लोकल फॉर वोकल, डिजिटल पेमेंट, जल सुरक्षा ... 'मन की बात' में यह बोले मोदी

प्रधानमंत्री ने मन की बात' की 107वीं कड़ी में देशवासियों के साथ अपने विचार साझा किए

लोकल फॉर वोकल, डिजिटल पेमेंट, जल सुरक्षा ... 'मन की बात' में यह बोले मोदी

'राष्ट्र निर्माण की कमान जनता-जनार्दन संभाल लेती है, तो दुनिया की कोई भी ताकत आगे बढ़ने से नहीं रोक पाती'

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' की 107वीं कड़ी में देशवासियों के साथ अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 26 नवंबर के दिन को हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं। आज के ही दिन देश पर सबसे जघन्य आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने मुंबई को, पूरे देश को थर्रा कर रख दिया था। लेकिन यह भारत की सामर्थ्य है कि हम उस हमले से उबरे और अब पूरे हौसले के साथ आतंक को कुचल भी रहे हैं। मुंबई हमले में अपना जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूं। इस हमले में हमारे जो जांबाज वीरगति को प्राप्त हुए, देश आज उन्हें याद कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिन एक और वजह से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। साल 1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था। मुझे याद है, जब साल 2015 में हम बाबा साहेब अंबेडकर की 125वीं जन्मजयंती मना रहे थे, उसी समय यह विचार आया था कि 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाया जाए। और तब से हर साल आज के इस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। मैं सभी देशवासियों को संविधान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। और हम सब मिलकर नागरिकों के कर्तव्य को प्राथमिकता देते हुए, विकसित भारत के संकल्प को जरूर पूरा करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सब जानते हैं कि संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा था। सच्चिदानंद सिन्हा संविधान सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे। साठ से ज्यादा देशों के संविधान का अध्ययन और लंबी चर्चा के बाद हमारे संविधान का मसौदा तैयार हुआ था। यह तैयार होने के बाद उसे अंतिम रूप देने से पहले उसमें 2 हजार से अधिक संशोधन फिर किए गए थे। साल 1950 में संविधान लागू होने के बाद भी अब तक कुल 106 बार संविधान संशोधन किया जा चुका है। समय, परिस्थिति, देश की आवश्यकता को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने अलग-अलग समय पर संशोधन किए। लेकिन यह भी दुर्भाग्य रहा कि संविधान का पहला संशोधन बोलने की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों में कटौती करने के लिए हुआ था। वहीं संविधान के 44वें संशोधन के माध्यम से आपातकाल के दौरान की गईं गलतियों को सुधारा गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भी बहुत प्रेरक है कि संविधान सभा के कुछ सदस्य मनोनीत किए गए थे, जिनमें से 15 महिलाएं थीं। ऐसी ही एक सदस्य हंसा मेहता ने महिलाओं के अधिकार और न्याय की आवाज बुलंद की थी। उस दौर में भारत उन कुछ देशों में था, जहां महिलाओं को संविधान से मतदान का अधिकार दिया। राष्ट्र निर्माण में जब सबका साथ होता है, तभी सबका विकास भी हो पाता है। मुझे संतोष है कि संविधान निर्माताओं के उसी दूरदृष्टि का पालन करते हुए अब भारत की संसद ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को पास किया है। