फर्जी किराया समझौते, फर्जी विज्ञापन हेराल्ड मामले में धन शोधन के साधन: भाजपा
भाजपा प्रवक्ता प्रत्यूष कांत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा ...

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। भाजपा ने शनिवार को दावा किया कि नेशनल हेराल्ड मामले में फर्जी किराया समझौते, अग्रिम किराया भुगतान और फर्जी विज्ञापनों का इस्तेमाल धन शोधन के लिए किया गया। साथ ही, भाजपा ने कांग्रेस के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ आरोपों में कोई दम नहीं है।
भाजपा प्रवक्ता प्रत्यूष कांत ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नेशनल हेराल्ड की शुरुआत साल 1938 में लोगों की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए की गई थी, लेकिन नेहरू-गांधी परिवार ने इसकी अचल संपत्ति पर नजर डालकर इसे निजी संपत्ति में बदलने की कोशिश की।उन्होंने जांच का हवाला देते हुए दावा किया कि यंग इंडियन नामक एनजीओ, जिसके 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के स्वामित्व में हैं, को ऐसे लोगों और संस्थाओं से 18.12 करोड़ रुपए का दान मिला, जो वास्तविक नहीं पाए गए।
प्रत्यूष कांत ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में भ्रष्टाचार मुख्यतः तीन तरीकों' फर्जी किराया समझौतों, अग्रिम किराया समझौतों और फर्जी विज्ञापनों' के माध्यम से किया गया। इसमें कोई वैध किराया समझौता नहीं था तथा शामिल पक्ष फर्जी संस्थाएं थीं।