वोत्तर रेलवे के 1,441 रूट किमी पर लगाने के कार्य को रेल मंत्रालय ने मंजूरी दी है। इस पर 492.21 करोड़ रुपए की लागत आएगी।बता दें कि कवच को ट्रेनों की गति की निगरानी और नियंत्रण के जरिए दुर्घटनाएं टालने के लिए तैयार किया गया है। वर्ष 2015 में इस पर काम शुरू किया गया और तीन वर्षों तक परीक्षण चला था। विभिन्न तकनीकी सुधारों के बाद इसे सबसे पहले दक्षिण मध्य रेलवे में स्थापित किया गया तथा वर्ष 2018 में पहला संचालन प्रमाणपत्र मिला था।
इन अनुभवों के बाद उन्नत संस्करण 'कवच 4.0' को विकसित किया गया। इसे मई 2025 में 160 किमी प्रति घंटा तक की रफ्तार के लिए मंजूरी मिली थी। इसमें इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरणों का निर्माण भारत में हुआ है। इस प्रणाली में एसआईएल-4 यानी सुरक्षा के सर्वाेच्च स्तर का ध्यान रखा गया है।
गौरतलब है कि रेलवे अगले छह वर्षों में देश के विभिन्न मार्गों पर कवच 4.0 को स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए अब तक 30,000 से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षण मिल चुका है। कवच को बीटेक पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कई संस्थानों के साथ समझौते हो चुके हैं। इनमें एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त 17 इंजीनियरिंग कॉलेज, संस्थान और विश्वविद्यालय शामिल हैं।
कवच से लोको पायलटों को प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों में बहुत मदद मिलेगी। उन्हें केबिन में डैशबोर्ड पर जानकारी दिखाई देगी। आपात परिस्थितियों में प्रभावी ढंग से ब्रेक लगाने में भी आसानी होगी।