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ हमारे लोकतंत्र की संकल्प शक्ति का उदाहरण है। यह विकसित भारत के हमारे संकल्प को गति देने के लिए भी उतना ही सहायक होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण की कमान जब जनता-जनार्दन संभाल लेती है, तो दुनिया की कोई भी ताकत उस देश को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाती। आज भारत में भी स्पष्ट दिख रहा है कि कई परिवर्तनों का नेतृत्व देश की 140 करोड़ जनता ही कर रही है। इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हमने त्योहारों के इस समय में देखा है। पिछले महीने ‘मन की बात’ में मैंने वोकल फॉर लोकल यानी स्थानीय उत्पादों को खरीदने पर जोर दिया था। बीते कुछ दिनों के भीतर ही दिवाली, भैया दूज और छठ पर देश में चार लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है। और इस दौरान भारत में बने उत्पादों को खरीदने का जबरदस्त उत्साह लोगों में देखा गया। अब तो घर के बच्चे भी दुकान पर कुछ खरीदते समय यह देखने लगे हैं कि उसमें मेड इन इंडिया लिखा है या नहीं लिखा है। इतना ही नहीं ऑनलाइन सामान खरीदते समय अब लोग उद्गम देश भी देखना नहीं भूलते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की सफलता ही उसकी प्रेरणा बन रही है, वैसे ही वोकल फॉर लोकल की सफलता, विकसित भारत - समृद्ध भारत के द्वार खोल रही है।वोकल फॉर लोकल का यह अभियान पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है। वोकल फॉर लोकल अभियान रोजगार की गारंटी है। यह विकास की गारंटी है, यह देश के संतुलित विकास की गारंटी है। इससे शहरी और ग्रामीण, दोनों को समान अवसर मिलते हैं। इससे स्थानीय उत्पादों में मूल्य संवर्धन का भी मार्ग बनता है, और अगर कभी, वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आता है, तो वोकल फॉर लोकल का मंत्र, हमारी अर्थव्यवस्था को संरक्षित भी करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय उत्पादों के प्रति यह भावना केवल त्योहारों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। अभी शादियों का मौसम भी शुरू हो चुका है। कुछ व्यापार संगठनों का अनुमान है कि शादियों के इस सीजन में करीब 5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हो सकता है। शादियों से जुड़ी खरीदारी में भी आप सभी भारत में बने उत्पादों को ही महत्त्व दें। और हां, जब शादी की बात निकली है, तो एक बात मुझे लम्बे अरसे से कभी-कभी बहुत पीड़ा देती है और मेरे मन की  पीड़ा मैं, मेरे परिवारजनों को नहीं कहूंगा तो किसको कहूंगा? आप सोचिये, इन दिनों ये जो कुछ परिवारों में विदेशों में जाकर के शादी करने का जो एक नया ही वातावरण बनता जा रहा है। क्या, यह जरूरी है क्या? भारत की मिट्टी में, भारत के लोगों के बीच, अगर हम शादी-ब्याह मनाएं, तो देश का पैसा, देश में रहेगा। देश के लोगों को आपकी शादी में कुछ-न-कुछ सेवा करने का अवसर मिलेगा, छोटे-छोटे गरीब लोग भी अपने बच्चों को आपकी शादी की बातें बताएंगे। क्या आप लोकल के लिए वोकल के इस मिशन को विस्तार दे सकते हैं? क्यों न हम शादी-ब्याह ऐसे समारोह अपने ही देश में करें? हो सकता है, आपको चाहिए वैसी व्यवस्था आज नहीं होगी, लेकिन अगर हम इस प्रकार के आयोजन करेंगे तो व्यवस्थाएं भी विकसित होंगी। यह बहुत बड़े परिवारों से जुड़ा हुआ विषय है। मैं आशा करता हूं कि मेरी यह पीड़ा उन बड़े-बड़े परिवारों तक जरूर पहुंचेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि त्योहारों के इस मौसम में एक और बड़ा रुझान देखने को मिला है। यह लगातार दूसरा साल है जब दीपावली के अवसर में कैश देकर कुछ सामान खरीदने का प्रचलन धीरे-धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। यानी, अब लोग ज्यादा से ज्यादा डिजिटल भुगतान कर रहे हैं। यह भी बहुत उत्साह बढ़ाने वाला है। आप एक और काम कर सकते हैं। आप तय कीजिए कि एक महीने तक आप यूपीआई से या किसी डिजिटल माध्यम से ही भुगतान करेंगे, नकद भुगतान नहीं करेंगे। भारत में डिजिटल क्रांति की सफलता ने इसे बिल्कुल संभव बना दिया है। और जब एक महीना हो जाए, तो आप मुझे अपने अनुभव, अपनी फोटो जरूर शेयर कीजिए। मैं अभी से आपको अग्रिम अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे युवा साथियों ने देश को एक और बड़ी खुशखबरी दी है, जो हम सभी को गौरव से भर देने वाली है। बुद्धि, विचार और नवाचार- आज भारतीय युवाओं की पहचान है। इसमें तकनीकी के संयोजन से उनकी बौद्धिक संपत्ति में निरंतर बढ़ोतरी हो, यह अपने आप में देश की सामर्थ्य को बढ़ाने वाली महत्वपूर्ण प्रगति है। आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि साल 2022 में भारतीयों के पेटेंट आवेदन में 31 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।विश्व बौद्धिक संपदा संगठन ने एक बड़ी ही दिलचस्प रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट बताती है कि पेटेंट फाइल करने में सबसे आगे रहने वाले टॉप-10 देशों में भी ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। इस शानदार उपलब्धि के लिए मैं अपने युवा साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं अपने युवा-मित्रों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि देश हर कदम पर आपके साथ है। सरकार ने जो प्रशासनिक और कानूनी सुधार किए हैं, उसके बाद आज हमारे युवा एक नई ऊर्जा के साथ बड़े पैमाने पर नवाचार के काम में जुटे हैं। दस वर्ष पहले के आंकड़ों से तुलना करें, तो आज हमारे पेटेंट को 10 गुना ज्यादा मंजूरी मिल रही है। हम सभी जानते हैं कि पेटेंट से ना सिर्फ देश की बौद्धिक संपदा बढ़ती है, बल्कि इससे नए-नए अवसरों के भी द्वार खुलते हैं। इतना ही नहीं, ये हमारे स्टार्टअप की ताकत और क्षमता को भी बढ़ाते हैं। आज हमारे स्कूली बच्चों में भी नवाचार की भावना को बढ़ावा मिल रहा है। अटल टिंकरिंग लैब, अटल इनोवेशन मिशन, कॉलेजों में इन्क्यूबेशन सेंटर, स्टार्टअप इंडिया अभियान, ऐसे निरंतर प्रयासों के नतीजे देशवासियों के सामने हैं। ये भी भारत की युवाशक्ति, भारत की नवोन्वेषी शक्ति का प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसी जोश के साथ आगे चलते हुए ही, हम विकसित भारत के संकल्प को भी प्राप्त करके दिखाएंगे और इसीलिए मैं बार-बार कहता हूं- ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसन्धान’।