अवंति पार्श्वनाथ तीर्थ की छठी वर्षगांठ पर हुआ ध्वजाराेहण
बेंगलूरु के कुशलराज गुलेच्छा परिवार ने फहराई ध्वजा

'व्यक्ति काे अपने व्यवहार एवं दिनचर्या काे भी हृदय से बदलना चाहिए'
बेंगलूरु/उज्जैन। उज्जैन के अवंति पार्श्वनाथ तीर्थ जैन श्वेतांबर मारवाड़ी समाज ट्रस्ट के तत्वावधान में अवंती तीर्थ की छठी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में तीर्थ के शिखर पर ध्वजाराेहण का वरघाेडा निकाला गया। साध्वीश्री अमितयशाश्रीजी, अमीझराश्रीज के सान्निध्य में वरघाेड़ा निकाला गया।
ट्रस्ट के अध्यक्ष अशाेककुमार काेठारी ने सभी का स्वागत किया। तत्पश्चात मूलनायक अवंति पार्श्वनाथ की मुख्य ध्वजा बेंगलूरु निवासी संघवी कुशलराज उत्तमचन्द ललितकुमार गुलेच्छा परिवार ने अमर ध्वजा फहराई।चिंतामणी पार्श्वनाथ ध्वजा के लाभार्थीं विजया हीरालालजी राठाैड बड़गाँव निवासी, आदेश्वर भगवान की ध्वजा के लाभार्थी श्री विमलादेवी माँगीलाल मालू परिवार द्वारा फहराई गई।
इस उपलक्ष्य में संतश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि आज से 6 वर्ष पूर्व प्रतिष्ठाचार्य खरतरगच्छाधिपति आचार्यश्री जिन मणिप्रभसूरीश्वरजी एवं शताधिक साधु-साध्वी की निश्रा में प्रतिष्ठा समय का जाे माहाैल तीर्थ नगरी में था, वह आज भी बरकरार है।
संतश्री ने कहा कि जीवन यात्रा में प्रतिकूलता का मूल्य जाने बिना अनुकूलता के अनुभव का पता नहीं चलता है। मूलनायक अवंति तीर्थ की ध्वजा आज बदली जा रही है, इसी तरह व्यक्ति काे अपने व्यवहार एवं दिनचर्या काे भी हृदय से बदलना चाहिए। ध्वजा ताे प्रतीकात्मक हाेती है।
गुरुवर्या श्री जी का कहना है कि जब भी ध्वजा बदली जाती है ताे उस समय मनुष्य काे भी अपने भावाें में परिवर्तन करके परमात्मा शक्ति काे याद करके श्रद्धा के साथ नमन करना चाहिए तथा अपने जीवन की बुराइयाें का त्याग करना चाहिए ताकि ध्वजा बदलने की सार्थकता हाेती है।
ललित डाकलिया ने बताया कि ध्वजाराेहण कार्यक्रम में अध्यक्ष अशाेक काेठारी, उपाध्यक्ष ललित बाफना, महामंत्री अभय छाजेड़, काेषाध्यक्ष दिलीप चाैपड़ा सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।