अर्हम की अनुप्रेक्षा से साधक अर्हता को प्राप्त करता है: मुनिश्री पुलकित कुमार
'प्रेक्षाध्यान का प्रयोग उपयोगी होता है'

'अर्हम वही व्यक्ति बन सकता है जिसने अहं का त्याग किया हो'
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। तेरापंथ महिला मंडल यशवंतपुर द्वारा आयोजित प्रेक्षा प्रवाह कार्यशाला मंत्र प्रेक्षा अर्हम के तहत 'जीरो से हीरो’ बनने का प्रशिक्षण सत्र मुनिश्री पुलकित कुमार जी के सान्निध्य में यशवंतपुर भवन में आयोजित हुआ।
मुनि डॉ. पुलकित कुमार जी ने कहा कि जीव जन्म से जीरो होता है लेकिन धीरे-धीरे विकास करता हुआ हीरो बनने की अर्हता हासिल करता है। इसके लिए प्रेक्षाध्यान का प्रयोग उपयोगी होता है। अर्हम की अनुप्रेक्षा से साधक अर्हता को प्राप्त करता है।मुनिश्री ने कहा कि अर्हम वही व्यक्ति बन सकता है जिसने अहं का त्याग किया हो, जिसमें विनम्रता के भाव हों। जो अल्पाहारी हो।इन तीन सूत्रों को अपनाकर व्यक्ति जीरो से हीरो बन सकता है।
मुनिश्री आदित्य मुनि ने अर्हम मंत्र का सविधि जप का प्रयोग करवाते हुए प्रकंपनों को पैदा करने के लिए मंत्र का महत्त्व बताया। अक्षरों के विशिष्ट संयोजन से मंत्र बनते हैं। अर्हम एक ऐसा ही विशिष्ट शब्द है जिसके प्रयोग से व्यक्ति अपनी अर्हता को प्राप्त करने की ओर अग्रसर हो सकता है।
हासन लवकुश इंजीनियरिंग कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. बबीता जैन ने कहा कि ज्ञानशाला से बच्चों में धर्म के संस्कार पल्लवित होते हैं। महिला मंडल की अध्यक्ष मीनाक्षी दक ने मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
सभा के पूर्व अध्यक्ष गौतम मुथा ने भी यशवंतपुर क्षेत्र में संचालित कार्यो की जानकारी देते हुए मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। मंत्री अनिल दक ने आगामी कार्यों की सूचना दी। संचालन महिला मंडल की मंत्री लाडली मुथा ने किया।