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको याद होगा कि कुछ समय पहले ‘मन की बात’ में मैनें भारत में बड़ी संख्या में लगने वाले मेलों की चर्चा की थी। तब एक ऐसी प्रतियोगिता का भी विचार आया था, जिसमें लोग मेलों से जुड़ी फोटो साझा करें। संस्कृति मंत्रालय ने इसी को लेकर मेला क्षण प्रतियोगिता का आयोजन किया था। आपको यह जानकार अच्छा लगेगा कि इसमें हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया और बहुत लोगों ने पुरस्कार भी जीते। कोलकाता के रहने वाले राजेश धर ने 'चरक मेला' में गुब्बारे और खिलौने बेचने वाले की अद्भुत फोटो के लिए पुरस्कार जीता। यह मेला ग्रामीण बंगाल में काफी लोकप्रिय है। वाराणसी की होली को शोकेस करने के लिए अनुपम सिंह को मेला चित्र का पुरस्कार मिला। अरुण कुमार नलिमेला, ‘कुलसाई दशहरा’ से जुड़ा एक आकर्षक पहलू को दिखाने के लिए पुरस्कृत किए गए। वैसे ही, पंढरपुर की भक्ति को दिखाने वाली फोटो सबसे ज्यादा पसंद की गई फोटो में शामिल रही, जिसे महाराष्ट्र के ही एक सज्जन राहुलजी ने भेजा था। इस प्रतियोगिता में बहुत सारी तस्वीरें, मेलों के दौरान मिलने वाले स्थानीय व्यंजनों की भी थी। इसमें पुरलिया के रहने वाले आलोक अविनाश की तस्वीर ने पुरस्कार जीता। उन्होंने एक मेले के दौरान बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र के खानपान को दिखाया था। प्रनब बसाक की वह तस्वीर भी पुरस्कृत हुई, जिसमें भगोरिया महोत्सव के दौरान महिलाएं कुल्फी का आनंद ले रही हैं। रूमेला ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में एक गांव के मेले में भजिया का स्वाद लेती महिलाओं की फोटो भेजी थी- इसे भी पुरस्कृत किया गया।

साथियो, ‘मन की बात’ के माध्यम से आज हर गाँव, हर स्कूल, हर पंचायत को, ये आग्रह है कि निरंतर इस तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन करें। आज कल तो social media की इतनी ताकत है, Technology और Mobile घर-घर पहुंचे हुए हैं। आपके लोकल पर्व हों या product, उन्हें आप ऐसा करके भी global बना सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गांव-गांव में लगने वाले मेलों की तरह ही हमारे यहां विभिन्न नृत्यों की भी अपनी ही विरासत है। झारखण्ड, ओडिशा और बंगाल के जन-जातीय इलाकों में एक बहुत प्रसिद्ध नृत्य है जिसे ‘छऊ’ के नाम से बुलाते हैं। 15  से 17 नवम्बर तक एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ श्रीनगर में ‘छऊ’ पर्व का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सबने ‘छऊ’ नृत्य का आनंद उठाया। श्रीनगर के नौजवानों को ‘छऊ’ नृत्य का प्रशिक्षण देने के लिए एक कार्यशाला का भी आयोजन हुआ। इसी प्रकार, कुछ सप्ताह पहले ही कठुआ जिले में ‘बसोहली उत्सव’ आयोजित किया गया। ये जगह जम्मू से 150 किलोमीटर दूर है। इस उत्सव में स्थानीय कला, लोक नृत्य और पारंपरिक रामलीला का आयोजन हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति की सुंदरता को सऊदी अरब में भी महसूस किया गया। इसी महीने सऊदी अरब में ‘संस्कृत उत्सव’ नाम का एक आयोजन हुआ। यह अपने आप में बहुत अनूठा था, क्योंकि ये पूरा कार्यक्रम ही संस्कृत में था। संवाद, संगीत, नृत्य सबकुछ संस्कृत में इसमें वहां के स्थानीय लोगों की भागीदारी भी देखी गई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत’ अब तो पूरे देश का प्रिय विषय बन गया है, मेरा तो प्रिय विषय है ही है और जैसे ही मुझे इससे जुड़ी कोई खबर मिलती है, मेरा मन उस तरफ चला ही जाता है, और स्वाभाविक है, फिर तो उसको ‘मन की बात’ में जगह मिल ही जाती है। स्वच्छ भारत अभियान ने साफ-सफाई और सार्वजनिक स्वच्छता को लेकर लोगों की सोच बदल दी है। यह पहल आज राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बन चुकी है, जिसने करोड़ों देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाया है। इस अभियान ने अलग-अलग क्षेत्र के लोगों, विशेषकर युवाओं को सामूहिक भागीदारी के लिए भी प्रेरित किया है। ऐसा ही एक सराहनीय प्रयास सूरत में देखने को मिला है। युवाओं की एक टीम ने यहां ‘प्रोजेक्ट सूरत’ इसकी शुरुआत की है। इसका लक्ष्य सूरत को एक ऐसा मॉडल शहर बनाना है, जो सफाई और सतत विकास की बेहतरीन मिसाल बने। ‘सफ़ाई रविवार’ के नाम से शुरू हुए इस प्रयास के तहत सूरत के युवा पहले सार्वजानिक जगहों और डुमस बीच की सफाई करते थे। बाद में ये लोग तापी नदी के किनारों की सफाई में भी जी-जान से जुट गए और आपको जान करके खुशी होगी, देखते-ही-देखते इससे जुड़े लोगों की संख्या 50 हजार से ज्यादा हो गई है। लोगों से मिले समर्थन से टीम का आत्मविश्वास बढ़ा, जिसके बाद उन्होंने कचरा इकट्ठा करने का काम भी शुरू किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस टीम ने लाखों किलो कचरा हटाया है। जमीनी स्तर पर किए गए ऐसे प्रयास, बहुत बड़े बदलाव लाने वाले होते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात से ही एक और जानकारी आई है। कुछ सप्ताह पहले वहां अंबाजी में ‘भादरवी पूनम मेले’ का आयोजन किया गया था इस मेले में 50 लाख से ज्यादा लोग आए। यह मेला प्रतिवर्ष होता है। इसकी सबसे ख़ास बात यह रही कि मेले में आए लोगों ने गब्बर हिल के एक बड़े हिस्से में सफाई अभियान चलाया। मंदिरों के आसपास के पूरे क्षेत्र को स्वच्छ रखने का ये अभियान बहुत प्रेरणादायी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं हमेशा कहता हूं कि स्वच्छता कोई एक दिन या एक सप्ताह का अभियान नहीं है, बल्कि यह तो जीवन में उतारने वाला काम है। हम अपने आसपास ऐसे लोग देखते भी हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन, स्वच्छता से जुड़े विषयों पर ही लगा दिया। तमिलनाडु के कोयम्बटूर में रहने वाले लोगानाथन भी बेमिसाल हैं। बचपन में गरीब बच्चों के फटे कपड़ों को देखकर वे अक्सर परेशान हो जाते थे। इसके बाद उन्होंने ऐसे बच्चों की मदद का प्रण लिया और अपनी कमाई का एक हिस्सा इन्हें दान देना शुरू कर दिया। जब पैसे की कमी पड़ी तो लोगानाथन ने टॉयलेट तक साफ़ किए, ताकि जरूरतमंद बच्चों की मदद हो सके। वे पिछले 25 सालों से पूरी तरह समर्पित भाव से अपने इस काम में जुटे हैं और अब तक 1500 से अधिक बच्चों की मदद कर चुके हैं। मैं एक बार फिर ऐसे प्रयासों की सराहना करता हूं। देशभर में हो रहे इस तरह के अनेकों प्रयास न सिर्फ हमें प्रेरणा देते हैं, बल्कि कुछ नया कर गुजरने की इच्छाशक्ति भी जगाते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी की बहुत बड़ी चुनौतियों में से एक है – ‘जल सुरक्षा’। जल का संरक्षण करना, जीवन को बचाने से कम नहीं हैं। जब हम सामूहिकता की इस भावना से कोई काम करते हैं तो सफलता भी मिलती है। इसका एक उदाहरण देश के हर जिले में बन रहे ‘अमृत सरोवर’ भी है। ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान भारत ने जो 65 हजार से ज्यादा ‘अमृत सरोवर’ बनाए हैं, वो आने वाली पीढ़ियों को लाभ देंगे। अब हमारा ये भी दायित्व है कि जहां-जहां ‘अमृत सरोवर’ बने हैं, उनकी निरंतर देखभाल हो, वो जल संरक्षण के प्रमुख स्त्रोत बने रहें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण की ऐसी ही चर्चाओं के बीच मुझे गुजरात के अमरेली में हुए ‘जल उत्सव’ का भी पता चला। गुजरात में बारहमास बहने वाली नदियों का भी अभाव है, इसलिए लोगों को ज्यादातर बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। पिछले 20-25 साल में सरकार और सामाजिक संगठनों के प्रयास के बाद वहां की स्थिति में बदलाव जरूर आया है। और इसलिए वहां ‘जल उत्सव’ की बड़ी भूमिका है। अमरेली में हुए ‘जल उत्सव’ के दौरान ‘जल सरंक्षण’ और झीलों के संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाई गयी। इसमें पानी के खेल को भी बढ़ावा दिया गया, जल सुरक्षा के जानकारों के साथ मंथन भी किया गया। कार्यक्रम में शामिल लोगों को तिरंगे वाला पानी का फव्वारा बहुत पसंद आया। इस जल उत्सव का आयोजन सूरत के हीरे के कारोबार में नाम कमाने वाले सावजी भाई ढोलकिया के फाउंडेशन ने किया। मैं इसमें शामिल प्रत्येक व्यक्ति को बधाई देता हूं, जल संरक्षण के लिए ऐसे ही काम करने की शुभकामनाएं देता हूँ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया भर में कौशल विकास के महत्व को स्वीकार्यता मिल रही है। जब हम किसी को कोई कौशल सिखाते हैं, तो उसे सिर्फ हुनर ही नहीं देते, बल्कि उसे आय का एक जरिया भी देते हैं। और जब मुझे पता चला एक संस्था पिछले चार दशक से कौशल विकास के काम में जुटी है, तो मुझे और भी अच्छा लगा। यह संस्था, आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में है और इसका नाम ‘बेल्जिपुरम यूथ क्लब’ है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि कौशल विकास पर फोकस कर ‘बेल्जिपुरम यूथ क्लब’ ने करीब 7000 महिलाओं को सशक्त बनाया है। इनमें से अधिकांश महिलाएं आज अपने दम पर अपना कुछ काम कर रही हैं। इस संस्था ने बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को भी कोई ना कोई हुनर सिखाकर उन्हें उस दुष्चक्र से बाहर निकालने में मदद की है।‘बेल्जिपुरम यूथ क्लब’ की टीम ने किसान उत्पाद संघ यानी एफपीओ से जुड़े किसानों को भी नया कौशल सिखाया, जिससे बड़ी संख्या में किसान सशक्त हुए हैं। स्वच्छता को लेकर भी ये यूथ क्लब गांव–गांव में जागरूकता फैला रहा है। इसने अनेक शौचालयों का निर्माण की भी मदद की है। मैं कौशल विकास के लिए इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उनकी सराहना करता हूँ। आज, देश के गांव-गांव में कौशल विकास के लिए ऐसे ही सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब किसी एक लक्ष्य के लिए सामूहिक प्रयास होता है तो सफलता की ऊंचाई भी और ज्यादा हो जाती है। मैं आप सभी से लद्दाख का एक प्रेरक उदाहरण साझा करना चाहता हूं। आपने पश्मीना शॉल के बारे में तो जरूर सुना होगा। पिछले कुछ समय से लद्दाखी पश्मीना की भी बहुत चर्चा हो रही है। लद्दाखी पश्मीना लद्दाख के करघे के नाम से दुनियाभर के बाजारों में पहुंच रहा है। आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि इसे तैयार करने में 15 गांवों की 450 से अधिक महिलाएं शामिल हैं। पहले वे अपने उत्पाद वहां आने वाले पर्यटकों को ही बेचती थीं। लेकिन अब डिजिटल भारत के इस दौर में उनकी बनाई चीजें, देश-दुनिया के अलग-अलग बाजारों में पहुंचने लगी हैं। यानि हमारा लोकल अब ग्लोबल हो रहा है और इससे इन महिलाओं की कमाई भी बढ़ी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नारी-शक्ति की ऐसी सफलताएं देश के कोने-कोने में मौजूद हैं। जरूरत ऐसी बातों को ज्यादा से ज्यादा सामने लाने की है। और यह बताने