'मातृछाया' की सदस्याओं ने की तीर्थयात्रा; जीवदया व परमार्थ सेवा के कार्य किए
'धन का सही उपयाेग तभी हाेता है जब हम इसे जरूरतमंदाें की सहायता में लगाते हैं'

गाैशालाओं एवं पशु चिकित्सा केंद्राें में भी बड़ी सहयाेग राशि प्रदान की गई
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के जैन महिला संगठन 'मातृछाया’ की सदस्याओं ने शंखेश्वर और पालीताना सहित लगभग 15 पावन तीर्थ स्थलाें की ग्यारह दिवसीय तीर्थ यात्रा सम्पन्न कर वापस बेंगलूरु आई।
अध्यक्ष ललिता नागाेरी ने बताया कि लगभग 30 सदस्याओं ने तीर्थ दर्शन, साधु-साध्वियाें की वैयावच्च, वंदन और भक्ति के साथ-साथ जीवदया एवं परमार्थ सेवा का भी भरपूर लाभ लिया। उन्हाेंने कहा कि जाे व्यक्ति सच्चे मन से सेवा और दान करता है, उसे न केवल आत्मिक सुख मिलता है, बल्कि उसकी जीवन यात्रा भी सुखद और सफल हाेती है।मार्गदर्शिका त्रिशला काेठारी ने बताया कि इस यात्रा में धार्मिक आस्था काे सुदृढ़ करने के साथ ही अनाथ आश्रम, वृद्धाश्रम और महिलाओं के आश्रमाें में सेवा प्रदान कर इन केंद्राें काे 21 हजार रुपए की सहायता राशि चेक एवं नकद रूप में भेंट किए गए।
उन्हाेंने कहा कि धन का सही उपयाेग तभी हाेता है जब हम इसे जरूरतमंदाें की सहायता में लगाते हैं। जरूरतमंदाें की मदद करना मानवता का सबसे बड़ा धर्म है। सभी जीवाें पर दया करना हमारे जीवन का मूल उद्देश्य हाेना चाहिए। मनुष्य ही एकमात्र जीव है जाे अपनी शक्ति से अन्य जीवाें की सेवा कर सकता है।
सचिव रेशमा बडाेला ने बताया कि यात्रा के दाैरान अनेक गाैशालाओं एवं पशु चिकित्सा केंद्राें में भी बड़ी सहयाेग राशि प्रदान की गई। उपाध्यक्ष पुष्पा बाफना ने बताया कि जैन समाज के साधर्मिकाें काे आर्थिक सहायता प्रदान की। संगठन की सदस्याओं ने साधु चर्या काे निकट से जानने के साथ-साथ उनके आहार सेवा और भक्ति का भी लाभ लिया।
तीर्थस्थलाें की व्यवस्था समिति ने मातृछाया के सेवा कार्याें की प्रशंसा करते हुए उनका अभिनंदन किया। सहायता प्राप्त करने वाली संस्थाओं के प्रमुखाें ने मातृछाया के सहयाेग हेतु अपना आभार प्रकट किया।
About The Author
Related Posts
Latest News
