नेताजी के सपनों का भारत बनाएं
दृढ़ संकल्प ही सिद्धि की ओर लेकर जाता है

ऐसा संकल्प समस्त देशवासियों को लेना चाहिए
महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कटक में आयोजित 'पराक्रम दिवस कार्यक्रम' को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो संदेश दिया, वह वर्तमान में अत्यंत प्रासंगिक है। नेताजी सुभाष भारत मां के महान सपूत थे। समृद्ध परिवार से होने और आईसीएस परीक्षा पास करने के बावजूद उन्होंने वह रास्ता चुना, जिसमें घोर अनिश्चितता और संकट ही संकट थे। उन्होंने अपने सभी सुख और आराम इसलिए छोड़े, क्योंकि वे अपने देशवासियों को अंग्रेजी शिकंजे से आज़ाद करवाना चाहते थे, उनका जीवन सुखमय बनाना चाहते थे। नेताजी की जीवनी पढ़कर, उनके भाषण सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसे महापुरुष कई सदियों में एक बार जन्म लेते हैं। हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए, उन्हें अपना आदर्श मानना चाहिए। किशोरों और युवाओं को तो नेताजी की जीवनी जरूर पढ़नी चाहिए। दुर्भाग्य की बात है कि आज कई किशोर और युवा उन कथित सेलिब्रिटी की नकल करने में ही बड़प्पन समझते हैं, जो नशा, जुआ, सट्टा, और हानिकारक चीजों का प्रचार-प्रसार करने से नहीं हिचकते। नेताजी बचपन से ही अत्यंत साहसी थे। उनके आदर्श स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस और महर्षि अरविंद जैसे दिव्य संत थे। स्कूल-कॉलेज की उम्र में, जब ज्यादातर लोगों को मेले-ठेले और मौज-मस्ती से जुड़े स्थान बहुत भाते हैं, तब नेताजी सत्य की खोज में निकल पड़े थे। उन्होंने गुलामी की बेड़ियों और कुरीतियों को मानने से इन्कार कर दिया था। नेताजी के कई भाषण ई-बुक के रूप में उपलब्ध हैं। उन्हें पढ़ें तो पता चलता है कि वे कैसा भारत बनाना चाहते थे! नेताजी ने एक ऐसे आज़ाद भारत का सपना देखा था, जो सुखी, समृद्ध, सुरक्षित और आत्मनिर्भर हो। वे ऐसा मजबूत भारत बनाना चाहते थे, जिसकी ओर दुश्मन ताकतें देखने की जुर्रत न कर सकें।
नेताजी आज़ादी की लड़ाई के सिलसिले में कई बार जेल गए थे। उन्होंने भारतवासियों पर अंग्रेजी हुकूमत की ज्यादती को बहुत करीब से देखा था। क्या हम ऐसा भारत बना पाए हैं, जहां किसी पर जुल्म न हो, ज्यादती न हो? क्या हम भ्रष्टाचार से मुक्त समाज की स्थापना कर पाए हैं? नेताजी 'स्वदेशी' के बहुत बड़े समर्थक थे। उन्होंने भारतीय उद्योगों को मजबूत बनाने पर जोर दिया था। वे ग्रामोत्थान के पैरोकार थे। क्या हम ऐसी व्यवस्था का निर्माण कर पाए, जिससे हमारे उद्योग मजबूत हों। जब अमेरिका में भारतीय मूल का व्यक्ति किसी कंपनी का सीईओ बन जाता है तो यहां लोग खुशी मनाते हैं, मनानी भी चाहिए, लेकिन क्या वजह है कि हम अपने देश में वैसी कंपनियां नहीं बना पाते, अपनी युवा प्रतिभाओं के ज्ञान और योग्यता का उपयोग अपने देश के लिए नहीं कर पाते? क्या वजह है कि हमारे देश के युवा यहां रहकर एलन मस्क, मार्क जुकरबर्ग, बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और लैरी पेज जैसे उद्यमी नहीं बन पाते? बेशक हमारे पास प्रतिभाशाली युवा बहुत हैं, लेकिन उनके आगे बढ़ने के लिए वैसी संभावनाएं क्यों नहीं हैं, जैसी अमेरिका में हैं? क्या सरकारें इस ओर ध्यान देंगी? नेताजी स्वयं बहुत अनुशासित थे। वे राष्ट्रनिर्माण के लिए अनुशासन को बहुत जरूरी मानते थे। क्या हम अपने सामाजिक जीवन में अनुशासन का वह स्तर प्राप्त कर पाए हैं, जिससे एक सुंदर समाज का निर्माण किया जा सके? रास्ते में कचरे के ढेर लगाना, सार्वजनिक स्थानों पर थूकना, कतार तोड़कर आगे बढ़ जाना, जल्दबाजी करते हुए भगदड़ मचाना ... जैसे नजारे आज भी बहुत आसानी से देखने को मिल जाते हैं। कई बार इनके कारण हादसे हो जाते हैं। क्या हम नेताजी से प्रेरणा लेकर ऐसा समाज बनाने का संकल्प लेंगे, जो सबके लिए आदर्श बने? दृढ़ संकल्प ही सिद्धि की ओर लेकर जाता है। ऐसा संकल्प समस्त देशवासियों को लेना चाहिए।