के लिए ‘मन की बात’ से बेहतर और क्या होगा? तो आप भी ऐसे उदाहरणों को मेरे साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। मैं भी पूरा प्रयास करूंगा कि उन्हें आपके बीच ला सकूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ में हम ऐसे सामूहिक प्रयासों की चर्चा करते रहे हैं, जिनसे समाज में बड़े-बड़े बदलाव आए हैं। ‘मन की बात’ की एक और उपलब्धि यह भी है कि इसने घर-घर में रेडियो को और अधिक लोकप्रिय बना दिया है। मायजीओवी पर मुझे उत्तर प्रदेश में अमरोहा के राम सिंह बौद्ध जी का एक पत्र मिला है। राम सिंह पिछले कई दशकों से रेडियो संग्रह करने के काम में जुटे हैं। उनका कहना है कि ‘मन की बात’ के बाद से, उनके रेडियो संग्रहालय के प्रति लोगों की उत्सुकता और बढ़ गई है। ऐसे ही ‘मन की बात’ से प्रेरित होकर अहमदाबाद के पास तीर्थधाम प्रेरणा तीर्थ ने एक दिलचस्प प्रदर्शनी लगाई है। इसमें देश-विदेश के 100 से ज्यादा एंटिकरेडियो रखे गए हैं। यहां ‘मन की बात’ के अब तक के सारे एपिसोड को सुना जा सकता है ।कई और उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि कैसे लोगों ने ‘मन की बात’ से प्रेरित होकर अपना खुद का काम शुरू किया। ऐसा ही एक उदाहरण कर्नाटक के चामराजनगर की वर्षा का है, जिन्हें ‘मन की बात’ ने अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यक्रम के एक एपिसोड  से प्रेरित होकर उन्होंने केले से जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया। प्रकृति से बहुत लगाव रखने वाली वर्षा की यह पहल दूसरे लोगों के लिए भी रोज़गार के मौके लेकर आई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 27 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व है। इसी दिन ‘देव दीपावली’ भी मनाई जाती है। मेरा तो मन रहता है कि मैं काशी की ‘देव दीपावली’ जरूर देखूं। इस बार मैं काशी तो नहीं जा पा रहा हूं, लेकिन ‘मन की बात’ के माध्यम से बनारस के लोगों को अपनी शुभकामनाएं जरूर भेज रहा हूं। इस बार भी काशी के घाटों पर लाखों दीए जलाए जाएंगे, भव्य आरती होगी, लेजर शो होगा, लाखों की संख्या में देश-विदेश से आए लोग ‘देव दीपावली’ का आनंद लेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कल, पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक देवजी का भी प्रकाश पर्व है। गुरु नानक के अनमोल संदेश भारत ही नहीं, दुनिया भर के लिए आज भी प्रेरक और प्रासंगिक हैं। ये हमें सादगी, सद्भाव और दूसरों के प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु नानक देवजी ने सेवा भावना, सेवा कार्यों की जो सीख दी, उसका पालन, हमारे सिख भाई-बहन, पूरे विश्व में करते नज़र आते हैं| मैं ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं को गुरु नानक देवजी के प्रकाश पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देखते ही देखते 2023 समाप्ति की तरफ बढ़ रहा है। और हर बार की तरह हम-आप ये भी सोच रहे हैं कि अरे ... इतनी जल्दी यह साल बीत गया! लेकिन यह भी सच है कि यह साल भारत के लिए असीम उपलब्धियों वाला साल रहा है, और भारत की उपलब्धियां, हर भारतीय की उपलब्धि है। मुझे ख़ुशी है कि ‘मन की बात’ भारतीयों की ऐसे उपलब्धियों को सामने लाने का एक सशक्त माध्यम बना है। अगली बार देशवासियों की ढेर सारी सफलताओं पर फिर आपसे बात होगी। 

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