जापान में बंदरगाह पर धमाका, प्रधानमंत्री किशिदा बाल-बाल बचे
किशिदा को कोई चोट नहीं आई है
उन्हें वाकायामा प्रांत के पुलिस मुख्यालय ले जाया गया है
टोक्यो/एपी। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा शनिवार सुबह पश्चिमी जापान के एक बंदरगाह पर हुए विस्फोट में बाल-बाल बच गए। सरकारी प्रसारणकर्ता एनएचके ने बताया कि कथित तौर पर विस्फोटक फेंकने वाले संदिग्ध को पकड़ लिया गया है।
एनएचके ने बताया कि किशिदा स्थानीय चुनाव में अपनी सत्तारूढ़ पार्टी के एक उम्मीदवार का उत्साहवर्धन करने के लिए वाकायामा के साईकजाकी बंदरगाह पहुंचे थे। प्रधानमंत्री अपना भाषण शुरू करने ही वाले थे कि वहां विस्फोट हो गया।चैनल ने बताया कि किशिदा को कोई चोट नहीं आई है और उन्हें वाकायामा प्रांत के पुलिस मुख्यालय ले जाया गया है।
इस घटना ने नौ महीने पहले किशिदा के पूर्ववर्ती शिंजो आबे की पश्चिमी शहर नारा में एक चुनाव प्रचार अभियान के दौरान हुई हत्या की यादें ताजा कर दी हैं।
आबे की हत्या ने देश को स्तब्ध कर दिया था। घटना की जांच में उनकी सुरक्षा में चूक का पता चला था। इसके बाद, जापान में पुलिस सुरक्षा उपायों में बदलाव किया गया था।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब 19 से 21 मई के बीच होने वाली जी7 शिखर वार्ता से पहले जापान में इस सप्ताहांत से समूह की मंत्री स्तरीय बैठकें शुरू होने वाली हैं।
एनएचके के अनुसार, एक संदिग्ध को घटनास्थल पर ही गिरफ्तार कर लिया गया। चैनल पर प्रसारित वीडियो फुटेज में पकड़े गए व्यक्ति के आसपास वर्दी और सादे कपड़े पहने कई पुलिस अधिकारी नजर आ रहे हैं।
एनएचके ने बताया कि संदिग्ध कोई युवा पुरुष है और उसने कथित तौर पर विस्फोटक फेंका था।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने एनएचके को बताया कि वह भीड़ में शामिल थी, तभी उसने पीछे से हवा में कुछ आते हुए देखा और अचानक विस्फोट की तेज आवाज आई, जिसके बाद वह अपने बच्चों के साथ भाग गई।
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि लोग चिल्ला रहे थे और उसने विस्फोट से ठीक पहले एक व्यक्ति को पकड़े जाते देखा।
शनिवार को यह हमला तब हुआ, जब देशभर में स्थानीय चुनाव होने वाले हैं।
आबे की हत्या में हमलावर ने कथित तौर पर देसी बंदूक से गोली चलाई थी। हमलावर तेत्सुया यामागामी पर हत्या और बंदूक नियंत्रण कानून के उल्लंघन समेत कई अन्य आरोप लगाए गए हैं।
आबे के कथित हत्यारे ने जांचकर्ताओं को बताया था कि उसने जापान के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक आबे की हत्या इसलिए की थी, क्योंकि उनके एक धार्मिक समूह से संबंध थे, जिससे वह नफरत करता था।
जन सुरक्षा और कड़े बंदूक कानून के लिए पहचाने जाने वाले जापान में इस हत्या के बाद शीर्ष स्थानीय और राष्ट्रीय पुलिस अधिकारियों ने इस्तीफे दे दिया था। साथ ही नेताओं और अन्य प्रतिष्ठित लोगों की सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देश कड़े किए गए थे।